Gujarat: गुजरात की राजनीति में फिर सक्रिय हो सकते हैं वजुभाई

Gujarat वजुभाई ने फिर गुजरात की राजनीति में सक्रिय होने का संदेश दिया है। करडिया राजपूत समाज के बहाने वह अपनी राजनीतिक ताकत दिखाने वाले हैं। वाला ने यह भी कहा है कि वह जनसंघ व भाजपा के कार्यकर्ता थे कार्यकर्ता हैं और रहेंगे।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Publish:Sat, 24 Jul 2021 04:51 PM (IST) Updated:Sat, 24 Jul 2021 07:35 PM (IST)
Gujarat: गुजरात की राजनीति में फिर सक्रिय हो सकते हैं वजुभाई
कर्नाटक के पूर्व राज्यपाल वजुभाई ने फिर गुजरात की राजनीति में सक्रिय होने का दिया संदेश। फाइल फोटो

अहमदाबाद, जागरण संवाददाता। कर्नाटक के पूर्व राज्यपाल वजुभाई ने फिर गुजरात की राजनीति में सक्रिय होने का संदेश दिया है। करडिया राजपूत समाज के बहाने वह अपनी राजनीतिक ताकत दिखाने वाले हैं। वजुभाई ने यह भी कहा कि वह जनसंघ व भाजपा के कार्यकर्ता थे, कार्कुर्ता हैं और रहेंगे। गुजरात में भाजपा की जो भी अपेक्षा उनसे होगी, वे उसे पूरा करने का प्रयास करेंगे। वजुभाई ने करडिया राजपूत समाज के सम्मेलन में कहा कि सेवानिवृत्ति उनके लिए नहीं है, अगर रिटायर हो जाऊं तो गीता में कर्मयोग तलाशना पड़े। सम्मेलन में समाज की कुलदेवी भवानी माता का मंदिर बनाने का फैसला हुआ। लिबंडी हाइवे पर भवानी माता का भव्य मंदिर बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि भवानी माता का सब पर आशीर्वाद रहे तथा प्रेरणा मिलती रहे।

वजुभाई ने रिटायर होने से साफ इनकार करते हुए कहा कि वे भाजपा के हमेशा कार्यकर्ता रहेंगे। पार्टी की जो भी अपेक्षा होगी, उसे पूरा करने का भी प्रयास करेंगे। पूर्व राज्यपाल वजुभाई हाल ही में अपना सेवाकाल पूरा कर गुजरात लौटे हैं। वजुभाई का गुजरात की राजनीति में बड़ा वजूद है। सौराष्ट्र में उनके कद के नेता गिने-चुने ही होंगे। मुख्यमंत्री विजय रूपाणी के बाद सौराष्ट्र में वजुभाई को दूसरा सबसे बड़ा नेता माना जाता है। पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत केशुभाई पटेल सौराष्ट्र से आते हैं, उनके निधन के बाद सौराष्ट्र में उनकी बराबरी का कोई दूसरा पाटीदार नेता खड़ा नहीं हो सका है। वजुभाई की गुजरात वापसी से उनके फिर से राजनीति में सक्रिय होने की अटकलें शुरू हो गई हैं।

समाज के सम्मेलन के माध्यम से वाला ने भी अपना रुख साफ कर दिया कि वह रिटायर होने वाले नहीं हैं। वजुभाई के इस बयान का भविष्य की राजनीति पर क्या असर पड़ेगा यह कहना फिलहाल मुश्किल है, लेकिन एक बात तो उन्होंने खुद साफ कर दी है कि वे राजनीति से रिटायर नहीं होंगे। इसका मतलब साफ है कि गुजरात की राजनीति में अपनी भूमिका बनाना चाहते हैं। गुजरात की राजनीति में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले काफी उथल-पुथल की संभावनाएं हैं और यह प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ही नहीं बल्कि भाजपा में भी हो सकता है। पार्टी नेता खुद यह मानने लगे हैं कि केंद्रीय आलाकमान कभी भी कोई बड़ा बदलाव कर सकता है। इसके पीछे पाटीदार वोट बैंक की राजनीति की खासी भूमिका रहेगी। 

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