Breathe Into The Shadows Review: बिंज वॉच के लिए सही च्वॉइस है अभिषेक बच्चन की पहली वेब सीरीज़

Breathe Into The Shadows Review आप इसे एक अलग सीरीज़ को तौर पर देख रहे हैं तो आपको काफी मज़ा आने वाला है। कुल मिलाकर यह आपका टाइम वेस्ट नहीं करेगी।

By Rajat SinghEdited By: Publish:Fri, 10 Jul 2020 06:11 PM (IST) Updated:Sun, 12 Jul 2020 09:28 AM (IST)
Breathe Into The Shadows Review: बिंज वॉच के लिए सही च्वॉइस है अभिषेक बच्चन की पहली वेब सीरीज़
Breathe Into The Shadows Review: बिंज वॉच के लिए सही च्वॉइस है अभिषेक बच्चन की पहली वेब सीरीज़

नई दिल्ली, (रजत सिंह)। Breathe Review: लंबे इंतज़ार के बाद ब्रीद का दूसरा सीज़न रिलीज़ हो गया। इसके साथ ही अभिषेक बच्चन ने अपना डिजिटल डेब्यू भी कर लिया। मयंक शर्मा एक बार फिर साइको थ्रिलर वेब सीरीज़ लेकर आ गए हैं। पहले सीज़न से हटकर अलग कहानी और अलग नाम के साथ सीरीज़ हाज़िर है। 'ब्रीदः इन टू द शैडोज़' अपने नाम को लगभग सही साबित करता है। अब सवाल है कि क्या अमेज़न प्राइम वीडियो की ओरिजिनल वेब सीरीज़ उस मार्क तक पहुंच पाया, जो इसके पहले सीज़न ने बनाया है? आइए जानते हैं...

कहानी

अविनाश सबरवाल नाम का एक साइकायट्रिस्ट है। एक लड़की सिया है और पत्नी आभा सबरवाल है। आभा एक होटल में सेफ है। पूरा हंसता खेलता परिवार है। दिक्कत तब शुरू होती है, जब सिया एक बर्थडे पार्टी से गायब हो जाती है। करीब एक साल के बाद किडनैपर का एक गिफ्ट आता है। इसमें एक आईपॉड के जरिए किडनैपर बताता है कि उसकी बच्ची सही सलामत है, लेकिन उसे जिंदा रखने के लिए सबरवाल परिवार को हत्या करनी होगी। सिया जुविनाइयल डायबटिज़ का शिकार है, ऐसे में उसे रोज इन्सुलिन की जरूरती पड़ती है। एक हत्या के बदले किडनैपर सिया के लिए दवा लेकर आता है। वहीं, इंस्पेक्टर कबीर सावंत भी मुंबई से दिल्ली पहुंच जाता है। उसके जिम्मे इन्हीं हत्याओं के केस को सॉल्व करने की जिम्मेदारी आती है। अब क्या अविनाश सबरवाल अपनी बेटी को छुड़ा पाता है और कबीर सावंत इस केस को सुलझा पाता है? यह जानने के लिए आपको वेब सीरीज़ देखनी होगी। 

क्या लगा ख़ास

. वेब सीरीज़ की सबके ख़ास बात है कि यह आपको बोर नहीं करती है। हर एपिसोड के बाद आपको अगला एपिसोड देखने का मन करता है। 45 मिनट के 12 एपिसोड को आप बिंच वाच कर सकते हैं। निर्देशक और लेखक मयंक शर्मा स्क्रीन से बांधने में सक्षम रहे हैं।

. अगर आप सिर्फ हिंदी बेव सीरीज़ देखते हैं, तो आपके लिए यह नया कंटेंट लगने वाला है। हालांकि, वर्ल्ड सिनेमा देखने के वालों के लिए कुछ दोहराव लग सकता है। जैसे- एक हत्या के बदले कुछ दिन ज़िंदगी और मल्टीप्ल पर्सनल डिसॉर्डर। 

. अमिक साध की स्क्रीन पर वापसी काफी जबरदस्त लगती है।  कबीर के किरदार में उनकी वापसी और एक्टिंग वेब सीरीज़ का जान है। शायद उनके चेहरे पर मानिसक रूप से परेशान पुलिस वाला का भाव अपने आप उतर आता है। सैयामी खेर का बोल्ड लुक और एक्टिंग चोक्ड से अलग और मजेदार लगती है। 

. ब्रीद के पहले सीज़न और इस सीज़न दोनों में ही बैकग्राउंड स्कोर काफी शानदार रहा है। म्यूज़िक, सस्पेंस का माहौल बनाने का काम करता है। 

कहां रह गई कमी

.कॉन्सेप्ट अलग है, कहानी नई है और बोर नहीं करती है। लेकिन दिक्कत है कि कहीं-कहीं ये आपको कमजोर लगती है। जैसे कोई किडनैपर हर बार आईपॉड कैसे देगा? विक्टिम का आसानी से सबूत के साथ छेड़छाड़ करना।  और बहुत-सी ऐसी घटनाएं हैं, जो कहानी को कमजोर बनाती है। 

. अभिषेक बच्चन ने बतौर एक्टर को खुद काफी चेलैंज किया है। हालांकि, जिस परिस्थिति से उनका किरदार गुजर रहा है, वह उस स्तर से परेशान नहीं दिखते हैं। वहीं, नित्या मेनन में भी कहीं-कहीं काफी बेहतरीन लगती हैं, तो कहीं-कहीं कमजोर। अगर दोनों एक स्टेप आगे बढ़ जाते,तो वेब सीरीज़ और बोल्ड हो जाती है। 

. कैमरा और एडटिंग पर काम किया जा सकता है। कहीं, जगह स्क्रीन का ब्लैक होना जरूरी था , लेकिन कहीं-कहीं ये ओवर लगता है। 

. अंत में आकर लेखक और एक्टर सभी थके से लगते हैं। सीरीज़ के अंत को और बेहतर किया जा सकता था। हालांकि, दूसरे सीज़न के लिए संभावनाओं को छोड़ दिया गया है। 

अंत में 

ब्रीद इन टू द शैडो एक अच्छी सीरीज़ है, लेकिन बेहतरीन नहीं। अगर आप पहले सीज़न को दिमाग में रखकर देख रहे हैं, तो आपको निराशा हो सकती है। वहीं, अगर आप इसे एक अलग सीरीज़ को तौर पर देख रहे हैं, तो आपको काफी मज़ा आने वाला है। कुल मिलाकर यह आपका टाइम वेस्ट नहीं करेगी।

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