लंबे इंतजार के बाद गुजरात कांग्रेस को मिला प्रभारी, राजीव सातव के निधन के बाद से खाली पड़ा था पद

राजस्‍थान के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री डॉ रघु शर्मा को गुजरात कांग्रेस का प्रभारी बनाया गया है। राजीव सातव का मई 2021 में कोरोना से निधन के बाद से यह पद खाली था। गुजरात में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं ऐसे में कांग्रेस आलाकमान पर लगातार दबाव बढ़ता जा रहा था।

By Babita KashyapEdited By: Publish:Sat, 09 Oct 2021 10:35 AM (IST) Updated:Sat, 09 Oct 2021 10:35 AM (IST)
लंबे इंतजार के बाद गुजरात कांग्रेस को मिला प्रभारी, राजीव सातव के निधन के बाद से खाली पड़ा था पद
राजस्‍थान के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री डॉ रघु शर्मा को गुजरात कांग्रेस का प्रभारी बनाया गया है

अहमदाबाद, जागरण संवाददाता। लंबे इंतजार के बाद गुजरात कांग्रेस को राजस्‍थान के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री डॉ रघु शर्मा के रूप में प्रभारी मिल गया लेकिन कांग्रेस आलाकमान को अभी प्रदेश अध्‍यक्ष व नेता विपक्ष पर भी जल्‍द फैसला करना है। प्रभारी के चयन में राजस्‍थान के मुख्‍यमंत्री अशोक गहलोत की ही चली और माना जा रहा है कि गुजरात की चुनावी रणनीति में उनकी अहम भूमिका होगी। दिग्‍गज नेता शंकरसिंह वाघेला की अब कांग्रेस में वापसी की संभावना नजर नहीं आती हैं।

मई 2021 से खाली पड़ा था पद

 गुजरात कांग्रेस के प्रभारी सांसद राजीव सातव का मई 2021 में कोरोना से निधन के बाद से यह पद खाली था। इससे पहले फरवरी-मार्च 2021 में स्‍थानीय निकाय व पंचायत चुनावों में करारी हार के बाद प्रदेश अध्‍यक्ष अमित चावडा व विधानसभा में नेता विपक्ष परेश धनाणी ने भी अपने पद से इस्‍तीफा दे दिया था। गुजरात में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में कांग्रेस आलाकमान पर लगातार दबाव बढ़ता जा रहा था। एक बार तो राजस्‍थान के मुख्‍यमंत्री अशोक गहलोत को ही इसकी जिम्‍मेदारी सौंपे जाने की चर्चा शुरु हुई चूंकि 2017 का विधानसभा चुनाव उनके प्रभारी रहते ही लड़ा गया था जिसमें कांग्रेस ने बीते ढाई दशक में 77 सीट जीतकर श्रेष्‍ठ प्रदर्शन किया था। अब उन्‍हीं के सिपहसालार डॉ रघु शर्मा को प्रभारी (गुरुवार रात्रि इसकी घोषणा की गई) बनाया गया है जिससे यह धारणा बनती जा रही है कि इस बार भी चुनावी रणनीति की कमान गहलोत अपने हाथ में रहेगी। शर्मा को प्रभारी बनाने में गहलोत की ही चली है, दैनिक जागरण ने 31 मई 2021 को ही लिखा भी था कि गहलोत का करीबी होगा गुजरात कांग्रेस प्रभारी।

  गुजरात चुनाव की जिम्‍मेदारी सबसे बड़ी चुनौती

 एनएसयूआई , युवक कांग्रेस से लेकर प्रदेश के केबिनेट मंत्री बनने तक डॉ शर्मा ने काफी उतार चढ़ाव देखें हैं लेकिन उनकी तेजतर्रार नेता की छवि ने केवल बनी रही बल्कि व इससे तेजी से उबरे भी। इसके बावजूद गुजरात चुनाव की जिम्‍मेदारी उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती भरा काम होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह तथा प्रदेश अध्‍यक्ष सी आर पाटिल जैसे दिग्‍गजों के सामने विपक्ष को मजबूत कर चुनाव जिताना कोई मामूली बात नहीं है। कांग्रेस में आपसी फूट को रोकना तथा चुने हुए नेताओं को पाला बदलने से रोकना उनकी पहली कसौटी होगी। करीब 27 साल से सत्‍ता से विमुख तथा पिछले कुछ चुनावों में पूरी तरह सूपड़ा साफ करा चुकी कांग्रेस को सरकार से लड़ने को तैयार करना भी अपने आप में एक उपलब्धि होगी। गुजरात में भाजपा एक करोड़ सदस्‍य होने का दावा करती है, कांग्रेस अपने सदस्‍यों की संख्‍या लाखों में बताती है लेकिन उसने सही आंकडे कभी सार्वजनिक नहीं किये। कांग्रेस के कई कद्दावर नेता पार्टी छोड़कर जा चुके हैं इनमें सौराष्‍ट्र के पाटीदार नेता एवं पूर्व सांसद विट्ठठल रादडिया व उनके पुत्र जयेश रादडिया, पूर्व मुख्‍यमंत्री शंकरसिंह वाघेला व उनके पुत्र महेंद्र वाघेला, कोळी पटेल नेता कुंवरजी बावळिया, जवाहर चावडा, बलवंतसिंह राजपूत सहित एक दर्जन से अधिक चेहरे ऐसे हैं जो अब भाजपा में हैं। तीन नेता राघवजी पटेल, जीतूभाई चौधरी व ब्रजेश मेरजा तो वर्तमान सरकार में मंत्री हैं।

 अहमद पटेल के निधन से हुआ गुजरात कांग्रेस को बड़ा नुकसान

 गुजरात कांग्रेस को सबसे बड़ा नुकसान वरिष्‍ठ नेता अहमद पटेल के निधन से हुआ जिसकी भरपाई करना किसी नेता की बस की बात नहीं लेकिन डॉ शर्मा को मुख्‍यमंत्री गहलोत का पूरा समर्थन व सहयोग रहेगा यह उनका सबसे बड़ा प्‍लस पॉइंट है। गहलोत राजस्‍थान में तीसरी बार मुख्‍यमंत्री बने हैं तथा गत चुनाव में गुजरात कांग्रस के प्रभारी भी रह चुके हैं। गहलोत ने ही वाघेला को कांग्रेस से बाहर का रास्‍ता दिखाया था इसलिए अब उनके कांग्रेस में वापसी की संभावना नहीं है। हालांकि वरिष्‍ठ नेता एवं पूर्व अध्‍यक्ष भरतसिंह सोलंकी दिग्‍गज नेता वाघेला व ओबीसी नेता व पूर्व विधायक अल्‍पेश ठाकोर दोनों को पार्टी में शामिल करने के लिए अहमदाबाद से दिल्‍ली तक दौड़ धूप कर चुके हैं लेकिन आलाकमान टस से मस नहीं हुआ। कांग्रेस अपने दलित वोट बैंक को साधने के लिए निर्दलीय विधायक जिग्‍नेश मेवाणी को साथ में ले आई है लेकिन वह कितना सफल होते हैं यह चुनाव के बाद ही पता चलेगा।

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