Interview: 'हेट स्टोरी' के बाद इसलिए बॉलीवुड से दूर हो गयी थीं पाओली दाम, 'बुलबुल' के बाद 'रात बाक़ी है' में आएंगी नज़र

रात बाक़ी है की शूटिंग पिछले साल अक्टूबर-नवम्बर में कोरोना वायरस पैनडेमिक की चुनौतियों के बीच हुई थी। पाओली बताती हैं- बहुत मुश्किल शूट रहा। कोरोना पैनडेमिक के दौरान मैं पहली बार आउटडोर शूटिंग के लिए गयी थी। हम लोगों के अंदर डर था।

By Manoj VashisthEdited By: Publish:Wed, 14 Apr 2021 01:24 PM (IST) Updated:Thu, 15 Apr 2021 10:42 AM (IST)
Interview: 'हेट स्टोरी' के बाद इसलिए बॉलीवुड से दूर हो गयी थीं पाओली दाम, 'बुलबुल' के बाद 'रात बाक़ी है' में आएंगी नज़र
Paoli Dam plays lead role in Raat Baaki Hai. Photo- Instagram/Paoli Dam

मनोज वशिष्ठ, जेएनएन। बंगाली सिनेमा की चर्चित एक्ट्रेस पाओली दाम साल 2020 में नेटफ्लिक्स की फ़िल्म 'बुलबुल' में एक अहम किरदार में नज़र आयी थीं और अब 'रात बाक़ी है' के साथ एक बार फिर हिंदी दर्शकों के बीच पहुंच रही हैं। अविनाश दास निर्देशित मिस्ट्री-थ्रिलर फ़िल्म 'रात बाक़ी है' में पाओली केंद्रीय भूमिका में हैं। फ़िल्म की रिलीज़ से पहले पाओली ने जागरण डॉट कॉम के साथ अपने किरदार, हिंदी सिनेमा से दूरी और ओटीटी कंटेंट को लेकर अपनी पसंद-नापसंद पर खुलकर बात की। 

'रात बाक़ी है' में पाओली वासुकी नाम का किरदार निभा रही हैं। इस फ़िल्म की मिस्ट्री काफ़ी हद तक वासुकी के किरदार पर टिकी है, इसलिए पाओली अपने किरदार को लेकर ज़्यादा बात नहीं करतीं। उन्हें डर है कि बातों-बातों में कहीं कहानी की पर्तें ना खुल जाएं। किरदार को लेकर वो यही कहती हैं- ''अगर वासुकी के किरदार को ट्रेलर में ज़्यादा उभारा जाता तो सारी कहानी बाहर आ सकती थी। वासुकी एक मिस्ट्री है, जिसे हल करना है। स्नेक की तरह कोल्ड और अनप्रेडिक्टेबल है। एक मर्डर हो गया है। आस-पास घटनाएं हो रही हैं। लेकिन वो क्यों शांत है? यही मिस्ट्री है। मुझे वासुकी का किरदार निभाने में मज़ा आया।''

पाओली ने आगे कहा- ''मैंने क्राइम थ्रिलर्स पहले भी किया है, लेकिन यह थोड़ा अलग है। कहानी की पृष्ठभूमि राजस्थान में है, जो मेरे लिए नई बात थी। फ़िल्म रणथम्भौर में शूट की गयी है। एक बड़ी-सी हवेली से एक भव्य लुक आ रहा है। वासुकी का संबंध राजघराने से है। आप उसे साड़ियों में ही देखेंगे। उसके चारों ओर रहस्य की एक पर्त है। आख़िर वो कौन है, क्या है? अभी तक जो किरदार निभाये हैं, उससे अलग है।

रात बाक़ी है से पाओली का एक दिलचस्प निजी रिश्ता है, जिसके बारे में उन्होंने बताया- फ़िल्म 'बालीगंज 1990' नाटक से प्रेरित है। शुरुआत में फ़िल्म का नाम बालीगंज ही था। 'रात बाकी है', शीर्षक बाद में दिया गया। अनूप सोनी सालों से बालीगंज प्ले कर रहे हैं। इस प्ले की शुरुआत कोलकाता में हुई थी। मैं बालीगंज में ही रहती हूं। मैंने मज़ाक में कहा भी था कि बालीगंज करना है तो बालीगंज में ही शूट करते हैं ना, रणथम्भौर में क्यों? फ़िल्म के हिसाब से काफ़ी चेंज किया गया है। वासुकी और कार्तिक (अनूप सोनी) किरदार के अलावा बहुत कुछ जोड़ा गया है। अब यह इनवेस्टिगेटिव क्राइम थ्रिलर हो गया है। राहुल (देव) और दीपानिता (शर्मा) के किरदार प्ले में नहीं थे। कार्तिक और वासुकी के किरदार इस फ़िल्म की बुनियाद हैं। रात बाकी है काफ़ी ख़ूबसूरत नाम है। यह गाना भी मेरे पसंदीदा गानों में शामिल है। 

