Anti Viral Coating: वायरल संक्रमण से लड़ेगी एंटी वायरल कोटिंग

Anti Viral Coating आइआइटी के शोधकर्ताओं के मुताबिक यह कोटिंग सामग्री वायरल संक्रमण को लंबे समय तक रोकने में सक्षम है। संक्रमण से विशेष रूप से सर्दी जुखाम बुखार खसरा व चेचक जैसी बीमारी होती है। कभी-कभी ये संक्रमण गंभीर व संभावित रूप से जानलेवा जटिलता में बदल सकते है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Publish:Sun, 11 Jul 2021 07:41 PM (IST) Updated:Sun, 11 Jul 2021 07:41 PM (IST)
Anti Viral Coating: वायरल संक्रमण से लड़ेगी एंटी वायरल कोटिंग
वायरल संक्रमण से लड़ेगी एंटी वायरल कोटिंग। फाइल फोटो

नई दिल्ली, आइएएनएस। वायरल संक्रमण के खिलाफ लड़ाई में गांधीनगर स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) ने विशिष्ट उपलब्धि हासिल की है। देश के अग्रणी इंजीनियरिंग संस्थान ने एक एंटी-वायरल कोटिंग सामग्री तैयार की है, जो लोगों को वायरल संक्रमण से बचाएगी। इस सामग्री को किसी भी तरह की सतह पर आसानी से लगाया जा सकता है। आइआइटी के शोधकर्ताओं के मुताबिक यह कोटिंग सामग्री वायरल संक्रमण को लंबे समय तक रोकने में सक्षम है। वायरल संक्रमण से विशेष रूप से सर्दी जुखाम, बुखार, खसरा और चेचक जैसी बीमारियां होती हैं। कभी-कभी ये वायरल संक्रमण गंभीर और संभावित रूप से जानलेवा जटिलताओं में बदल सकते हैं। इस तरह के वायरल संक्रमण से दस्त और न्यूमोनिया जैसी बीमारियां भी हो सकती हैं।

आइआइटी गांधीनगर के शोधकर्ताओं की एक टीम ने यह एंटी वायरल कोटिंग सामग्री विकसित की है। यह कोटिंग सामग्री गैर रोगजनक वायरस के खिलाफ अत्यधिक प्रभावी है। साथ ही साथ यह गैर विषैला, पर्यावरण के अनुकूल और पारदर्शी भी है। आइआइटी ने कहा कि गैर-विषैला होने की वजह से इस कोटिंग सामग्री को घर के अंदर और बाहर शीशे की खिड़कियों, लकड़ी और प्लास्टिक के फर्नीचर, वाहनों, आटोमोबाइल, दरवाजों के हैंडल इत्यादि पर आसानी से लगाया जा सकता है।

कोरोना के खिलाफ परीक्षण नहीं हुआ

यह अनूठी कोटिंग सामग्री 45 नैनोमीटर मोटी है, जिसके पैटेंट के लिए भारत की तरफ से रजिस्ट्रेशन भी कराया गया है। हालांकि, अभी इस एंटी वायरल कोटिंग सामग्री का कोरोना वायरस के खिलाफ परीक्षण नहीं किया गया है। इस कोटिंग का विभिन्न वायरल और बैक्टीरिया वायरस के खिलाफ परीक्षण किया जा रहा है।

लंबे समय तक बनी रहती है कोटिंग

शोधकर्ताओं ने इस सामग्री का परीक्षण करने के लिए इसे ऐसे सतहों पर लगाया जो बार-बार लोगों के संपर्क में आती है। ऐसी सतहों की बार-बार धुलाई भी की गई। इसमें पाया गया कि कई धुलाई के बाद भी एंटी कोटिंग सामग्री में किसी तरह का बदलाव नहीं आता। उसकी वायरल रोधी क्षमता पहले की तरह बनी रहती है। इससे यह स्पष्ट है कि लोगों के बीच वायरल संक्रमण के प्रसार की यह रोकथाम करेगी।

पर्यावरण के अनुकूल भी है

इस एंटी वायरल कोटिंग सामग्री को तैयार करने में ऐसे घटकों का इस्तेमाल किया गया है जो विषाक्त नहीं हैं। अभी तक एंटी वायरल कोटिंग सामग्री तैयार करने में तांबा या चांदी को मुख्य घटक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है जो न सिर्फ विषैला बल्कि पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाला भी होता है। ऐसे में इनका घर के अंतर प्रयोग करना बहुत जोखिम का काम होता है।

शोध के नतीजे आशाजनक

शोध करने वाली टीम में शामिल और मैटेरियल इंजीनियरिंग विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर एमिला पांडा ने कहा कि इस सामग्री को लेकर किए गए शोध के नतीजे आशाजनक हैं। पारदर्शी, किफायती और पर्यावरण अनुकूल होने के चलते आने वाले दिनों में इसके व्यावसायीकरण में अपार संभावनाएं भी हैं।

ये हैं शोध करने वाली टीम में शामिल

शोध करने वाले दल में पांडा के अलावा मैटेरियल इंजीनियरिंग विभाग में सहायक प्रोफेसर, अभय राज सिंह गौतम, बायोलाजिकल इंजीनियरिंग विभाग में फेलो विरुपक्षी सोपिना रामलिंगस्वामी, शोध के छात्र निशाबेन एम पटेल और कुछ अन्य छात्र भी शामिल थे। इस शोध पर आधारित एक रिपोर्ट अंतरराष्ट्रीय स्तर की अग्रणी पत्रिका एल्सेवियर के जर्नल आफ अलायज एंड कंपाउंड में प्रकाशित हुई है।

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