Gujarat: सूरत जेल से चार माह बाद रिहा हुए पाटीदार नेता अल्पेश कथीरिया

Gujarat महानगर पालिका चुनाव के दौरान मारपीट लूट व एट्रोसिटी के मामले में गिरफ्तार पाटीदार नेता अल्‍पेश कथीरिया करीब चार माह बाद जेल से छूटे तो कांग्रेस आप व पाटीदार आंदोलन समिति के नेता उनके स्‍वागत में लाजपोर जेल पहुंचे।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Publish:Thu, 15 Jul 2021 07:18 PM (IST) Updated:Thu, 15 Jul 2021 07:19 PM (IST)
Gujarat: सूरत जेल से चार माह बाद रिहा हुए पाटीदार नेता अल्पेश कथीरिया
चार माह बाद सूरत जेल से रिहा हुए पाटीदार नेता अल्पेश कथीरिया। फाइल फोटो

अहमदाबाद, जागरण संवाददाता। गुजरात में महानगर पालिका चुनाव के दौरान मारपीट, लूट व एट्रोसिटी के मामले में गिरफ्तार पाटीदार नेता अल्‍पेश कथीरिया करीब चार माह बाद जेल से छूटे तो कांग्रेस, आप व पाटीदार आंदोलन समिति के नेता उनके स्‍वागत में लाजपोर जेल पहुंचे। सूरत में महानगर पालिका चुनाव के दौरान फरवरी, 2021 में पाटीदार नेता अल्‍पेश कथीरिया कार व बाइक रैली कर रहे थे। इसी दौरान भारतीय ट्राइबल पार्टी का कार्यकर्ता जैकिन सुमन व कार में सवार उसके साथी उनका वीडियो बनाने लगे। इसी बात को लेकर कथीरिया व उसके साथियों ने जैकिन व उसके साथियों के साथ मारपीट की तथा जान से मारने की धमकी दी। जैकिन ने इस संबंध में सूरत कामरेज पुलिस थाने कथीरिया व उसके साथियों के खिलाफ मारपीट, लूट व एट्रोसिटी का मुकदमा दर्ज कराया था।

गुजरात में सूरत एससी एसटी सेल के उपाधीक्षक भार्गव पंड्या ने मामले की जांच करते हुए स्‍पेशल ऑपरेशन ग्रुप की मदद से 21 मार्च, 2021 को कथीरिया की धरपकड़ कर ली थी। मंगलवार को गुजरात उच्‍च न्‍यायालय ने कथीरिया की जमानत मंजूर कर ली थी, जिसके बाद गुरुवार को उनकी रिहाई के मौके पर कांग्रेस के कार्यकारी अध्‍यक्ष हार्दिक पटेल, आम आदमी पार्टी सूरत के नेता व पाटीदार नेता व पूर्व साथी दिनेश बामणिया, गीता पटेल सहित सैकड़ों पाटीदार कार्यकर्ता सूरत की लाजपोर जेल पहुंचे। रिहा होने के बाद अल्‍पेश ने मिनी बाजार पहुंचकर सरदार पटेल की प्रतिमा को माला पहनाई तथा सीधे अपने घर पहुंचे। सूरत महानगर पालिका चुनाव में आम आदमी पार्टी की 27 सीट की जीत में अल्‍पेश की बड़ी भूमिका बताई जाती है, जबकि उनके किसी पार्टी में शामिल होने के बारे में पूछा गया तो अल्‍पेश ने कहा कि साथी कार्यकर्ताओं से चर्चा के बाद ही किसी तरह की रणनीति बनाएंगे। उनके मुताबिक, रिहाई के मौके पर समाज के लोग व उनके शुभचिंतक आए हैं। इसे किसी तरह की राजनीति से नहीं जोड़ना चाहिए।

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