Gujarat: श्रेय अस्पताल अग्निकांड में आठ मरीजों की मौत का मुख्य आरोपित जमानत पर छूटा
Shrey Hospital fire अहमदाबाद के श्रेय अस्पताल के आईसीयू वार्ड में गत बुधवार मध्य रात्रि अचानक आग लग गई थी जिसके चलते आठ कोरोना संक्रमितों की मौत हो गई थी।
अहमदाबाद, जागरण संवाददाता। Shrey Hospital fire: स्पेशल कोविड-19 श्रेय अस्पताल अग्निकांड में आठ मरीजों की मौत की का मुख्य आरोपित भरत महंत 24 घंटे भी पुलिस गिरफ्त में नहीं रहा। वह 15 हजार रुपये की जमानत पर छूट गया। पुलिस ने जज के आवास पर आरोपित को पेश कर पांच दिन का रिमांड मांगा था। अहमदाबाद के नवरंगपुरा स्थित श्रेय अस्पताल के आईसीयू वार्ड में गत बुधवार मध्य रात्रि अचानक आग लग गई थी, जिसके चलते आठ कोरोना संक्रमितों की मौत हो गई थी। एफएसएल, फायर ब्रिगेड व इलेक्ट्रिक विभाग की रिपोर्ट के आधार पर नवरंगपुरा पुलिस ने अस्पताल के मुख्य ट्रस्टी भरत महंत को बुधवार दोपहर गिरफ्तार किया था।
इससे पहले उसका कोरोना टेस्ट कराया गया, जो निगेटिव था। पुलिस ने जज के आवास पर पेश कर पांच दिन का रिमांड मांगा, लेकिन उसके पक्ष में दी गई कमजोर दलील व फायर ब्रिगेड की कमजोर रिपोर्ट के चलते जज ने उसे 15 हजार रुपये की जमानत पर रिहा कर दिया। इस हादसे में आठ कोरोना संक्रमितों की जान चली गई थी। राज्य सरकार ने इस हादसे की न्यायिक जांच के लिए हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश से जांच की घोषणा पहले ही कर दी है, लेकिन मुख्य आरोपित के जमानत पर छूट जाने से पुलिस व महानगर पालिका हेल्थ विभाग की लचर कार्यप्रणाली उजागर हो गई है।
इससे पहले गृह राज्यमंत्री प्रदीप सिंह जाडेजा ने कहा था मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने श्रेय अस्पताल दुखांतिका की न्यायिक जांच का फैसला किया है। उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश से इसकी जांच कराई जाएगी। मुख्यमंत्री रूपाणी ने खुद कहा था कि इस घटना के किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाएगी। इसके बाद नवरंगपुरा पुलिस ने फॉरेंसिक रिपोर्ट, फायर ब्रिगेड व इलेक्ट्रिक विभाग की रिपोर्ट के आधार पर श्रेय अस्पताल ट्रस्टी भरत महंत व अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 304-ए, 336, 337, 338 व 339 के तहत मुकदमा दर्ज कर महंत से कई घंटे तक पूछताछ की गई थी। पांच अगस्त, बुधवार मध्य रात्रि को हुए इस हादसे की पुलिस प्राथमिकी सोमवार को दर्ज की गई।
जांच में यह कमियां हुई थीं उजागर
श्रेय अस्पताल हादसे की जांच में पता चला है कि अस्पताल की जगह आवासीय निर्माण की मंजूरी ली गई, जिसके प्रथम तल का उपयोग कॉमर्शियल बताया गया था। खुली जगह पर अवैध तरीके से कैंटीन का निर्माण किया गया। अस्पताल के फायर उपकरण नाकारा हो चुके थे तथा प्रबंधन के पास फायर एनओसी भी नहीं थी। आईसीयू वार्ड का फिंगर लॉक डोर कैसे लॉक हो गया। इमरजेंसी अलार्म की कोई व्यवस्था नहीं थी। अस्पताल के आईसीयू वार्ड का ईलेक्ट्रिक लोड कितना था तथा घटना के वक्त वहां कितने कर्मचारी मौजूद थे।