Gujarat: शहीद पति की याद में रखा करवाचौथ का व्रत, दुआ भी की

Gujarat गुजरात के अहमदाबाद में करवाचौथ पर शहीद सैनिक सत्‍यप्रकाश त्रिपाठी की पत्‍नी अनुपमा ने भी यह व्रत रखा और रात को चांद देखने के बाद छलनी से शहीद का फोटो देखकर व्रत पूरा किया और दुआ भी की।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Publish:Mon, 25 Oct 2021 04:11 PM (IST) Updated:Mon, 25 Oct 2021 04:11 PM (IST)
Gujarat: शहीद पति की याद में रखा करवाचौथ का व्रत, दुआ भी की
गुजरात के अहमदाबाद में शहीद पति सत्यप्रकाश की याद में पत्नी अनुपमा ने रखा करवाचौथ का व्रत। फाइल फोटो

अहमदाबाद, शत्रुघ्न शर्मा। करवाचौथ पर अनुपमा ने भी व्रत रखा और छलनी से शहीद पति सत्‍यप्रकाश का फोटो देखकर उसकी लंबी उम्र की दुआ भी की। अनुपमा कहती हैं, वो आज भी मेरे साथ हैं और ड्यूटी पर तैनात हैं। जहां भी रहें ईश्‍वर उनकी रक्षा करें। करवाचौथ पर जब हर सुहागन महिला व्रत रखकर अपने पति के लंबे जीवन की दुआ कर रही थी, तब शहीद सैनिक सत्‍यप्रकाश त्रिपाठी की पत्‍नी अनुपमा ने भी यह व्रत रखा और रात को चांद देखने के बाद छलनी से शहीद का फोटो देखकर व्रत पूरा किया। मूल रूप से उत्‍तर प्रदेश के देवरिया जिले के गांव खुदिया खुर्द के सत्‍यप्रकाश का विवाह मई, 2007 में गोरखपुर के ब्रम्‍हपुर गांव के कृष्‍णमोहन दुबे की पुत्री अनुपमा के साथ हुआ था। उनके दो पुत्रियां भार्गवी (10) व जाह्नवी (3) है। सत्‍यप्रकाश की शिक्षा-दीक्षा अहमदाबाद में हुई तथा अनुपमा अब भी अपनी दोनों पुत्रियों के साथ अहमदाबाद में रहती हैं। करवाचौथ के व्रत के बाद उन्‍होंने जागरण को बताया कि शहीद सत्‍यप्रकाश आज भी मेरे साथ हैं। पहले भी देश की रक्षा के लिए ड्यूटी पर तैनात रहते थे, आज भी कहीं ना कहीं रक्षा के लिए तैनात हैं। उनको विश्‍वास है कि जहां भी होंगे मेरी दुआ और व्रत उनकी रक्षा करेंगे। अनुपमा बताती हैं कि उनको अभी तक कोई सरकारी सहायता नहीं मिली है, अनुकंपा नौकरी के लिए विभागीय कार्यवाही शुरू की गई है।

परिवार को घर का मुखिया खोने का गम

सत्‍यप्रकाश 23 मार्च, 2002 को 619 एडी ब्रिगेड सिंगल कोर युनिट जैसलमेर में भर्ती हुए। इसके बाद उनको श्रीनगर में तैनात कर दिया गया था, यहां उनकी तीसरी बार नियुक्ति की गई थी। सत्‍यप्रकाश तीन साल एनएसजी कमांडो भी रहे। जुलाई, 2020 में सांस की तकलीफ के चलते उन्‍हें उधमपुर कमांड अस्‍पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनका निधन हो गया था। निधन के बाद उनको श्रीनगर से पितृभूमि देवरिया (उत्‍तर प्रदेश) लाया गया, जहां राजकीय सम्‍मान के साथ उनका अंतिम संस्‍कार किया गया। सेवा काल में उन्‍हें कई अवार्ड मिले। शहीद जवान की पत्‍नी व परिवार को घर का मुखिया खोने का गम तो है ही। साथ ही, उनके इस दुनिया से चले जाने के बाद सरकार व प्रशासन की बेरुखी भी सताने लगी है।

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