Gujarat: युवाओं को नशे से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास किए जाने चाहिएः आचार्य देवव्रत

Gujarat गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने रविवार को लेखक आदित्य कांत के प्रथम उपन्यास हाई ऑन कसोल का विमोचन करते हुए कहा है कि देश के युवाओं को नशे से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास आवश्यक हैं।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Publish:Sun, 18 Jul 2021 03:47 PM (IST) Updated:Sun, 18 Jul 2021 03:47 PM (IST)
Gujarat: युवाओं को नशे से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास किए जाने चाहिएः आचार्य देवव्रत
युवाओं को नशे से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास किए जाने चाहिएः आचार्य देवव्रत। फाइल फोटो

अहमदाबाद, जागरण संवाददाता। गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि नशे के कारण देश का युवा धन बर्बाद हो रहा है। नशाखोरी से युवाओं को बचाने के लिए सामूहिक प्रयास किए जाने चाहिए। युवाओं में नशीले पदार्थ के सेवन की बुराई के खिलाफ जन अभियान की सराहना करते हुए राज्यपाल ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में उनके नशे के खिलाफ अभियान तथा स्थानीय लोगों और बाहर से आने वाले लोगों के बीच की समस्या और जीवन संघर्ष को लेखक आदित्य कांत ने पुस्तक में बहुत ही जीवंत तरीके से पेश किया है। राज्यपाल ने लेखक आदित्य कांत के प्रथम उपन्यास हाई ऑन कसोल का विमोचन करते हुए कहा कि देश के युवाओं को नशे से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास आवश्यक है।

हिमाचल प्रदेश में पार्वती घाटी प्रदेश की पार्श्वभूमि में आलेख, कथानक द्वारा यहां युवाओं को ड्रग्स, नशीले पदार्थों के सेवन से दूर रहने का असरदार संदेश इस पुस्तक के माध्यम से दिया गया है। राज्यपाल ने हिमाचल प्रदेश के अपने कार्यकाल के दौरान युवाओं में ड्रग्स व नशीले पदार्थों के सेवन की बुराई के खिलाफ जन अभियान शुरू कर युवाओं को नशा मुक्त करने की पहल की थी। इस उपन्यास में स्थानीय लोगों को बाहर से आने वाले लोगों के बीच की समस्या और जीवन संघर्ष को भी दर्शाया गया है। राज्यपाल ने लेखक आदित्य कांत की इसके लिए सराहना भी की है। राज्यपाल देवव्रत आचार्य ने कहा कि नशे की बुराई को खत्म करने के लिए हिमाचल सहित अन्य राज्यों में भी हर स्तर पर पहल की जा रही है। ऐसे में नशे का शिकार बने व्यक्ति का नशा मुक्ति के लिए संघर्ष और उसमें मिलने वाली विजय को वर्णित करने वाला यह दस्तावेज नशा मुक्ति अभियान को नई प्रेरणा देगा। आदित्य कांत द्वारा रचित हाई ऑन कसोल करीब चार साल के शोध के बाद तैयार की गई है।

यह उपन्यास कुल्लू की घाटी में स्थित मिनी इजरायल के तौर पर पहचाने जाने वाले छोटे से गांव कसोल की वास्तविक स्थिति का वर्णन है, जो नशे की आदत से संघर्ष करके नशा मुक्ति की कोशिश करने वाले लोगों के लिए आशा की किरण के समान है। यह पुस्तक स्थानीय लोगों के बाहर आने से लोगों के साथ उनके संघर्ष। दूसरी ओर, हिमाचल, पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में युवाओं में फैल रही नशे की आदत का भी वर्णन इस पुस्तक में है। कैसे इन राज्यों में युवा नशे की आदत से परेशान हैं तथा इससे छुटकारा पाना उनके तथा उनके परिवार के सदस्यों के लिए एक चुनौती बन गया है। देश में नशे तथा नशीले पदार्थों के खिलाफ केंद्र व राज्य सरकारों के विविध ऑपरेशन के बावजूद इस बुराई को समाप्त नहीं किया जा सका है, यह तभी समाप्त होगा। जब युवा पीढ़ी खुद जागरूक बंद कर नशे से तोबा कर ले। यह तभी होगा जब समाज में सामाजिक जागरूकता हो तथा देश का युवा धन इस बुराई के खिलाफ संकल्प बद्ध हो। 

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