गुजरात में दशहरे का दिन बना ऐतिहासिक, 14 लोगों के 50 अंग दान से 38 का जीवन संवरा; 32 की आंखों में आई रोशनी

गुजरात के सिविल हॉस्पिटल में दशहरे के दिन कई लोगों जिंदगी संवर गई। 14 ब्रेनडेड व्यक्तियों के अंगदान प्राप्त करने में सफलता मिली हैं। इनके कुल 50 अंग स्वीकार किए गए इसमें 14 लीवर 25 किडनी 4 स्वादुपिंड 3 ह्रदय दो हाथ 32 आंखें और दो फेफड़े शामिल हैं।

By Babita KashyapEdited By: Publish:Sat, 16 Oct 2021 11:06 AM (IST) Updated:Sat, 16 Oct 2021 11:06 AM (IST)
गुजरात में दशहरे का दिन बना ऐतिहासिक, 14 लोगों के 50 अंग दान से 38 का जीवन संवरा; 32 की आंखों में आई रोशनी
14 ब्रेनडेड व्यक्तियों के अंगदान प्राप्त करने में सफलता मिली

अहमदाबाद, जागरण संवाददाता। सिविल हॉस्पिटल में दशहरा का दिन ऐतिहासिक साबित हुआ हैं। नडियाद के 52 वर्षीय अरुण प्रजापति के ब्रेन डेड होने पर परिजनों ने उनके अंगदान की स्वीकृति दी। इससे उनकी दोनों किडनी, फेफड़ों, दोनों हाथ सहित अंगों का दान कर कई लोगों को नई जिंदगी मिली। सिविल हॉस्पिटल के अधीक्षक डॉ.राकेश जोशी ने बताया कि अरुण के दोनों हाथ मुंबई में चिकित्सा ले रहे जयपुर के 22 वर्षीय युवक को प्रत्यारोपण के लिए ग्रीन कोरीडोर द्वारा भेजा गया हैं। वहीं ह्रदय और फेंफड़ों को भी कोरीडोर द्वारा चेन्नई भेजा गया हैं। दोनों किडनी, सिविल मेडीसिटी स्थित किडनी हॉस्पिटल में प्रत्यारोपण के लिए भेजा गया।

सिविल अस्पताल के अधीक्षक डॉ.जोशी ने बताया कि सिविल अस्पताल को रिट्राइवल सेंटर की स्वीकृति मिलने के बाद 14 ब्रेनडेड व्यक्तियों के अंगदान प्राप्त करने में सफलता मिली हैं। इनके कुल 50 अंग स्वीकार किए गए हैं। इसमें 14 लीवर, 25 किडनी, 4 स्वादुपिंड, 3 ह्रदय, दो हाथ और दो फेफड़े शामिल हैं। इसके अतिरिक्त 32 आंख का दान प्राप्त करने में सफलता मिली हैं।

इन सभी अंगों के दान के द्वारा 38 से भी अधिक व्यक्तियों की जीवनशैली में सुधार आया हैं। उन्हें नई जिंदगी मिली हैं। आज अरुण भाई के अंगदान के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि वह नड़ियाद का निवासी था। उसके दिमाग में गांठ हो गई थी। जिससे चिकित्सा के लिए सिविल हॉस्पीटल में भर्ती किया गया था। जहां ब्रेनडेड घोषित होने पर अस्पताल की सोटो टीम द्वारा अरुण भाई के परिजनों को अंगदान के लिए समझाया गया था।

परिवारजनों द्वारा स्वीकृति देने पर ह्रदय, फेफड़ों और किडनी का दान किया गया। साथ ही साथ पहली बार अंगदान में दोनों हाथ दान के लिए भी परिजनों ने सहमति दी। उल्लेखनीय है कि दोनों हाथ दान में स्वीकार करने के बाद एक ही जरुरतमंद व्यक्ति में दोनों हाथ का प्रत्यारोपण किया जाता हैं। राज्य में इस प्रकार की प्रथम घटना हैं। जबकि पूरे देश में संभवतः 2015 में पहली बार दोनों हाथ का दान स्वीकार कर प्रत्यारोपण किया गया था। अभी तक कुल 5 घटनाओं में इस प्रकार की सफलता मिली हैं। वहीं विश्व स्तर पर यह 110वीं घटना हैं।

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