कोरोना काल में जारी है सिनेमा की कशमकश, कई फिल्मों की शूटिंग रुकी तो कई की शुरू ही नहीं पाई...
इस साल कई फिल्मों की शूटिंग होनी थी लेकिन कोरोना की दूसरी लहर की वजह से उसे रोकना पड़ा। इन फिल्मों में फुकरे 3 भी शामिल है। रिचा चड्ढा का कहना है कि फुकरे 3 की शूटिंग महाराष्ट्र और दिल्ली में अगले महीने से होने वाली थी।
प्रियंका सिंह, मुंबई। फिल्मकार कोरोना के खत्म होने का इंतजार कर रहे हैं ताकि थिएटर खुलने पर फिल्में रिलीज कर सकें। हालांकि 'तूफान', 'भुज-द प्राइड ऑफ इंडिया' समेत कई फिल्मों के निर्माताओं ने वक्त की नजाकत को देखते हुए डिजिटल प्लेटफॉर्म का रुख किया है। 'राधे- योर मोस्ट वाटेंड भाई' के मेकर्स ने पे पर व्यू के तहत डिजिटल प्लेटफॉर्म पर आने का ऐलान किया है। '83', 'सूर्यवंशी' जैसी कई बड़े बजट की फिल्में पिछले साल से रिलीज का इंतजार कर रही हैं। साल 2021 में 'थलाइवी', 'पृथ्वीराज', 'बेल बॉटम', 'सत्यमेव जयते 2', 'अटैक', 'शमशेरा' जैसी कई फिल्में बनकर तैयार हैं, वहीं 'गंगूबाई काठियावाड़ी', 'ब्रह्मास्त्र', 'पठान', 'राम सेतु', 'जुग जुग जीयो', 'हीरोपंती 2', 'दसवीं', 'लाल सिंह चड्ढा', 'तेजस', 'एक था टाइगर' फ्रेंचाइजी की तीसरी किस्त, 'आरआरआर' जैसी फिल्मों की शूटिंग अधर में है। 'अपने 2', 'पिप्पा', 'फुकरे 3' जैसी फिल्मों की शूटिंग तो शुरू भी नहीं हो पाई है। ऐसे में माहौल सामान्य होने तक इन फिल्मों का क्या होगा? क्या बॉक्स ऑफिस और डिजिटल प्लेटफॉर्म इन फिल्मों का बोझ एक साथ संभाल पाएंगे? क्या एक साल से रिलीज की बाट जोह रही फिल्मों की कोई शेल्फ लाइफ है? कलाकरों के मन में क्या चल रहा है? इन बातों की पड़ताल कर रही हैं प्रियंका सिंह...
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इस साल कई फिल्मों की शूटिंग होनी थी, लेकिन कोरोना की दूसरी लहर की वजह से उसे रोकना पड़ा। इन फिल्मों में 'फुकरे 3' भी शामिल है। फिल्म की अभिनेत्री रिचा चड्ढा का कहना है कि 'फुकरे 3' की शूटिंग महाराष्ट्र और दिल्ली में अगले महीने से होने वाली थी, लेकिन दोनों ही जगहों पर कोरोना का कहर है, ऐसे में कुछ तय नहीं है कि अब कब फिल्म पर काम शुरू हो पाएगा। फिलहाल इंतजार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।
इस संबंध में फिल्म 'दसवीं' में अभिषेक बच्चन के साथ काम कर रही अभिनेत्री निम्रत कौर कहती हैं कि 'दसवीं' की शूटिंग आगरा में चल रही थी, लेकिन कोरोना के बढ़ते मामलों की वजह से हमें शूटिंग रोकनी पड़ी। मेरा थोड़ा बहुत काम बाकी है। जब शूटिंग शुरू होती है तो हर कोई यही चाहता है कि एक ही फ्लो में शूटिंग खत्म हो जाए। फिलहाल स्वार्थी होने के बजाय जिम्मेदार बनना होगा। इस वक्त रुकने में ही भलाई है।
