डिजिटल प्लेटफॉर्म के कंटेंट बॉलीवुड के फॉर्मूला से काफी दूर हैं: अभय देओल

जनजीवन सामान्य की ओर बढ़ रहा है। मैं लॉस एंजिलिस में हूं। अगर यहां किसी रेस्‍त्रां में जाना है तो वैक्सीनेशन का सर्टिफिकेट दिखाना पड़ता है। जहां तक प्रमोशन की बात है तो मुझे वैसे भी यहां-वहां जाकर मार्केटिंग करना पसंद नहीं है।

By Priti KushwahaEdited By: Publish:Fri, 03 Dec 2021 10:29 AM (IST) Updated:Fri, 03 Dec 2021 10:29 AM (IST)
डिजिटल प्लेटफॉर्म के कंटेंट बॉलीवुड के फॉर्मूला से काफी दूर  हैं: अभय देओल
Photo Credit : Abhay Deol Instagram Photos Screenshot

प्रियंका सिंह, मंबई। पब्लिसिटी से दूर रहने वाले अभिनेता अभय देओल इन दिनों अमेरिका में हैं और वहां से वह अपनी फिल्म वेले का प्रमोशन कर रहे हैं। उनका कहना है कि वक्त के साथ मैंने खुद को बदला है। वेले फिल्म में अभय के साथ उनके भतीजे करण देओल भी होंगे। फिल्म 10 दिसंबर को सिनेमाघरों में रिलीज होगी। उनसे हुई बातचीत के अंश।

1. कोरोना वायरस महामारी के बाद अब अमेरिका का माहौल कैसा है? वहां रहकर आप अपनी फिल्म का प्रमोशन जोर-शोर से कर रहे हैं....

जनजीवन सामान्य की ओर बढ़ रहा है। मैं लॉस एंजिलिस में हूं। अगर यहां किसी रेस्‍त्रां में जाना है, तो वैक्सीनेशन का सर्टिफिकेट दिखाना पड़ता है। जहां तक प्रमोशन की बात है, तो मुझे वैसे भी यहां-वहां जाकर मार्केटिंग करना पसंद नहीं है। फोन पर बात करके भी काम चल जाता है। आमने-सामने से ज्यादा डिजिटल स्पेस में प्रमोशन करना थोड़ा अलग हो जाता है। खैर, अपनी फिल्म के बारे में बात करना जरूरी है।

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2. आप कई बार कहते आए हैं कि आप खुद की पब्लिसिटी से बचते हैं। इतने लंबे करियर में अब तो आदत पड़ गई होगी?

हां, अब सीख गया हूं। मैंने खुद को समझाया है कि अपने प्रोडक्ट का प्रमोशन करना भी मेरे ही काम का हिस्सा है। पहले मेरे कुछ उसूल थे कि पब्लिसिटी के चक्कर में क्यों पड़ना, मेरा काम ही बोलेगा। मेरा परिवार भी इन चीजों से दूर रहा है। मैं मार्केटिंग से दूर रहने वाला इंसान हूं, लेकिन अब तकनीक की वजह से मार्केट बदल रहा है। पुराने सेलिब्रिटीज दूर रहना अफोर्ड कर सकते थे। अब इंटरनेट मीडिया की वजह से पूरा गेम ही बदल गया है। मैं अब भी वही इंसान हूं, जो लाइमलाइट से दूर रहना पसंद करता है। वही यह भी सोचता हूं कि अगर वक्त की नजाकत है कि मैं खुद की पब्लिसिटी करूं, तो करना होगा, यह कोई बुरी चीज नहीं है। हैप्पी भाग जाएगी फिल्म के दौरान खुद को समझाया कि खुद की पब्लिसिटी भी कर लेनी चाहिए।

3. क्या इसका श्रेय डिजिटल प्लेटफॉर्म को देना चाहेंगे?

डिजिटल प्लेटफॉर्म के कंटेंट को अगर आप देखें, तो वह बॉलीवुड के फॉर्मूला से काफी दूर चले गए हैं। बॉलीवुड का एक सेट फॉर्मूला है! नई पीढ़ी बचपन से दुनियाभर का सिनेमा देख रही है। उनकी पसंद कंटेंट को लेकर अलग होती जा रही है। उनको जो चाहिए, वह बॉलीवुड नहीं, बल्कि डिजिटल प्लेटफॉर्म दे रहा है। मेरा मानना है कि बॉलीवुड फिल्में पुराने फॉर्मूले से अलग बननी चाहिए। यही वजह है कि मैंने देव डी, मनोरमा सिक्स फीट अंडर, जैसी फिल्में की हैं। जो आर्टिस्ट डिजिटल प्लेटफॉर्म पर हम देख रहे हैं, वह अचानक कहीं से नहीं आ गए हैं। वह हमेशा से थे, बस उनको मौका नहीं मिल रहा था।

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4. आपके बारे में कहा जाता है कि आप कठिन किरदार ज्यादा चुनते हैं...

मैं वह करता हूं, जो रिलेटेबल हो, जिसमें कुछ आकर्षण हो, ऐसे किरदार जिसे मैंने अपने आसपास देखा हो। मैं हर एंगल से सोचता हूं, शायद इसलिए वह किरदार कठिन लगते होंगे। जब लोग कहते हैं कि आप फिल्म में हैं, तो अच्छी होगी, तब मुझे टेंशन होती है कि अब मुझ पर एक जिम्मेदारी थोपी गई है। जरूरी नहीं है कि मैं जो फिल्म करूं, वह अच्छी ही हो। फिल्में सिर्फ एक्टर अकेले नहीं बनाता है। पूरी टीम को एक ही बात पर सहमत होना पड़ता है।

5. फिल्म वेले तेलुगु फिल्म की हिंदी रीमेक है। वह फिल्म आपने देखी है?

मैंने देखी थी, जिसके बाद मैंने निर्देशक से पूछा था कि ओरिजनल ठीक है, लेकिन फिर हिंदी में क्या नया होगा। मुझे तेलुगु फिल्म पसंद आई थी, सिर्फ इसलिए मैंने हां नहीं कहा। मैंने उसे पूछा था कि आप दिखाए कि आप क्या लिख रहे हैं। स्क्रिप्ट पढ़ने के बाद मैंने हां कहा था।

6. फिल्म में आपके भतीजे करण देओल भी हैं। आज करण जिस उम्र में हैं, उस उम्र में आप उनसे कितने अलग थे?

हर कलाकार का शुरुआती सफर लगभग एक जैसा ही होता है। इनसिक्योरिटीज, महत्वाकांक्षाएं एक जैसी होती हैं। करण और मैं एकजैसे माहौल में पल-बढ़े हैं, तो उनसे मैं खुद को जोड़ पाता हूं। उनके ख्याल या वह जैसे बात करते हैं उसमें बहुत समानताएं हैं।

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7. कभी वेला बैठने का वक्त आया है?

वह वक्त तो अब भी आता है। मैं वो एक्टर थोड़े हूं, जो साल में चार-पांच फिल्में करता है। मैं मुश्किल से दो प्रोजेक्ट करता हूं। ऐसा तब से रहा है, जब सफलता नहीं मिली थी। मैं इसे वेला होना नहीं, बल्कि जीवन कहूंगा। हो सकता है कि जीवन में मजे करना ही असली जिंदगी हो। मेरे लिए मेरा काम खेल है। मुझे कभी नहीं लगा कि मैं कोई काम कर रहा हूं, क्योंकि मैं जो करता हूं, उसे एंजॉय करता हूं।

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