Fact Check Story: पुलिस से पिट रहा सिख नौजवान भगत सिंह नहीं हैं, 1919 में लगे मार्शल लॉ के दौरान हुए जुल्म की तस्वीर गलत दावे से वायरल

विश्वास न्यूज की जांच में यह दावा गलत निकला। जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद पंजाब में लगे मार्शल लॉ के दौरान औपनिवेशिक कालीन पुलिसिया अत्याचार को बयां करती तस्वीर को स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह का बताकर वायरल किया जा रहा है।

By TilakrajEdited By: Publish:Sat, 18 Sep 2021 12:46 PM (IST) Updated:Sat, 18 Sep 2021 12:46 PM (IST)
Fact Check Story: पुलिस से पिट रहा सिख नौजवान भगत सिंह नहीं हैं, 1919 में लगे मार्शल लॉ के दौरान हुए जुल्म की तस्वीर गलत दावे से वायरल
दावा किया जा रहा तस्वीर में पुलिस से पिट रहा सिख नौजवान स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह हैं

नई दिल्ली (विश्वास न्यूज)। सोशल मीडिया पर बेहद पुरानी एक ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीर को साझा किया जा रहा है, जिसमें एक पुलिस अधिकारी (औपनिवेशिक कालीन वर्दी पहने हुए) सिख नौजवान को पीटता हुआ नजर आ रहा है। दावा किया जा रहा है तस्वीर में पुलिस अधिकारी से पिट रहा सिख नौजवान कोई और नहीं, स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह हैं।

विश्वास न्यूज की जांच में यह दावा गलत निकला। जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद पंजाब में लगे मार्शल लॉ के दौरान औपनिवेशिक कालीन पुलिसिया अत्याचार को बयां करती तस्वीर को स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह का बताकर वायरल किया जा रहा है।

वायरल हो रही तस्वीर के साथ किए गए दावे की सच्चाई जानने के लिए हमने इसके ऑरिजिनल सोर्स को खोजना शुरू किया। गूगल रिवर्स इमेज सर्च में हमें यह तस्वीर 'Kim A. Wagner' के ट्विटर प्रोफाइल से किए गए एक पुराने ट्वीट में मिली। 22 मई 2018 को इस प्रोफाइल से किए गए ट्वीट में दो तस्वीरों का इस्तेमाल किया गया है, जिसमें से एक तस्वीर वायरल तस्वीर से हूबहू मेल खाती है।

तस्वीर के साथ दी गई जानकारी में बताया गया है, ‘पंजाब के कसूर में सार्वजनिक रूप से सजा देने (कोड़े मारने) की यह दो तस्वीरें हैं और इन्हें बेंजामिन हॉर्निमैन ने 1920 में भारत से बाहर ले जाकर प्रकाशित किया।’

ट्वीट में किए गए दावे की पुष्टि के लिए हमने न्यूज सर्च की मदद ली। न्यूज सर्च में हमें sabrangindia.in की वेबसाइट पर प्रकाशित आर्टिकल का लिंक मिला, जिसमें इस तस्वीर का इस्तेमाल किया गया है। '100 years after the Jallianwala Bagh, documents recording the repression and resistance remain hidden in the National Archives' शीर्षक से प्रकाशित आर्टिकल में इस तस्वीर को पंजाब का ही बताया गया है।

तस्वीर के साथ दी गई जानकारी में इसे 1919 का बताया गया है, जब अंग्रेज अधिकारी सड़कों पर लोगों को सरेआम सजा देते थे या उन्हें कोड़े मारते थे। विश्वास न्यूज ने इस तस्वीर की पुष्टि के लिए 'Shaheed Bhagat Singh Centenary Foundation' के चेयरमैन और शहीद भगत सिंह की बहन अमर कौर के बेटे प्रोफेसर जगमोहन सिंह से संपर्क किया। सिंह ने बताया, 'यह तस्वीर अप्रैल 1919 में हुए जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद 16 अप्रैल 1919 को अमृतसर में लागू हुए मार्शल लॉ के समय की है और इसमें नजर आ रहा सिख नौजवान भगत सिंह नहीं हैं।'

विश्वास न्यूज ने इसे लेकर प्रोफेसर चमन लाल से संपर्क किया। उन्होंने हमें बताया, 'जलियांवाला बाग हत्याकांड के एक दिन बाद भगत सिंह वहां पहुंचे और खून से सनी मिट्टी वो एक शीशी में भर लाए। इस शीशी को भगत सिंह के पैतृक गांव खटकर कलां स्मृति संग्रहालय में संभालकर रखा गया है।'

प्रोफेसर लाल ने बताया कि 15 अप्रैल को पूरे पंजाब में मार्शल लॉ लागू कर दिया गया और अमृतसर में जहां लेडी शेरवुड पर हमला हुआ और उन्हें बचाया गया वहां पर लोगों को घुटनों के बल रेंगकर चलने का जनरल डायर ने आदेश दिया। इस दौरान ऐसी कई तस्वीरें सामने आई, जिसमें लोगों को सरेआम मारा और पीटा गया।

हमारी पड़ताल में यह बात स्पष्ट होती है कि जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद पंजाब में लगे मार्शल लॉ के दौरान पुलिसिया अत्याचार को बयां करती तस्वीर को भगत सिंह का बताकर वायरल किया जा रहा है। भगत सिंह जलियांवाला बाग हत्याकांड से प्रेरित हुए थे, लेकिन पुलिस के हाथों सरेआम सजा पा रहे युवक की वायरल हो रही तस्वीर में नजर आ रहे युवा भगत सिंह नहीं हैं।

विश्वास न्यूज पर इस फैक्ट चेक रिपोर्ट को पढ़ने और फैक्ट चेकिंग की प्रक्रिया को समझने के लिए यहां क्लिक करें।

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