Fact Check Story: कौशांबी की पुरानी तस्वीर को किया जा रहा किसानों से जोड़कर गलत दावे के साथ वायरल

सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हो रही थी जिसमें एक जीप के अंदर रखे शव पर एक पुलिसवाला पैर रखे हुए बैठा दिखाई दे रहा था। ये कहते हुए पोस्ट वायरल हो रही है कि फोटो यूपी के किसानों की है जिनकी हाल में लखीमपुर खीरी में मौत हुई।

By Shashank PandeyEdited By: Publish:Mon, 18 Oct 2021 11:48 AM (IST) Updated:Mon, 18 Oct 2021 11:48 AM (IST)
Fact Check Story: कौशांबी की पुरानी तस्वीर को किया जा रहा किसानों से जोड़कर गलत दावे के साथ वायरल
सोशल मीडिया पर ये तस्वीर वायरल हो रही है।(फोटो: दैनिक जागरण)

नई दिल्ली, जेएनएन। दैनिक जागरण की फैक्ट चेकिंग टीम विश्वास न्यूज़ ने देखा की सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हो रही थी, जिसमें एक जीप के अंदर रखे शव पर एक पुलिसवाला पैर रखे हुए बैठा दिखाई दे रहा था। अब इसी फोटो को सोशल मीडिया पर मौजूद यूजर यह कहते हुए वायरल कर रहे हैं कि यह तस्वीर यूपी के किसानों की है, जिनकी हाल में लखीमपुर खीरी में मौत हुई। विश्वास न्यूज़ ने इस वायरल पोस्ट की पड़ताल का फैसला किया और पता चला कि इस तस्वीर का किसानों से कोई सम्बन्ध नहीं है, बल्कि यह फोटो कौशांबी की एक पुरानी तस्वीर है, जिसे अब एक नए और फर्जी एंगल के साथ वायरल किया जा रहा है।

फैक्ट चेक करने के लिए सबसे पहले विश्वास न्यूज़ ने इस फोटो को गूगल रिवर्स इमेज के ज़रिये तलाश करना शुरू किया। सर्च में यह फोटो एक न्यूज़ वेबसाइट पर अगस्त 2018 की खबर में मिली। यहाँ खबर में बताया गया,‘उत्तर प्रदेश के कौशांबी जिले में पुलिस का अमानवीय चेहरा एक बार फिर सामने आया है। जहां दो पक्षों के बीच हुए झगड़े में 2 लोगों की मौत के बाद पुलिस ने शवों को बिना सील किए जीप में जानवरों की तरह लादकर पोस्टमार्टम हाउस पहुंचाया। इतना ही नहीं, जीप में लादे गए शवों के साथ बैठे सिपाही ने मानवता को शर्मसार करते हुए उनके ऊपर पैर रख लगभग 30 किमी का सफर तय किया'। इसी बुनियाद पर न्यूज़ सर्च किये जाने पर यूपी पंजाब केसरी और ब्रेकिंग ट्यूब नाम की वेबसाइट पर भी आर्टिकल मिला।

खबर के मुताबिक, ‘कौशांबी के चंदूपुर अमरायिन गांव में गुरुवार सुबह खड़ंजा निर्माण को लेकर दो पक्षों के बीच गोलीबारी हुई थी। इस दौरान प्रधान के भाई रामलखन और विपक्षी ईश्वर शरण की मौत हो गई थी। दोहरे हत्याकांड के बाद हरकत में आई पुलिस ने शवों को सरकारी जीप से पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। जिस सिपाही को पीएम कराने की जिम्मेदारी दी गई थी, वह जीप में एक मृतक के सीने पर पैर रखकर बैठा रहा। छाती पर पैर रखे हुए घटनास्थल से पोस्टमार्टम हाउस तक गया।’

तस्वीर की पुष्टि के लिए विश्वास न्यूज़ ने दैनिक जागरण के कौशांबी ब्यूरो के चीफ रिपोर्टर शैलेन्द्र द्रिवेदी से संपर्क किया और वायरल पोस्ट उनके साथ शेयर की। उन्होंने बताया यह फोटो 2018 की है, जब आपसी लड़ाई के चलते कुछ लोगों की मौत हुई थी और जो पुलिसवाला शव पर पैर रखे हुए दिखाई दे रहा है, उसे सस्पेंड भी कर दिया गया था।

विश्वास न्यूज की इस फैक्ट चेक स्टोरी को विस्तार से पढ़ने और झूठे दावे की पोल खोलने का स्टेप बाय स्टेप प्रॉसेस देखने के लिए यहां क्लिक करें

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