'रात बाक़ी है' की शूटिंग पिछले साल अक्टूबर-नवम्बर में कोरोना वायरस पैनडेमिक की चुनौतियों के बीच हुई थी। पाओली बताती हैं- ''बहुत मुश्किल शूट रहा। कोरोना पैनडेमिक के दौरान मैं पहली बार आउटडोर शूटिंग के लिए गयी थी। हम लोगों के अंदर डर था। चूंकि एक रात की कहानी है, इसलिए हमारा नाइट शूट होता था। शाम सात से सुबह सात बजे तक। उसके बीच में सब सैनिटाइज़ होता था। 10 दिन लगातार मेरा शूट चला।'' 

पाओली ने फ़िल्म से जुड़े सभी लोगों के साथ पहली बार काम किया है और उनका अनुभव अच्छा रहा- ''निर्देशक अविनाश दास बहुत सपोर्टिव थे। उनके साथ फिर काम करना चाहूंगी। राहुल और दीपानिता के साथ मेरे सीन ज्यादा नहीं थे। अनूप के साथ ज़्यादा थे। सभी के साथ काम करके बहुत मज़ा आया। इस पूरी यूनिट के साथ मैं पहली बार काम कर रही थी, पर मुझे लगा ही नहीं कि पहली बार काम कर रही हूं। काफ़ी अच्छे से घुल-मिल गये थे। वासुकी के किरदार के लिए ऐसी बॉन्डिंग ज़रूरी थी, क्योंकि बहुत चैलैंजिग रोल है।''

पाओली ने 2012 में आयी विवेक अग्निहोत्री की फ़िल्म 'हेट स्टोरी' से हिंदी फ़िल्मों में डेब्यू किया था। इस फ़िल्म में उन्होंने कुछ बोल्ड दृश्य भी दिये थे। पाउली इसके बाद कुछ चुनिंदा फ़िल्मों में ही नज़र आयीं। इसके पीछे क्या वजह रही? इस पर पाओली ने कहा- ''हेट स्टोरी के बाद स्टीरियो टाइपिंग होने लगी थी। हालांकि, ऐसा सब जगह होता है। इसीलिए हेट स्टोरी के बाद मैंने 'अंकुर अरोड़ा मर्डर केस' चुनी। मुझे कुछ अलग करना था। फिर 'या रा सिलीसिली' के बाद हिंदी फ़िल्मों से ब्रेक ले लिया। बंगाली सिनेमा में बिज़ी रही।''

पाओली आगे कहती हैं- ''मैं किसी फ़िल्म के लिए 3 बातें देखती हूं- कहानी, निर्देशक और मेरा किरदार। यह तो नहीं कहूंगी कि मुझे बॉम्बे (बॉलीवुड) से रोज़ ऑफ़र आ रहे थे, यह झूठ होगा। लेकिन, जिस तरह के ऑफ़र आ रहे थे, उनसे मैं ख़ुश नहीं थी। मैं वही फ़िल्में, शॉर्ट फ़िल्में या वेब सीरीज़ करना चाहती हूं, जिनकी कहानी वाकई में प्रभावित करे और दिल से आवाज़ आए कि मुझे करना है, जैसे बुलबुल हुई। सिर्फ़ करने के लिए नहीं करना चाहती।''

पाओली ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर अपने काम से संतुष्ट हैं। कहती हैं-  ''ओटीटी पर मैं अच्छा काम कर रही हूं। बड़े-बड़े निर्देशकों और प्रोडक्शन के साथ काम कर रही हूं। काली से मैंने ओटीटी डेब्यू किया था। उसकी पहला सीज़न बंगाली में आया, फिर दूसरा सीज़न बंगाली और हिंदी दोनों में रिलीज़ हुआ। ओटीटी आने से अलग-अलग भाषाओं के लोगों को काम करने का मौक़ा मिल रहा है, क्योंकि डिमांड है। विभिन्न भाषाओं के कलाकारों का एक्सेंट अलग होता है, वो भी देखने और सुनने में अच्छा लगता है। विविधता आती है। इससे पैन इंडिया फीलिंग आती है। इसीलिए क्रिएटर्स अब परफॉर्मेंस पर ज़्यादा ध्यान दे रहे हैं। भाषा कोई भी हो।''

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