कोरोना की तीसरी लहर से बचाने के लिए बच्चों काआइसोलेशन वार्ड तैयार

ोरोना संक्रमण की दूसरी लहर कमजोर होने लगी है। वहीं स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर से बचाने के लिए तैयारियां शुरू कर दी है। इसके लिए अस्पताल में बच्चों के लिए आइसोलेशन वार्ड बना दिया है जबकि 150 का आक्सीजन बेड संक्रमित मरीजों के लिए बनाया गया है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 18 Jun 2021 06:30 AM (IST) Updated:Fri, 18 Jun 2021 06:30 AM (IST)
कोरोना की तीसरी लहर से बचाने के लिए बच्चों काआइसोलेशन वार्ड तैयार
कोरोना की तीसरी लहर से बचाने के लिए बच्चों काआइसोलेशन वार्ड तैयार

जागरण संवाददाता, अंबाला शहर: कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर कमजोर होने लगी है। वहीं स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर से बचाने के लिए तैयारियां शुरू कर दी है। इसके लिए अस्पताल में बच्चों के लिए आइसोलेशन वार्ड बना दिया है, जबकि 150 का आक्सीजन बेड संक्रमित मरीजों के लिए बनाया गया है। बच्चों के लिए आइसोलेशन वार्ड में आक्सीजन और वेंटिलेटर की सुविधा भी रहेगी।

बता दें कि जिले में संक्रमित मरीजों का ग्राफ निरंतर गिरता जा रहा है। वर्तमान में 10 से 20 रोज संक्रमित मिल रहे हैं। जिले में 200 सक्रिय मरीजों को इलाज के लिए आइसोलेट किया गया है। सक्रिय मरीजों का ग्राफ गिरने से इलाज दर 97.66 फीसद पहुंच गई है। इसलिए सरकारी और निजी अस्पतालों में 90 फीसद से अधिक आक्सीजन बेड खाली हो गए हैं। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में अप्रैल और मई में संक्रमित मरीजों का ग्राफ तेजी से बढ़ा था। इस दौरान एक दिन में 500 से 600 कोरोना संक्रमित मिल रहे थे। अब दूसरी लहर कमजोर होने लगी है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने अभी से तीसरी लहर से बचाने के लिए तैयारी शुरू कर दी है। इसमें बाल रोग विभाग में 10 बेड का आइसोलेशन वार्ड बना दिया गया है। यहां पर संक्रमित मरीजों को रखा जाएगा। इस संबंध में एएसएमओ डा. सुखप्रीत ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर से बचाने की तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए नागरिक अस्पताल में बच्चों के लिए आइसोलेशन वार्ड बना दिया है।

-------------------- संक्रमित मरीजों के लिए 1057 बेड की सुविधा

जिले में संक्रमित मरीजों के लिए 1057 बेड की सुविधा है। इसमें 739 आक्सीजन बेड, 68 वेंटिलेटर बेड और 92 बाईपेप सपोर्ट कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए लगे हैं। सरकारी और निजी अस्पतालों में 90 फीसद से अधिक आक्सीजन बेड खाली हो गए हैं।

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