आरे कॉलोनी के बाद, गुजरात में भी चौंका देने वाला है पेड़ों की कटाई का मामला
गुजरात सरकार ने पांच वर्ष में 6.51 लाख पेड़ काट कर विकास की दिशाविहीन दौड़ के चलते पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया है।
अहमदाबाद, जेएनएन। महाराष्ट्र में आरे कॉलोनी में पेड़ काटने का मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। यह समाचार देश में सुर्खियों में हैं, वहीं गुजरात में पेड़ों की कटाई का मामला भी चौका देने वाला है। गत पांच वर्षों में खुद सरकार ने ही विकास की विविध योजनाओं के नाम पर 6,51,403 पेड़ों को जड़मूल से काट डाले हैं।
गुजरात सरकार ने विकास में आगे रहने की आकांक्षा के कारण पर्यावरण की चिंता किए बिना ही हरे पेड़ों को काट डाला। अहमदाबाद में मेट्रो ट्रेन का कार्य जारी है। इसके लिए अभी तक केवल अहमदाबाद में ही 30 हजार से अधिक पेड़ों की कटाई हुई हैं। राज्य सरकार ने स्वयं इसकी कबूलात की है। भारतीय जनता पार्टी की पेड़ बचाओं का नारा दे रही है। वहीं खुद सरकार ने ही पेड़ काटने की स्वीकृति दे दी। राज्य सरकार ने 2017-18 में जूनागढ़ 16224, नवसारी में 19271, सूरत में 23673, तापी में 20177, भरूच में 13630 और वलसाड़ में 21789 वृक्ष काटाने की स्वीकृति दे दी। इसी सरकार ने अहमदाबाद में इस वर्ष पेड़ काटने की एक भी पेड़ काटने की स्वीकृति नहीं दी, परन्तु 2016-17 में अहमदाबाद में से 12700 हरे पेड़ काट दिए गये थे।
उल्लेखनीय है कि सरकार ने पेड़ों की कटाई के कारणों में कहा है कि कुख्यात लोग पेड़ काट डालते हैं। वहीं पेड़ों के मालिक भी पेड़ काट डालते है। किसान अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए भी पेड़ काट डालते हैं। यह भी कहा गया है कि सरकार पेड़ों के काटने की अनुमति की जानकारी से अवगत नहीं है। इस प्रकार सरकार पेड़ों की कटाई के बारे में बे सिर पैर का उत्तर देकर बचाव कर रही है।
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