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भावनाएं सटीक होंगी तो दर्शक जुड़ जाएंगे: तकनीक, कहानियां वक्त के मुताबिक बदलती रहती हैं। ऐसे में एक साल से रिलीज का इंतजार कर रही फिल्मों की कहानियां क्या पुरानी हो जाएंगी? इसके जवाब में 'मिसेज अंडरकवर' फिल्म के निर्माता अबीर सेनगुप्ता कहते हैं कि फिल्मों में रोजमर्रा की जिंदगी की झलक होती है, जिनमें दो-तीन साल में बदलाव आता है। मोबाइल फोन के नए-नए मॉडल आ जाते हैं, कपड़ों का स्टाइल बदल जाता है। ये छोटी चीजें फिल्मों का हिस्सा बन जाती हैं, जिनका असर पड़ेगा, लेकिन हिंदी फिल्मों की सबसे बड़ी ताकत होती हैं भावनाएं। वह अगर सटीक होंगी तो भले ही फिल्मों की रिलीज में देर हो जाए, वे फिल्में दर्शकों के दिलों को छुएंगी।
'मुगल-ए-आजम' फिल्म को देखकर उतनी ही खुशी होती है, जितनी 'पद्मावत' को देखकर होती है। जहां तक बात है मेरी फिल्म 'मिसेज अंडरकवर' की तो इसकी योजना गत वर्ष बनाई थी। लॉकडाउन खुलने के बाद शूटिंग शुरू हुई थी। हमने तय किया था कि जब फिल्म बनकर तैयार होगी तो उस वक्त जो बेस्ट होगा वही निर्णय लेंगे। इस संदर्भ में निर्देशक उमेश शुक्ला का मानना है कि कुछ फिल्में शूट जरूर हो रही थीं, लेकिन उनका प्रमोशन नहीं किया जा रहा है। 'सूर्यवंशी' के निर्माताओं ने रुकना सही समझा। कुछ फिल्में वक्त के दायरे में बंधी होती हैं, लेकिन फिल्म '83' के मेकर्स को दिक्कत नहीं होगी। वह कहानी साल 1983 की है, ऐसे में वह किसी भी साल में रिलीज हो, उससे फर्क नहीं पड़ेगा। जिन फिल्मों का कैनवस बड़ा होता है, उसे मेकर्स सदाबहार बनाने की कोशिश करते ही हैं।
शिकायतों से कुछ हासिल नहीं फिल्ममेकर अनिल शर्मा साल 2007 में रिलीज हुई फिल्म 'अपने' की सीक्वल 'अपने 2' बनाने वाले हैं। वह कहते हैं कि 'अपने 2' की शूटिंग मार्च में शुरू होने वाली थी, जो हमने जुलाई तक के लिए टाल दी हैै। शूटिंग आज नहीं तो कल हो ही जाएगी। पूरी दुनिया महामारी से जूझ रही हैं। प्रोटोकॉल को समझकर, उसके मुताबिक काम किया जाना चाहिए। शिकायतों से कुछ हासिल नहीं होगा। हमारी फिल्म की कहानी ऐसी है, जिसकी कुछ शूटिंग पंजाब में तो कुछ विदेश में होनी है। कहानी को नहीं बदला जा सकता है। हर फिल्म की कहानी के मुताबिक लोकेशन की जरूरत होती है। कलाकार को कास्ट करते वक्त उसे शूटिंग की तारीख बतानी होगी। वह फिलहाल तय ही नहीं है। कलाकार खुद दो-तीन फिल्में एकसाथ करते हैं। उनकी शूटिंग भी अटकी पड़ी हैं। ऐसे में वे पहले अधूरी फिल्मों को पूरा करेंगे। इसलिए जब काम शुरू होगा, उस वक्त जो कलाकार उपलब्ध होंगे, उनके साथ फिल्म आगे बढ़ेगी।
