शहीदों की याद में बनाए गए हैं चौक, सड़कों का हुआ नामकरण

देश की आजादी को बचाने के लिए अंबाला के जांबाज भी पीछे नहीं हैं। भारत-पाक युद्ध में जहां अपनी दुश्मनों के दांत खट्टे किए वहीं देश के लिए सर्वोच बलिदान भी दिया।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 26 Jan 2021 06:55 AM (IST) Updated:Tue, 26 Jan 2021 06:55 AM (IST)
शहीदों की याद में बनाए गए हैं चौक, सड़कों का हुआ नामकरण
शहीदों की याद में बनाए गए हैं चौक, सड़कों का हुआ नामकरण

जागरण संवाददाता, अंबाला : देश की आजादी को बचाने के लिए अंबाला के जांबाज भी पीछे नहीं हैं। भारत-पाक युद्ध में जहां अपनी दुश्मनों के दांत खट्टे किए, वहीं देश के लिए सर्वोच्च बलिदान भी दिया। इतना ही नहीं इनकी याद में जहां चौक बनाए गए हैं, वहीं सड़कों, स्कूलों का नामकरण तक किया गया है। देश के लिए इनके द्वारा किए गए बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। इन की कहानियां भी जोश भरने वाली हैं। इसी तरह स्वतंत्रता सेनानियों के नाम पर भी चौक का नाम रखे गए हैं। सालों से यह चौक चौराहे इनकी बहादुरी की दास्तां कह रही है।

----------- शहीद मेजर विजय रतन

अंबाला कैंट की राय मार्केट-रेलवे रोड-सदर बाजार के तिराहे पर शहीद मेजर विजय रतन के नाम पर चौक बनाया गया है। उन्होंने भारत-पाक युद्ध 1971 में भाग लिया था। अपनी तैनाती के दौरान वे अपनी टीम को लीड कर रहे थे। इस दौरान पाकिस्तानी सेना ने बढ़ती भारतीय फौज को रोकने के लिए लैंडमाइन बिछा रखी थी। इन लैंडमाइन को हटाने का काम चल रहा था। इसी दौरान एक लैंडमाइन में ब्लास्ट हो गया, जिसकी चपेट में मेजर विजय रतन आ गए और शहीद हो गए। उनकी याद में सेना ने चौक बनाया है। सेना की ओर से रोजाना सुबह एक जवान इस चौक की सफाई करता है, जबकि गणतंत्र दिवस पर इस चौक पर कार्यक्रम का आयोजन होगा।

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शहीद मेजर योगेश गुप्ता

अंबाला कैंट के शहीद मेजर योगेश गुप्ता की शहादत को कभी भुलाया नहीं जा सकता। उनके नाम पर अंबाला कैंट में चौक का निर्माण किया गया है। 12 जुलाई 2002 में जम्मू कश्मीर के पुंछ इलाके में सेना को इनपुट मिला था कि कुछ आतंकी क्षेत्र में घुसे हैं। इसी पर सेना की टुकड़ी ने ऑपरेशन शुरू किया। आतंकियों के साथ क्रॉस फायरिग हुई, जबकि मेजर योगेश गुप्ता को पेट में गोलियां लग गईं। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं छोड़ी, और आतंकियों को अपने साथियों के साथ मिलकर मार दिया। अत्यधिक खून बहने के कारण मेजर योगेश की मौत हो गई। उनकी याद में क्रास रोड नंबर दो पर निजी स्कूल के पास चौक बनाया गया है।

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देश के लिए इन्होंने भी दिया सर्वोच्च बलिदान - लांसनायक परमजीत 14अगस्त 1996 कोड़वा खुर्द, नारायणगढ़

- लांसनायक नरेंद्र सिंह 28 जनवरी 1998 कोड़वा कलां, नारायणगढ़

- मनजीत सिंह 7 जून 1999 कांसापुर, बराड़ा

- सिपाही नरेश कुमार 17 सितंबर, 1999 पतरेहड़ी, नारायणगढ़

- लांसनायक सुरजीत सिंह 5 फरवरी 1999 आनंद नगर बोह, छावनी

- मेजर गुरप्रीत सिंह 19 अक्टूबर 1999 राजा पार्क, अं. छावनी

- हवलदार सुखविद्र सिंह 12 सितंबर 1999 सैनिक विहार, जंडली

- सिपाही पवन कुमार 31 दिसंबर 1999 गदोली, नारायणगढ़

- लांसनायक सुखजीत 11 नवंबर 2000 पंजोखरा, अंबाला

- गनर राकेश कुमार 26 दिसंबर 2000 सुभरी, बराड़ा

- मेजर अमित आहूजा 22 अगस्त 2001 सेक्टर 7, अं. शहर

- सबमेजर जगमाल सिंह 3 नवंबर 2001 महेशनगर, छावनी

- एसडब्ल्यूआर वीरेंद्र सिंह 7 अप्रैल 2001 प्रभुप्रेम पुरम, अंबाला छावनी

- मेजर योगश गुप्ता, 12 जुलाई 2002 अंबाला छावनी

- गनर, निर्मल सिंह 25 नवंबर 2002 शहजादपुर, नारायणगढ़

- मेजर योगेश गुप्ता, 12 जुलाई 2002 डिफेंस कालोनी, अंबाला छावनी

- सिपाही सुखविद्र सिंह 25 मई 2004 प्रेम नगर-उगाला, बराड़ा

- लांसनायक हरजिद्र सिंह 8 जुलाई 2005 बब्याल, अंबाला छावनी

- हवलदार स्वर्णजीत सिंह 14 सितंबर 2008 पंजोखरा, अंबाला

- सूबेदार रणबीर सिंह 3 जुलाई 2008 बोह रोड, अंबाला छावनी

- कॉर्पोरल गुरसेवक सिंह 2 जनवरी 2016 गरनाला, अंबाला शहर

- लांस नायक विक्रमजीत 6 अगस्त, 2018 तेपला, अंबाला छावनी

- हवलदार निर्मल सिंह, 21 जनवरी 2021, गांव जनसूई, अंबाला शहर

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