Gujarat: हार्दिक पटेल ने जातिवादी राजनीति को विकास में बाधक बताया

Gujarat हार्दिक पटेल ने जातिवादी राजनीति को विकास में बाधक बताया है। भाजपा व केंद्र पर जातिवादी राजनीति का आरोप लगाते हुए हार्दिक ने कहा कि गुजरात में जातिवादी राजनीति चरम पर है। पाटीदार आरक्षण आंदोलन छेड़ने वाले हार्दिक पटेल को अब लगने लगा कि जातिवादी राजनीति ठीक नहीं है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Publish:Wed, 07 Jul 2021 05:50 PM (IST) Updated:Wed, 07 Jul 2021 09:48 PM (IST)
Gujarat: हार्दिक पटेल ने जातिवादी राजनीति को विकास में बाधक बताया
हार्दिक पटेल ने जातिवादी राजनीति को विकास में बाधक बताया। फाइल फोटो

अहमदाबाद, जागरण संवाददाता। पाटीदार आरक्षण आंदोलन के अगवा व युवा नेता हार्दिक पटेल ने जातिवादी राजनीति को विकास में बाधक बताया है। भाजपा व केंद्र पर जातिवादी राजनीति का आरोप लगाते हुए हार्दिक ने कहा कि गुजरात में जातिवादी राजनीति चरम पर है। प्रदेश का मुख्यमंत्री किसी भी समुदाय से हो, वह सभी जाति में समुदाय को साथ लेकर चले तथा उनका विकास करें तभी वह स्वीकार्य होगा। गुजरात में पाटीदार आरक्षण आंदोलन छेड़ने वाले हार्दिक पटेल को अब लगने लगा है कि जातिवादी राजनीति ठीक नहीं है। उनका मानना है कि देश में व प्रदेश में जातिवाद के आधार पर राजनीतिक रणनीति तय होती है, लेकिन उसे शासन व प्रशासन में महत्व नहीं दिया जाना चाहिए। गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल ने एक लेख लिखा है, जिसमें उन्होंने जातिवादी राजनीति पर तंज कसा है।

पाटीदार, ओबीसी, आदिवासी समुदाय गुजरात में मुख्यमंत्री के पद पर दावेदारी जता रहा हैं, ऐसे समय में हार्दिक ने अपने लेख के माध्यम से कहा कि युवाओं को शिक्षित करना होगा तथा राजनीति में उनकी भागीदारी बनाएंगे, तभी विकास संभव है। हार्दिक ने भारतीय जनता पार्टी व उनकी सरकार पर आरोप लगाया है कि उनके खिलाफ बोलने वालों को दबाने का प्रयास किया जाता है, लोगों का यही डर निकालने के लिए वे प्रयास करते हैं और करते रहेंगे। हार्दिक ने भाजपा पर चुनावी राजनीति करने का भी आरोप लगाया है। उनका कहना है कि जिस राज्य में चुनाव होता है, वहां के जातिवादी नेताओं को महत्व दिया जाता है तथा चुनाव समाप्त होने के बाद उनको भुला दिया जाता है।

हार्दिक पटेल की ओर से लिखा गया लेख का मजमून यूं है

हार्दिक पटेल ने लिखा कि गुजरात में जातिगत राजनीति का हावी होना, गुजरात व लोकतंत्र के लिए अच्छा संकेत नहीं। जातिगत राजनीति गुजरात सहित भारत के हर राज्य की सच्चाई है, हम इससे दूर नहीं भाग सकते। लेकिन यदि यह इतनी ज्यादा हावी हो जाए कि व्यक्ति की योग्यता कोई मायने ही ना रखे, तो यह प्रदेश की जनता व भारतीय लोकतंत्र के लिए अच्छा संकेत नहीं हैं। गुजरात में जाति आधारित राजनीति इस समय चरम पर है, जब भाजपा को लगता है कि कोई जाति व समुदाय उसके खिलाफ है या हो सकता है तो वह अन्य जाति व समुदायों को एकत्रित कर उस समुदाय विशेष के खिलाफ लामबंद कर देती है। गुजरात में भाजपा द्वारा किसी क्षेत्र में पाटीदारों के खिलाफ अन्य जातियों को लामबंद किया गया, तो कहीं ठाकोर, कोली और चौधरी पटेल के खिलाफ अन्य जातियों को और दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि भाजपा यह करके चुनावी सफलताएं भी प्राप्त कर रही हैं। गुजरात में तो भाजपा सरकार के एक बड़े मंत्री अपने विभाग की सभी पोस्टिंग इस समय सिर्फ अपनी जाति के लोगों की ही कर रहे हैं।

