उत्तर गुजरात की सबसे बड़ी दूधसागर डेयरी के चुनाव में पूर्व मंत्री विपुल चौधरी गुट की करारी हार
दूधसागर डेयरी के चुनाव में गुजरात के पूर्व मंत्री विपुल चौधरी गुट बुरी तरह हार गया है। दूधसागर डेयरी से जुड़े ट्रस्ट के सदस्यों वह इसके सदस्यों ने मंगलवार को मतदान किया 1129 सदस्यों में से 1117 सदस्यों ने मतदान किया इस चुनाव में 99.11 प्रतिशत मतदान हुआ।
अहमदाबाद, जागरण संवाददाता। उत्तर गुजरात की सबसे बड़ी दूधसागर डेयरी के चुनाव (Dudhsagar dairy Election) में गुजरात के पूर्व मंत्री विपुल चौधरी (Vipul Chaudhary) के गुट की करारी हार हुई है। परिवर्तन पैनल के अशोक चौधरी को 15 में से 13 मत मिले हैं। उत्तर गुजरात कि मेहसाना दूधसागर डेयरी के चुनाव को लेकर पिछले दो-तीन महीने से भारी उठापटक चल रही थी। करीब 4000 करोड़ रुपए के टर्नओवर वाली मेहसाना दूधसागर डेयरी के प्रबंधन मंडल पर कब्जा करने के लिए ट्रस्टी मंडल के दो गुट आमने-सामने थे। डेरी पर लंबे समय तक राज करने वाले विपुल चौधरी हाल 22 करोड़ रुपए के पोषाहार वितरण में अनियमितता तथा डेरी में करोड़ों रुपए की अनियमित लेनदेन के मामले में फंसे हुए हैं।
दूधसागर डेयरी से जुड़े ट्रस्ट के सदस्यों वह इसके सदस्यों ने मंगलवार को मतदान किया, 1129 सदस्यों में से 1117 सदस्यों ने मतदान किया इस चुनाव में 99.11 प्रतिशत मतदान हुआ। इसमें अशोक चौधरी गुट की जीत हुई। इसके अलावा दूधसागर डेयरी के 15 डेरी सदस्यों में से 13 अशोक चौधरी के पक्ष में रहे विपुल चौधरी के पक्ष में केवल दो ही डेयरी सदस्य थे। गौरतलब है कि पिछले माही दूधसागर डेहरी में करोड़ों रुपए की हेरा फेरी के मामले में सीआइडी की क्राइम ब्रांच ने विपुल चौधरी की धरपकड़ की थी। विपुल चौधरी पर डेरी के कर्मचारियों को अतिरिक्त बोनस दिलाकर उनसे अपने खाते में करोड़ों की रकम जमा करवाने का मामला चल रहा है।
विपुल चौधरी ने इन पैसों से पोषाहार अनियमित मामले की रकम भरने तथा दिल्ली के ज्वेलर्स से सोना खरीद लिया था। उत्तर गुजरात की सबसे बड़ी दूधसागर डेहरी गुजरात मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन से जुड़ी हुई है कथा दूधसागर ब्रांड के नाम से ही अपना अलग दूध घी दही तथा अन्य दूध प्रोडक्ट का उत्पादन करती है। विपुल चौधरी के पिता ने ही इस दूधसागर डेयरी की स्थापना की थी तथा लंबे समय तक विपुल चौधरी इस डेरी के संचालक रहे लेकिन पोषाहार घोटाला मामले में फंसने के बाद उन्हें डेरी का प्रबंधन छोड़ना पड़ा था।
गौरतलब है कि महाराष्ट्र में सूखा पड़ने के दौरान गुजरात की इस डेरी ने महाराष्ट्र सरकार को 22 करोड़ का पोषाहार दान के रूप में उपलब्ध कराया था। लेकिन गुजरात के सहकारी रजिस्ट्रार ने इसे अनियमितता बताते हुए विपुल चौधरी के खिलाफ एक केस दर्ज कराया था। इसकी रकम की भरपाई के लिए चौधरी ने डेरी के कर्मचारियों को अतिरिक्त बोनस दिलाकर अपने खाते में वापस धन ट्रांसफर करा लिया था। इस मामले में उनके खिलाफ फौजदारी केस चल रहा है।