Ajeeb Daastaans Review: रिश्तों में उलझी चार कहानियों की दास्तां, किरदार मजबूत लेकिन कहानी सुस्त
चार लघु कहानियों को मिलाकर बनाई गई है करण जौहर के प्रोडक्शन कंपनी धर्मैटिक एंटरटेनमेंट की फिल्म अजीब दास्तान्स। नेटफ्लिक्स प्लेटफॉर्म के लिए बनाई गई इस एंथोलॉजी फिल्म की चारों कहानियों को चार अलग निर्देशकों शशांक खेतान राज मेहता नीरज घेवन कायोज ईरानी ने निर्देशित किया है।
प्रियंका सिंह, मुंबई। चार लघु कहानियों को मिलाकर बनाई गई है करण जौहर के प्रोडक्शन कंपनी धर्मैटिक एंटरटेनमेंट की फिल्म अजीब दास्तान्स। नेटफ्लिक्स प्लेटफॉर्म के लिए बनाई गई इस एंथोलॉजी फिल्म की चारों कहानियों को चार अलग निर्देशकों शशांक खेतान, राज मेहता, नीरज घेवन, कायोज ईरानी ने निर्देशित किया है। फिल्म शुरू होती है शंशाक खेतान निर्देशित कहानी मजनू के साथ। लिपाक्षी (फातिमा सना शेख) की शादी बबलू (जयदीप अहलावत) से हुई है। बबलू ने मजबूरी में शादी की है। वह किसी और से प्यार करता है। लिपाक्षी के जीवन में राज कुमार मिश्रा (अरमान रल्हन) आता है। उसके पिता बबलू के यहां ड्राइवर का काम करते हैं। लिपाक्षी बबलू की बेरुखी और अनदेखी की वजह से राज कुमार की ओर आकर्षित है।
दूसरी कहानी है राज मेहता की खिलौना। मीनल (नुसरत भरुचा) कॉलोनी की एक कोठी में घरेलू नौकरानी का काम करती है। उसकी छोटी बहन बिन्नी (इनायत वर्मा) उसी के साथ रहती है। उस कॉलोनी में इस्त्री करने का काम करने वाले सुशील (अभिषेक बनर्जी) से मीनल प्यार करती है। कॉलोनी के सेक्रेटरी की नजर मीनल पर है। मीनल ने कॉलोनी के बिजली के तारों पर कटिया डालकर अपने घर में बिजली चला रखी है। लेकिन कॉलोनी वालों ने उसके घर से बिजली कटवा दी है। सेक्रेटरी के कहने पर बिजली लग सकती है। लेकिन फिर ऐसा कुछ होता है कि मीनल, बिन्नी और सुशील जेल पहुंच जाते हैं।
तीसरी कहानी है नीरज घेवन की गीली पुच्ची। भारती मंडल (कोंकणा सेन शर्मा) निम्न जाति से है। उसे बी.कॉम में 74 प्रतिशत मिले हैं। लेकिन फिर भी डेटा ऑपरेटर का पद देने की बजाय उसे फैक्ट्री में मशीनमैन का काम दिया जाता है। डेटा ऑपरेटर के लिए प्रिया शर्मा (अदिति राव हैदरी) को लाया जाता है। भारती अपना सच जानती है कि वह समलैंगिक है। प्रिया भी समलैंगिक है, लेकिन समाज के बनाए नियमों के बीच यह कह नहीं पाती।
चौथी कहानी है कायोज ईरानी की अनकही। नताशा (शेफाली शाह) और रोहन शर्मा (तोता रॉय चौधरी) की बेटी समायरा सुन नहीं सकती है। पति-पत्नी में इस बात को लेकर झगड़ा है कि पिता अपनी बेटी से बात नहीं कर रहा, क्योंकि वह साइन लैंग्वेज नहीं सीख रहा। एक दिन नताशा की मुलाकात कबीर (मानव कौल) से होती है, जो सुन नहीं सकता। हालांकि वह कान की मशीन के जरिए सुन सकता है, लेकिन उसका उपयोग नहीं करता है। उसका कहना है कि इस दुनिया में लोग झूठ बहुत बोलते हैं, इसलिए वह सुनना नहीं चाहता।
इन चारों कहानियों में अनकही कहानी ही छू पाती है। कायोज द्वारा निर्देशित इस लघु कहानी का संदेश अच्छा है कि साथ बैठकर चुप रहने की बजाय आपस में बात करने की जरुरत है। बाकी तीन कहानी में कहीं न कहीं कड़वे रिश्तों में बदला लेने की भावना है, लेकिन अनकही इस चेन को तोड़ती है। गीली पुच्ची कहानी में समलैंगिकता और जातीवाद के कारण समाज में हो रहे भेदभाव जैसे कई मुद्दे दिखाने के चक्कर में कहानी किसी और ही दिशा में मुड़ जाती है।
मजनू और खिलौना कहानी का अंत चौकाएगा। शशांक की कहानी की डायलॉगबाजी जैसे- इस देश के सब मर्द ढोंगी क्यों होते हैं, अगर धोखा दे सकते हैं, तो खाने की भी हिम्मत रखिए... दिलचस्प लगते हैं। नुसरत भरुचा, फातिमा सना शेख, कोंकणा सेन शर्मा, शेफाली शाह ने अपने किरदारों के साथ न्याय किया है। वहीं बिन्नी के रोल में बाल कलाकार इनायत का अभिनय सराहनीय है। अनकही में प्रतीक कुहड़ की आवाज में गाया गाना मैं कुछ ना कहूं तुम सुनो... कर्णप्रिय है।
फिल्म – अजीब दास्तान्स
मुख्य कलाकार – नुसरत भरुचा, फातिमा सना शेख, जयदीप अहलावत, शेफाली शाह, मानव कौल, कोंकणा सेन शर्मा, अदिति राव हैदरी, अभिषेक बनर्जी, इनायत वर्मा
निर्देशक – शशांक खेतान, राज मेहता, नीरज घेवन, कायोज ईरानी
अवधि – 2 घंटा 22 मिनट
प्रसारण प्लेटफॉर्म – नेटफ्लिक्स
रेटिंग – 2.5