काम के तरीके ढूंढ़ निकालेंगे अभिनेता अभिषेक बनर्जी अमर कौशिक निर्देशित फिल्म 'भेडिय़ा' में काम कर रहे हैं। वरुण धवन अभिनीत इस फिल्म की 90 प्रतिशत शूटिंग अरुणाचल प्रदेश में हो चुकी है। दूसरा शेड्यूल मुंबई में एक स्टूडियो में होना था, जो रुका हुआ है। अभिषेक कहते हैं कि जब माहौल सुरक्षित होगा तो वह भी हो जाएगा। फिलहाल इंडस्ट्री में स्पॉटब्वाय से लेकर निर्माता, कलाकार तक हर कोई एक ही मुश्किल से गुजर रहा है। लोग एक-दूसरे की मदद करने के लिए आगे आ रहे हैं। बड़े सितारों की फिल्मों में दर्शकों की जरूर दिलचस्पी होगी, लेकिन अभी कुछ कहा नहीं जा सकता है कि लोगों का मूड आज से दो महीने बाद फिल्मों के कंटेंट को लेकर कैसा होगा। बॉक्स ऑफिस और डिजिटल पर गलाकाट प्रतियोगिता जैसी परिस्थिति भी बनेगी, लेकिन जितनी वैराइटी होगी, उतना ही अच्छा है।
उमेश शुक्ला कहते हैं कि जब सलमान खान ने 'राधे-योर मोस्ट वांटेड भाई' को पे पर व्यू विकल्प के साथ डिजिटल प्लेटफॉर्म पर रिलीज करने की घोषणा की तो इससे दूसरे मेकर्स में भी उम्मीद जगी है। इतनी बड़ी फिल्म को ऐसे रिलीज करने के लिए जिगर चाहिए। विदेश में फिल्मों को ऐसे रिलीज करना आम बात है, लेकिन हमारे लिए यह नया है। अगर यह विकल्प काम कर गया तो यकीनन बॉक्स ऑफिस का भार कम होगा और दर्शकों तक वह फिल्में पहुंचेंगी जो रिलीज के लिए तैयार हैं। इसमें हर किसी का फायदा है। स्मार्टली करना होगा काम ट्रेड विशेषज्ञ और निर्माता गिरीश जौहर का कहना है कि पिछले साल से अब तक बॉक्स ऑफिस लगभग साढ़े तीन हजार से चार हजार करोड़ के घाटे में है।
साल 2018 के मुकाबले साल 2019 में बॉक्स ऑफिस पर फिल्मों का कारोबार अच्छा हुआ था। ऐसे में साल 2020 के लिए एक उम्मीद जगी थी, लेकिन वैसा हो नहीं सका। कई सिनेमाघर हमेशा के लिए बंद हो चुके हैं। कहानी लिखने से लेकर मार्केटिंग और रिलीज तक सब पर असर पड़ा है। इस दौरान शूट करने की वजह से क्रू के मेडिकल की कॉस्ट भी बढ़ गई है, रिस्क अलग है। हर कोई यही सोच रहा है कि रिस्क लेने से अच्छा है, इतंजार करना। काम रुकने से दिक्कत तो है ही। सेट पर पैसे लग चुके हैं, जो बर्बाद हो रहे हैं, सितारों की शूटिंग डेट्स दोबारा आसानी से नहीं मिलेंगी। किसी ने फिल्म बनाने के लिए मार्केट से पैसा उठाया होगा उस पर ब्याज बढ़ रहा होगा। मध्यम बजट की फिल्में बनाने वाले फिल्मकारों के लिए डिजिटल रिलीज अच्छा विकल्प है। भविष्य में जो बदलाव होगा वह जरूर फिल्मों के बजट को लेकर होगा, निर्माता सोच-समझकर स्मार्टली फिल्मों पर पैसे लगाएंगे। जिससे वह परिस्थिति के मुताबिक ओटीटी और थिएटर दोनों ही जगहों पर फिल्में रिलीज कर सकें।