‘ब्रेक प्वाइंट’ में दिखेगा भूपति और पेस का शानदार 20 साल का सफर, पढ़ें दिग्गज टेनिस जोड़ी की ये खास बातचीत
टेनिस खिलाड़ी महेश भूपति और लिएंडर पेस का मकसद एक ही रहा कि देश का नाम रोशन करना है। शिखर पर शोहरत को साथ मिलकर गले लगाया जब मतभेद हुए तो बड़ी समझदारी से स्थितियों को संभाला। भूपति और पेस के 20 साल के सफर पर आधारित है
अभिषेक त्रिपाठी। टेनिस खिलाड़ी महेश भूपति और लिएंडर पेस का मकसद एक ही रहा कि देश का नाम रोशन करना है। शिखर पर शोहरत को साथ मिलकर गले लगाया, जब मतभेद हुए तो बड़ी समझदारी से स्थितियों को संभाला। भूपति और पेस के 20 साल के सफर पर आधारित है वेब सीरीज ‘ब्रेक प्वाइंट’। अपने जज्बातों को उन्होंने साझा किया अभिषेक त्रिपाठी के साथ...
वह दौर जब देश में टेनिस को लेकर ज्यादा रुझान नहीं था, तब 15-16 साल के दो युवा भारतीय लड़कों ने सपना देखा विंबलडन जीतने का। इस सपने को पूरा करने के लिए दोनों ने जी-तोड़ मेहनत की और 10 साल बाद विंबलडन जीता भी और नंबर वन बने। यह जोड़ी है लिएंडर पेस और महेश भूपति की। इन दोनों खिलाड़ियों ने मिलकर न सिर्फ तीन ग्रैंडस्लैम खिताब हासिल किए, बल्कि पुरुष डबल्स में नंबर एक रैंकिंग पर कब्जा भी जमाया। उनकी यह कहानी ‘ब्रेक प्वाइंट’ वेब सीरीज के जरिए सामने आ रही है।
उन्होंने यह माना कि उनकी कहानी में प्यार है, तकरार है, लेकिन उन्होंने कहा कि हमारा तलाक कभी नहीं हुआ। पेस बताते हैं, ‘हमारी यह कहानी करीब 20 साल के सफर पर है। कैसे 15 और 16 साल के दो युवा भारतीय टेनिस खिलाड़ियों ने जो सपना देखा था, उसे साकार किया। विंबलडन चैंपियन और विश्व नंबर एक भी बने।’ वहीं भूपति कहते हैं, ‘हमारी जोड़ी के सफर में काफी उतार-चढ़ाव और भावुक पल भी हैं। जिनकी वजह से मैं भी उम्मीद करता हूं कि लोग ‘ब्रेक प्वाइंट’ को काफी पसंद करने वाले हैं।’
कुछ तो लोग कहेंगे
खेलते समय आपस में अनबन की खबरों के बाहर आने पर पेस कहते हैं, ‘मेरे हिसाब से जब आप खेल रहे होते हैं और ग्रैंडस्लैम जीत रहे होते हैं तो लोग आपके बारे में काफी कुछ बोलते हैं। हर एक के पास अपनी कहानी लिखने और उसे छापने का अधिकार है, लेकिन इसके बावजूद कई सालों तक मेरी और महेश की जोड़ी के मीडिया से संबंध अच्छे रहे, इसलिए हमने हर एक चीज को काफी अच्छे से संभाला और अपनी तरफ से बेहतर किया।’
कुछ न कुछ तो रह जाता है
भूपति कहते हैं, ‘हमारे अंदर इस बात को लेकर बहुत ज्यादा निराशा रही कि हम अच्छी स्थिति में होने के बावजूद देश के लिए एक साथ खेलते हुए ओलिंपिक पदक नहीं जीत सके, लेकिन जैसा कि आप जानते हैं कि कुछ न कुछ रह ही जाता है। हालांकि हमें ओलिंपिक पदक न जीतने का काफी मलाल भी है।’ इस पर पेस बताते हैं, ‘हम दोनों ने चार बार ओलिंपिक पदक जीतने की कोशिश की, लेकिन नहीं जीत सके। मैं सिंगल्स में जीता हूं, लेकिन डबल्स में नहीं जीत सका। इस तरह जीवन में कुछ ऐसा होता है जो रह जाता है। अगर हम समय में पीछे वापस जा पाते और एथेंस ओलिंपिक के मैच में एक खराब शाट को बदल पाते तो शायद हमारे हाथ में ओलिंपिक पदक होता। हालांकि अब ऐसा नहीं हो सकता है।’
एक ही था हमारा लक्ष्य
पेस और भूपति एक साथ जोड़ी बनाकर टेनिस खेलते थे, लेकिन जब दोनों में मतभेद हुए तो उन्होंने नए जोड़ीदारों के साथ खेलना शुरू किया। भूपति बताते हैं, ‘टेनिस डबल्स मैच के लिए अपना जोड़ीदार चुनते हैं तो वह ऐसा होना चाहिए जो आपकी कमियों को बताता रहे और प्रेरित भी करता रहे इसलिए मैं और पेस सर्वश्रेष्ठ जोड़ीदार थे। ऐसे में जब हम एक-दूसरे के साथ नहीं खेलते थे तो मैं यह देखता था कि कौन उनके जैसा खेलता है और मैच को समझता है। बस इसी बात को ध्यान में रखकर मैं अपना जोड़ीदार चुनता था।’ इस पर पेस कहते हैं, ‘मेरे विचार से जोड़ीदार चुनना काफी आसान काम है। आपको बस यह देखना है कि आपकी जो कमजोरी है वह आपके जोड़ीदार की ताकत हो और जो आपके जोड़ीदार की कमजोरी है वह आपकी ताकत होनी चाहिए। इसी एक फार्मूले पर मैं अमल करता आया हूं।’
अपने पुराने दिनों को याद करते हुए भूपति कहते हैं, ‘हम दोनों का हमेशा एक ही लक्ष्य रहा कि हमें बस भारत के लिए जीतना है। इसके लिए अभ्यास बहुत जरूरी है और जब भी टूर्नामेंट आते थे तो हम हर दिन साथ में अभ्यास करते थे।’