Satyameva Jayate 2 Review: एक्शन से लबरेज पर मुद्दा और अंदाज पुराना, जानें क्या दिव्या खोसला कुमार का फिल्म में चल पाया जादू
Satyameva Jayate 2 Review फिल्म ‘अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों’ की रिलीज के 17 साल बाद अभिनेत्री दिव्या खोसला कुमार बड़े पर्दे पर वापसी कर चुकी हैं। जॉन अब्राहम के साथ उनकी फिल्म ‘सत्यमेव जयते 2’ थिएटर में रिलीज हुई है।
स्मिता श्रीवास्तव: वर्ष 2018 में रिलीज जॉन अब्राहम, मनोज बाजपेयी अभिनीत फिल्म सत्यमेव जयते की कहानी के केंद्र में भ्रष्टाचार का मुद्दा था। करीब तीन साल के अंतराल के बाद सिनेमाघरों में रिलीज हुई इसकी सीक्वल सत्यमेव जयते 2 के केंद्र में भी भ्रष्टाचार का ही मुद्दा है। हालांकि मूल फिल्म से सीक्वल का कोई लेना-देना नहीं है।
प्रदेश में बढ़ते भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए विधान सभा में एंटी करप्शन विधेयक को गृहमंत्री सत्या बलराम आजाद (जॉन अब्राहम) पेश करते हैं लेकिन उन्हें पराजय का सामना करना पड़ता है। विपक्ष में बैठी उनकी विधायक पत्नी विद्या (दिव्या खोसला कुमार) भी उनका साथ नहीं देती है। इस बीच शहर में भ्रष्टाचार में लिप्त कुछ लोगों की मौत होती है। मामले की पड़ताल के लिए एसीपी जय आजाद को बुलाया जाता है। दरअसल, सत्या और जय जुड़वा भाई हैं। सिस्टम से हताश सत्या भ्रष्टाचार को मिटाने की कसम खाता है। इसमें उसे अपने भाई जय का भी पूरा सहयोग मिलता है।
फिल्म में उन सभी क्षेत्रों में व्याप्त भ्रष्टाचार को दर्शाया गया है जिससे आम इंसान त्रस्त है। मसलन सरकारी अस्पताल में डॉक्टरों की हड़ताल के चलते मरीज की मौत, खाने में मिलावट से बच्चों में फूड प्वाइजनिंग, भविष्य निधि खाता से पैसे निकालने के लिए पापड़ बेलना, धार्मिक भेदभाव, फ्लाई ओवर का ढहना, राजनेता के बेटे द्वारा लड़की का दुष्कर्म और उसका न्याय के लिए सरेआम आत्मदाह करना। मिलाप की यह फिल्म पिछले सदी के आठवें दशक के दौर की फिल्मों की याद दिलाती है जिसमें आइटम सांग, एक्शन, कॉमेडी, परिवार के सदस्य साथ अन्याय जैसे मनोरंजन के मसालों का तड़का लगाया जाता था। नायक गरीबों के मसीहा के तौर पर रात के अंधेरे में गुनाहगारों को सजा देने निकलता था। हिंदी फिल्मों में ऐसी कहानियों की भरमार रही है। लिहाजा स्क्रीन पर यह सब देखकर कोई आश्चर्य नहीं होता है। इसके साथ ही उन्होंने इसमें राष्ट्रवाद और देशभक्ति का भी पूरा तड़का लगाया गया है। हालांकि जनलोकपाल विधेयक के फायदे और नुकसान पर यह फिल्म बात नहीं करती है। फिल्म में काव्यात्मक और दमदार संवादों की भरमार है। भ्रष्टाचार के मुद्दे के साथ शुरू हुई यह फिल्म आखिर में पारिवारिक प्रतिशोध पर आकर खत्म होती है। लेखक और निर्देशक मिलाप जवेरी यहां पर कुछ नया पेश नहीं करते हैं।
जॉन अब्राहम यहां पर पिता दादा साहब बलराम आजाद और जुड़वा भाई जैसे तीन अलग-अलग किरदारों में हैं। ऐसे में सिक्स पैक ऐप दिखाने से लेकर एक्शन, कॉमेडी सबकुछ करने का मौका मिला है। इस बार वह हेलिकॉप्टर को उड़ने से रोकने में अपना दमखम दिखाते नजर आए हैं। इस फिल्म से दिव्या खोसला कुमार ने लंबे अंतराल के बाद अभिनय में वापसी की है। इससे पहले वह वर्ष 2004 में रिलीज फिल्म अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों में अभिनय करती दिखी थीं। उसके बाद उन्होंने फिल्म यारियां और सनम रे फिल्मों का निर्देशन किया था। इस फिल्म में उन्हें सशक्त बेटी, पत्नी और बहू के किरदार में अभिनय के रंग दिखाने के मौके मिले हैं। स्क्रिप्ट के दायरे में उन्होंने संतुलित रहने का प्रयास किया है। सहयोगी कलाकारों की भूमिका में आए हर्ष छाया, अनूप सोनी, साहिल वैद्य ने अपने किरदार साथ न्याय करने का यथोचित प्रयास किया है। फिल्म में नोरा फतेही का गाना कुसू कुसू और करवाचौथ के गाने मेरी जिंदगी है तू का फिल्मांकन खूबसूरत है। कुलमिलाकर यह विशुद्ध मसाला फिल्म है।
फिल्म रिव्यू : सत्यमेव जयते 2
प्रमुख कलाकार : जॉन अब्राहम, दिव्या खोसला कुमार, हर्ष छाया, गौतमी कपूर
निर्देशक : मिलाप जवेरी
अवधि : 138 मिनट
स्टार : ढाई