चुनाव के समय में टिकट का आधार योग्यता ना होकर जाति हो जाता हैं। मुझसे बहुत से लोग कहते हैं कि गुजरात का मुख्यमंत्री पाटीदार समाज से होना चाहिए। मेरा हमेशा से ही यही मानना है कि संविधान में ऐसा कहीं नहीं लिखा कि मुख्यमंत्री किसी जाति विशेष से हो। ऐसा व्यक्ति जो सभी को साथ लेकर चल सके, जिसके मन में किसी समाज व जाति के लिए भेदभाव ना हो, वह व्यक्ति ही किसी सर्वोच्च पद पर होना चाहिए। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और सरदार पटेल, जिन्होंने भारत को आजादी दिलाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया, पूरे देश को एकता के सूत्र में बांधा, यदि उनकी जन्मभूमि में ही जातिवाद की भावना लगातार बढ़ रही है तो उनकी पवित्र आत्मा को कितनी तकलीफ हो रही होगी।

मेरे लिए आदर्श स्थिति होगी कि यदि मुख्यमंत्री पाटीदार समाज से है तो वह अपनी समाज के साथ ठाकोर, ब्राह्मण, कोली सभी समुदायों के लोगों का काम उतनी ही दिलचस्पी से करे। गुजरात के 6.50 करोड़ लोगों को जो बिना किसी जाति, समुदाय, समाज के भेदभाव के बिना साथ लेकर चले, वही व्यक्ति मुख्यमंत्री हो। दुर्भाग्य का विषय है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र  मोदी द्वारा सिर्फ और सिर्फ जातीय समीकरणों को साधने का प्रयास हैं। जिन राज्यों में आने वाले महीनों में विधानसभा चुनाव होने है, वहां की प्रमुख जातियों के नेताओं को मंत्री बनाए जाने की चर्चा हैं। जहां चुनाव हो गए, काम निकल गया, उन जातियों के नेताओं को हटाया जाएगा। वैसे भी व्यक्ति केंद्रित सरकार में किसी मंत्री या विभाग का कोई मतलब नहीं रह गया है, सारे काम प्रधानमंत्री कार्यालय से ही संचालित होते हैं। अब काम योग्यता नहीं सिर्फ और सिर्फ सोशल इंजीनियरिंग पर चल रहा हैं।

दुनिया का कोई भी देश देख लें, वह विकसित तभी हुआ जब वहां युवा शिक्षित हुए, व्यापार-धंधों में तरक्की हुई, सरकार में अच्छे लोगों की नियुक्ति हुई और उन अच्छे लोगों ने अच्छी नीतियां बनाईं। गुजरात और फिर देश के लिए भी यही बात लागू होती है, कि अच्छे लोग राजनीति में रहें जो गंदगी को साफ कर सकें और जनता के मन में सरकार के प्रति विश्वास प्रकट हो सके। गुजरात के युवा और अन्य लोगों में अभी भी डर है कि यदि उन्होंने भाजपा सरकार के खिलाफ कुछ बोल दिया तो उनके ऊपर झूठे केस किए जाएंगे, परिवार को प्रताड़ित किया जाएगा, मैं लोगों के मन से उसी डर को बाहर निकालने की बात कर रहा हूं। 

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