Gujarat: सरकार का विरोध करने वालों को जिलाबदर नहीं किया जा सकता: हाई कोर्ट

Gujarat गुजरात हाई कोर्ट ने कहा है कि सरकार के खिलाफ आवाज उठाने वालों को जिलाबदर नहीं किया जा सकता। अहमदाबाद पुलिस द्वारा 39 वर्षीय कार्यकर्ता कलीम सिद्दीकी के खिलाफ जारी जिलाबदर के आदेश को जस्टिस परेश उपाध्याय ने रद कर दिया है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Publish:Fri, 27 Aug 2021 07:18 PM (IST) Updated:Fri, 27 Aug 2021 07:18 PM (IST)
Gujarat: सरकार का विरोध करने वालों को जिलाबदर नहीं किया जा सकता: हाई कोर्ट
सरकार का विरोध करने वालों को जिलाबदर नहीं किया जा सकता: हाई कोर्ट। फाइल फोटो

अहमदाबाद, जागरण संवाददाता। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन के मामले में एक सामाजिक कार्यकर्ता को चार जिलों से जिलाबदर करने के पुलिस के आदेश को गुजरात हाई कोर्ट ने रद कर दिया है। अदालत ने कहा कि सरकार के खिलाफ आवाज उठाने वालों को इस तरह जिलाबदर नहीं किया जा सकता।अहमदाबाद पुलिस द्वारा 39 वर्षीय कार्यकर्ता कलीम सिद्दीकी के खिलाफ जारी जिलाबदर के आदेश को जस्टिस परेश उपाध्याय ने गुरुवार को रद कर दिया। जस्टिस उपाध्याय ने कहा कि एक नागरिक को सरकार के खिलाफ अपनी शिकायत दर्ज कराने के लिए सजा नहीं दी जा सकती। 11 नवंबर, 2020 को जारी किए गए जिलाबदर आदेश के अनुसार, सिद्दीकी पर एक साल के लिए अहमदाबाद, गांधीनगर, खेड़ा और मेहसाणा जिलों में प्रवेश पर रोक लगा दी थी।

इससे पहले पुलिस ने जुलाई, 2020 में कलीम को एक नोटिस जारी कर पूछा था कि सरकार के खिलाफ प्रदर्शन के मामले में क्यों नहीं आपको दो साल के लिए जिलाबदर कर दिया जाए, लेकिन निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी, कांग्रेस विधायक इमरान खेड़ावाला व ग्यासुद्दीन शेख ने पुलिस को दिए अपने बयानों में कलीम को एक सामाजिक कार्यकर्ता बताया और उसकी मानसिकता अपराध प्रवृत्ति की नहीं होने की बात कही थी। इसके बाद भी पुलिस ने उन्हें एक साल के लिए जिलाबदर कर दिया था। सिद्दीकी ने जब हाई कोर्ट में इस आदेश को चुनौती दी तो अदालत ने मार्च, 2020 में इसके पालन पर रोक लगा दी थी। दिल्ली के शाहीन बाग में सीएए और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के खिलाफ आंदोलन से प्रेरित होकर सिद्दीकी और कुछ अन्य लोगों ने जनवरी और मार्च 2020 के बीच रखियाल स्थित अजीत मिल में धरना-प्रदर्शन किया था। इसके बाद दिसंबर, 2020 में पुलिस ने सीएए और एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए 500 अज्ञात लोगों के खिलाफ गैरकानूनी सभा करने की प्राथमिकी दर्ज की थी और दावा किया था कि सिद्दीकी भीड़ का हिस्सा थे। हाई कोर्ट ने कहा कि दो प्राथमिकी में से एक सिद्दीकी को बंदी बनाने का आधार बनी। दिसंबर, 2018 के मामले में कलीम को पहले ही बरी किया जा चुका है।

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