Ahmedabad Serial Blast Case: 13 साल बाद पूरी हुई अहमदाबाद बम धमाकों की सुनवाई, फैसला सुरक्षित

Ahmedabad Serial Blast Case अहमदाबाद में 13 साल पहले हुए बम धमाकों के मामलों की सुनवाई शुक्रवार को पूरी कर ली गई है। अलग-अलग 21 बम धमाकों में 56 लोगों की मौत हो गई थी। इस मामले में 77 लोगों को आरोपित बनाया गया है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Publish:Fri, 03 Sep 2021 08:13 PM (IST) Updated:Fri, 03 Sep 2021 08:13 PM (IST)
Ahmedabad Serial Blast Case: 13 साल बाद पूरी हुई अहमदाबाद बम धमाकों की सुनवाई, फैसला सुरक्षित
13 साल बाद पूरी हुई अहमदाबाद बम धमाकों की सुनवाई, फैसला सुरक्षित। फाइल फोटो

अहमदाबाद, जागरण संवाददाता। गुजरात के अहमदाबाद में 13 साल पहले हुए बम धमाकों के मामलों की सुनवाई शुक्रवार को पूरी कर ली गई है। अलग-अलग 21 बम धमाकों में 56 लोगों की मौत हो गई थी। इस मामले में 77 लोगों को आरोपित बनाया गया है। अदालत ने 11 सौ गवाहों को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। विशेष अदालत के न्यायाधीश एआर पटेल ने अहमदाबाद में 26 जुलाई, 2008 में सिलसिलेवार तरीके से किए गए बम धमाका मामलों की सुनवाई पूरी करने के बाद शुक्रवार को अपना फैसला सुरक्षित रखा है। अहमदाबाद में सिलसिलेवार 21 बम धमाके किए गए थे, जबकि सूरत में कई जगहों से जिंदा बम रखे गए थे। इन मामलों में अहमदाबाद में 20 तथा सूरत में 15 प्राथमिकी दर्ज हुई थीं, जिन्हें आपस में मिलाकर एक कर दिया गया था।

पुलिस ने अपनी जांच में बताया था कि गुजरात में वर्ष 2002 में हुए दंगों का बदला लेने के लिए इंडियन मुजाहिदीन व स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट आफ इंडिया (सिमी) ने मिलकर इस साजिश को अंजाम दिया था। अहमदाबाद के सिविल अस्पेताल सहित अन्य कई जगहों पर आतंकियों ने 70 मिनट में 21 बम धमाके किए थे। इनमें 56 लोगों की मौत हुई थी तथा करीब 200 लोग बुरी तरह जख्मी हो गए थे। दिसंबर, 2009 में इस केस की सुनवाई शुरू हुई, जिसमें अब तक 11 सौ गवाहों के बयान दर्ज किए गए। आरोपितों के खिलाफ हत्या, आपराधिक साजिश के साथ गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम के तहत आरोप पत्र तैयार किया गया। 78 आरोपितों में से एक सरकारी गवाह बन गया था। 77 के खिलाफ आरोपपत्र तैयार हुआ, जबकि चार आरोपितों पर सप्लीमेंटी एफआइआर के आधार पर अभी केस चलेगा। मुख्‍य सरकारी वकील सुधीर ब्रम्हाभट्ट के मुताबिक, 11 सौ गवाहों के बयान, नौ हजार विविध दस्तावेज तथा दस लाख से भी अधिक पन्नों का आरोपपत्र, यह मेरे जीवन का सबसे लंबा व सबसे अहम मामला रहा। अब थोड़ा हल्का महसूस कर रहा हूं। उच्‍चतम न्‍यायालय के आदेश से हर दिन इस केस की सुनवाई चली, जो कोरोना महामारी के दौरान भी जारी रही।

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