गुजरात मद्य निषेध कानून के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई को हाई कोर्ट तैयार

Gujarat याचिकाओं में गुजरात मद्य निषेध कानून-1949 की धारा 12 13 (शराब के उत्पादन खरीद आयात परिवहन निर्यात बिक्री कब्जे उपयोग और खपत पर पूर्ण प्रतिबंध) 24-1 बी व 65 की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Publish:Mon, 23 Aug 2021 08:32 PM (IST) Updated:Mon, 23 Aug 2021 08:32 PM (IST)
गुजरात मद्य निषेध कानून के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई को हाई कोर्ट तैयार
गुजरात मद्य निषेध कानून के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई को हाई कोर्ट तैयार। फाइल फोटो

अहमदाबाद, प्रेट्र। हाई कोर्ट ने सोमवार को गुजरात मद्य निषेध कानून-1949 को चुनौती देने वाली याचिकाओं को सुनवाई योग्य करार दिया। इस कानून के तहत राज्य में शराब के उत्पादन, बिक्री व खपत पर रोक है। चीफ जस्टिस विक्रम नाथ व जस्टिस बीरेन वैष्णव की पीठ ने 12 अक्टूबर को याचिकाओं पर सुनवाई का फैसला करते हुए राज्य सरकार की तरफ से उन पर की गई आपत्ति को खारिज कर दिया। महाधिवक्ता कमल त्रिवेदी ने हाई कोर्ट के सामने संकेत दिया कि सरकार आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत जा सकती है। सरकार का कहना है कि किसी भी मौजूदा या नए कानून या अतिरिक्त प्रविधान की वैधता पर गौर करने का अधिकार किसी अदालत को नहीं है, जब उसे सुप्रीम कोर्ट ने पहले बरकरार रखा है। शीर्ष अदालत ने वर्ष 1951 में अपने फैसले में इस कानून को बरकरार रखा था।

त्रिवेदी ने कहा कि जिस कानून को सुप्रीम कोर्ट ने आज वैध कर दिया है, उसे कल अमान्य करार दिया जा सकता है, लेकिन इस पर फैसला वही करेगा न कि गुजरात हाई कोर्ट। दूसरी ओर, याचिकाकर्ताओं का कहना है कि इस मामले को गुण-दोष के आधार पर लिया जाना चाहिए। दलीलों में जिन प्रविधानों को चुनौती दी गई है, वे वर्ष 1951 में किए गए प्रविधानों से अलग हैं। उनमें बाद के वर्षों में संशोधन किया गया है। याचिकाओं में गुजरात मद्य निषेध कानून-1949 की धारा 12, 13 (शराब के उत्पादन, खरीद, आयात, परिवहन, निर्यात, बिक्री, कब्जे, उपयोग और खपत पर पूर्ण प्रतिबंध), 24-1 बी व 65 की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है। याचिकाओं में से एक में दलील दी गई है कि छह दशकों से अधिक समय से मद्य निषेध के बावजूद तस्करों, संगठित गिरोहों के नेटवर्क व भ्रष्ट अधिकारियों की सांठगांठ के कारण शराब की आपूíत हो रही है। गौरतलब है कि गुजरात में शराबबंदी को लेकर पिछले काफी समय से राजनीति भी हो रही है।

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