अंबाला में कोरोना संक्रमण की निगेटिव रिपोर्ट बनाने वाले लैब संचालक को जमानत

डोगरा पैथ लैब संचालक को कोरोना की निगेटिव रिपोर्ट बनाने के मामले में गिरफ्तार करने बाद पुलिस अपनी ही धाराओं में उलझ गई है। क्योंकि मामले में अदालत ने पुलिस द्वारा आरोपित बनाए गए लैब संचालक डॉ. वासु डोगरा को बिना जमानत के ही जमानत दे दी है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 22 Apr 2021 07:15 AM (IST) Updated:Thu, 22 Apr 2021 07:15 AM (IST)
अंबाला में कोरोना संक्रमण की निगेटिव रिपोर्ट बनाने वाले लैब संचालक को जमानत
अंबाला में कोरोना संक्रमण की निगेटिव रिपोर्ट बनाने वाले लैब संचालक को जमानत

जागरण संवाददाता, अंबाला शहर : डोगरा पैथ लैब संचालक को कोरोना की निगेटिव रिपोर्ट बनाने के मामले में गिरफ्तार करने बाद पुलिस अपनी ही धाराओं में उलझ गई है। क्योंकि मामले में अदालत ने पुलिस द्वारा आरोपित बनाए गए लैब संचालक डॉ. वासु डोगरा को बिना जमानत के ही जमानत दे दी है। इसके साथ ही अदालत ने साफ कर दिया कि यदि पुलिस को जरूरत पड़े तो पहले नोटिस देकर बुला लें।

बता दें कि स्वास्थ्य विभाग की टीम ने शहर के सेक्टर सात स्थित डोगरा लैब पर छापामारी की थी। जहां टीम को सूचना मिली थी कि कोविड के पॉजिटिव मरीजों को निगेटिव रिपोर्ट दी जा रही थी। इसके बाद विभाग की टीम ने कार्रवाई की थी और लैब को सील कर दिया था। लैब को इस टेस्ट की अनुमति ही नहीं थी। इसके बाद पुलिस ने शिकायतकर्ता डॉ. विजय वर्मा की शिकायत पर मुकदमा दर्ज करने के बाद डॉक्टर वासु डोगरा को गिरफ्तार किया था। गौरतलब है डॉक्टर डोगरा हवाई जहाज से बाहर जाने वाले लोगों की कोरोना रिपोर्ट निगेटिव बनाते थे। छापेमारी के दौरान टीम को 84 निगेटिव रिपोर्ट मिली थी।

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अगली तारीख तक कोर्ट ने मांगी जांच रिपोर्ट

मामले में कोर्ट ने आदेश सुनाया कि गलत तरीके से डाक्टर को गिरफ्तार किया गया है। लगता है मामले में गिरफ्तारी की ज्यादा जल्दी की है। इसके बाद अदालत ने बिना जमानती के छोड़ने के आदेश दे दिए। वहीं मामले में कोर्ट ने एसपी को लिखा है कि मामले की जांच की जाए और जो भी जिम्मेदार अधिकारी हैं उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए। मामले में अगली तारीख तक इन्क्वायरी रिपोर्ट मांगी गई है।

----- -सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का नहीं हुआ पालन

मामले में डोगरा लैब संचालक की ओर से एडवोकेट रोहित जैन पेश हुए। उन्होंने अदालत में कहा कि डॉक्टर को एक अपराधी की तरह पकड़ा गया है। जबकि अरनेश कुमार बनाम स्टेट ऑफ बिहार के मामले में 2014 में सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन आई थी, जिसे फालो नहीं किया गया। पुलिस उच्च अधिकारियों को इस तरह गिरफ्तार नहीं कर सकती। यदि गिरफ्तार किया जाता है तो उन्हें अचानक जेल में नहीं भेजा जाना है। उन्होंने पुलिस के रवैया पर गंभीर सवाल उठाए। मामले में बचाव पक्ष ने अदालत में रखा कि इन्क्वायरी इंस्पेक्टर रैंक से कम अधिकारी इसमें कार्रवाई नहीं कर सकता था, जबकि इस मामले में सब इंस्पेक्टर ने कार्रवाई की है। इसके साथ ही सेक्शन 41 का पालन भी नहीं हुआ।

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