'मिर्जापुर' में अपने तकियाकलाम 'ये भी ठीक है' पर रियल लाइफ में कितना यकीन करते हैं प्रियांशु पेनयुली, जानें उन्हीं से
मैं काफी वक्त से इसके इंतजार में था। प्रशंसकों से इतना प्यार मिला है कि लगता है कि अब वह वक्त आ गया है जब मैं पूरी फिल्म का भार अपने कंधों पर उठाने के लिए तैयार हूं।
प्रियंका सिंह, मुंबई। हालीवुड फिल्म ‘एक्सट्रैक्शन’ और ‘राक आन 2’ सहित कई हिंदी फिल्मों और ‘मिर्जापुर 2’ वेब सीरीज का हिस्सा रहे अभिनेता प्रियांशु पेनयुली वैरायटी किरदार निभा रहे हैं। जी5 पर 15 अक्टूबर को रिलीज होने वाली फिल्म ‘रश्मि राकेट’ में वह आर्मी आफिसर की भूमिका में नजर आएंगे। इसके बाद फिल्म ‘पिप्पा’ में एक बार फिर वह सैन्य अधिकारी की भूमिका में दिखेंगे। उनसे प्रियंका सिंह की बातचीत के अंश:
लीड किरदार करना करियर के इस मोड़ पर कितना अहम है?
मैं काफी वक्त से इसके इंतजार में था। प्रशंसकों से इतना प्यार मिला है कि लगता है कि अब वह वक्त आ गया है, जब मैं पूरी फिल्म का भार अपने कंधों पर उठाने के लिए तैयार हूं। अगर सपोर्टिंग किरदार में भी काम करूंगा तो वह लीड सपोर्टिंग की तरह ही होगा। आजकल हीरो की भी परिभाषा बदल गई है। अब टिपिकल हीरो नहीं रहे हैं। रणवीर कपूर, रणवीर सिंह, विक्की कौशल, आयुष्मान खुराना,
राजकुमार राव जैसे कलाकार यह पैटर्न बदल रहे हैं।
आपके पिता आर्मी से रहे हैं। क्या इससे किरदार को समझने में आसानी रही?
हां, बचपन से पापा को यूनिफार्म में देखा है। आर्मी स्कूल में पढ़ाई की है। यूनिफार्म कैसे पहनना है, कैप किस एंगल पर होगी, बैज कहां लगेगा, सैल्यूट करते वक्तहाथ कैसे रखना चाहिए इन छोटी-छोटी बातों की जानकारी मुझे पहले से थी। ये बातें संवेदनशील हैं, इसलिए इस मामले में गलती की कोई गुंजाइश नहींथी।
आपने कभी आर्मी ज्वाइन करने के बारे में नहीं सोचा?
बिल्कुल सोचा था। मैं काफी वक्त तक एनसीसी में रहा, लेकिन क्रिकेट भी भाता था, इसलिए उस ओर मुड़ गया। कुछ वक्त बाद फिर किसी और पेशे की तरफ आकर्षित हो जाता था, लेकिन इन सबके बीच ड्रामा एक ऐसी चीज थी, जो स्कूल में पांचवी क्लास से लगातार साथ रहा। मुझे एहसास हुआ कि ड्रामा मुझे हर किरदार निभाने का मौका देगा। विभिन्न प्रोफेशन के किरदारों को जीवंत करने का शौक अभिनय के जरिए पूरा हो रहा है। ट्रेलर में खुद पर भरोसा करने की बात है।
खुद पर कितना विश्वास रखते हैं, क्या वह विश्वास कभी डगमगाता है?
मैं जीवन की प्रेरणा खेल से जुड़े लोगों से लेता हूं। घर में बैठकर कोई अच्छा कलाकार नहीं बन सकता है। काम करते रहना जरूरी है। खिलाड़ी हर दिन ट्रेनिंग करते हैं, तभी वे एक दिन गोल्ड मेडल जीत पाते हैं। मैं भी अपने आप को ट्रेन करता रहता हूं। मुझे सिर्फ एक अच्छी फिल्म या वेब सीरीज चाहिए यह साबित करने के लिए कि मैं बहुत अच्छा एक्टर हूं, लेकिन वह कमाल एक दिन में नहीं हो जाएगा। आडिशन देते हुए कई बार फेल हुआ, पर हौसला बनाए रखा। हार-जीत तो परिणाम है, कोशिश करना हमारा काम है। कोई भी पेशा हो, कोशिश करते रहें।
फिल्म ‘पिप्पा’ में ‘रश्मि राकेट’ की ट्रेनिंग काम आई होगी। उसमें में भी आर्मी अफसर बने हैं?
हां, लेकिन उसकी ट्रेनिंग इससे ज्यादा हुई है। ‘पिप्पा’ युद्ध पर आधारित फिल्म है, पीरियड ड्रामा है। पिछली सदी के सातवें दशक के लुक के मुताबिक इस फिल्म में चीजें हो रही हैं। युद्ध की ट्रेनिंग पर काम हो रहा है।
‘मिर्जापुर’ में आपके किरदार का तकियाकलाम है कि यह भी ठीक है, इसमें कितना यकीन करते हैं? ‘मिर्जापुर 3’ की क्या तैयारी है?
कई बार कोई चीज आपके हित में नहीं होती है, फिर आप खुद को यकीन दिलाते हैं कि कोई बात नहीं, आगे देखेंगे कि क्या करना है, यह भी ठीक है। जहां तक वेब सीरीज ‘मिर्जापुर 3’ की बात है तो वह जरूर बनेगी। पहले इस साल शूटिंग होने वाली थी, लेकिन अब अगले साल शुरू होगी।
रियल लाइफ में अच्छा पति बनना फिल्म ने सिखाया
फिल्म में प्रियांशु ऐसे पति के किरदार में हैं, जो अपनी पत्नी को सपोर्ट करता है। यहां मिली ट्रेनिंग रियल लाइफ में कितनी काम आ रही है?
इसके जवाब में वह कहते हैं, ‘इस फिल्म के बाद मेरी शादी हुई थी। (हंसते हुए) कैसे एक सपोर्टिव हसबैंड बनना है, वह इस फिल्म ने सिखा दिया था। मैंने फिल्म के निर्देशक आकर्ष खुराना को धन्यवाद कहा कि मेरी पत्नी वंदना बहुत खुश होंगी। पार्टनर्स को अपनी लाइफ को बैलेंस करके चलना चाहिए। एक-दूसरे के सपोर्ट करना चाहिए, एक-दूसरे के पीछे हमेशा खड़े रहना चाहिए, ताकि अगर एक डगमगाए, तो दूसरा उसे संभाल ले। फिल्म में एक मैच्योर प्रेम कहानी है।’