Fact Check Story: प्लास्टिक बीड्स के उत्पादन के वीडियो को प्लास्टिक चावल बता कर किया जा रहा है शेयर
विश्वास न्यूज ने इस तस्वीर के मूल स्रोत को ढूंढ़ने के लिए इस वीडियो के स्क्रीनशॉट्स को गूगल रिवर्स इमेज सर्च टूल का इस्तेमाल कर ढूंढा। विश्वास न्यूज को यह वीडियो xinhuanet की एक खबर में मिला ।
नई दिल्ली, विश्वास न्यूज। सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है। इस वीडियो में एक मशीन से छोटे छोटे दाने बनते हुए नज़र आ रहे हैं। वीडियो के साथ दावा किया जा रहा है कि यहाँ प्लास्टिक के चावल बनाये जा रहे हैं। दैनिक जागरण की फैक्ट चेकिंग टीम विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि यह दावा गलत है।
विश्वास न्यूज ने इस तस्वीर के मूल स्रोत को ढूंढ़ने के लिए इस वीडियो के स्क्रीनशॉट्स को गूगल रिवर्स इमेज सर्च टूल का इस्तेमाल कर ढूंढा। विश्वास न्यूज को यह वीडियो xinhuanet की एक खबर में मिला। खबर के मुताबिक यह वीडियो प्लास्टिक ग्रैन्यूल्स बनाने की प्रक्रिया का है। रिपोर्ट के मुताबिक, 'वीडियो में इस्तेमाल होने वाले उपकरण प्लास्टिक उद्योग में बहुत आम हैं और प्लास्टिक के दाने बनाता है। यहाँ प्लास्टिक से छोटे छोटे छर्रे बनाये जाते हैं जो पैकेजिंग में काम आते हैं।'
विश्वास न्यूज ने इस विषय में प्लास्टिब्लेंड्स इंडिया लिमिटेड के प्रोडक्शन इंजीनियर रमेश जैन से बात की। उन्होंने हमें बताया 'वीडियो में दिख रही मशीन को प्लास्टिक इंडस्ट्री में रिसाइकिल्ड प्लास्टिक से ग्रैन्यूल्स बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह प्रोसेस चीन समेत कई हाई प्लास्टिक प्रोडक्शन देशों में प्रचिलित है।' उन्होंने हमारे साथ इस मशीन का प्रोटोटाइप डिजाइन भी शेयर किया।
Fssai के मिथ बस्टर सेक्शन में भी इस विषय में स्पष्टीकरण देते हुए लिखा गया है " CLARIFICATION REGARDING PRESENCE OF PLASTIC RICE IN MARKET: It is the natural phenomenon of rice to burn since it is a complex carbohydrate and since rice is 80% starch, it has cohesive and adhesive properties and when the rice is cooked and transformed into a ball, the air gets entrapped & becomes bouncy like a ball. Thus, it should be ruled out that the rice contains plastic."
फेसबुक यूजर Mohammad Mubarak की सोशल स्कैनिंग से पता चला कि वे कश्मीर से हैं और फेसबुक पर उनके 4.9K फालोअर्स हैं।
निष्कर्ष: विश्वास न्यूज ने अपनी पड़ताल में पाया कि यह दावा गलत है। इस मशीन द्वारा प्लास्टिक के दाने बनाये जा रहे थे, जिन्हे नाजुक वस्तुओं की पैकेजिंग में इस्तेमाल किया जाता है, न की प्लास्टिक के चावल।
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