काम के दौरान दूर रहकर भी तीन साल के बेटे टाइगर श्रॉफ पर ऐसे नजर रखते थे जैकी श्रॉफ, बताया पूरा किस्सा

26 मार्च को डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर रिलीज हो रही वेब सीरीज ओके कंप्यूटर में जैकी श्रॉफ पुष्पक शकूर के किरदार में नजर आएंगे। दुनियाभर में बढ़ती तकनीक और पर्यावरण के बीच चल रही जिद्दोजहद पर आधारित यह वेब सीरीज साल 2031 की पृष्ठभूमि में कल्पित है।

By Priti KushwahaEdited By: Publish:Sat, 20 Mar 2021 12:15 PM (IST) Updated:Tue, 23 Mar 2021 03:54 PM (IST)
काम के दौरान दूर रहकर भी तीन साल के बेटे टाइगर श्रॉफ पर ऐसे नजर रखते थे जैकी श्रॉफ, बताया पूरा किस्सा
Photo Credit - Tiger Shroff Instagram Photo Screenshot

दीपेश पांडेय, मुंबई। अपने फिल्मी करियर में जैकी श्रॉफ ने कई यादगार किरदारों को निभाया है। अब वह 26 मार्च को डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर रिलीज हो रही वेब सीरीज 'ओके कंप्यूटर' में पुष्पक शकूर के किरदार में नजर आएंगे। दुनियाभर में बढ़ती तकनीक और पर्यावरण के बीच चल रही जिद्दोजहद पर आधारित यह वेब सीरीज साल 2031 की पृष्ठभूमि में कल्पित है। जग्गू दादा के नाम से प्रसिद्ध जैकी का कहना है कि उन्हें जो भी काम मिला, उन्होंने उसे पूरे दिल से किया। उनसे हुई बातचीत के प्रमुख अंश...

 

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सवाल: आपके लिए इस शो में सबसे खास क्या रहा?

जवाब: शो में मेरा किरदार पूरी तरह से तकनीक के खिलाफ है। मैंने सोचा कि एक ऐसा भी प्रोजेक्ट करके देखता हूं। शो में राधिका आप्टे, विजय वर्मा जैसे युवा कलाकारों ने कमाल का काम किया है। इस साइंस फिक्शन वेब सीरीज को कॉमेडी के साथ प्रस्तुत किया जा रहा है, जो बहुत कम होता है। शो में कॉमेडी के साथ एक बहुत खूबसूरत सामाजिक संदेश भी दिया गया है। वैसे भी मैं काम को मना बहुत कम करता हूं।

 

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सवाल: आपने प्रकृति और तकनीक के बीच टकराव कब महसूस किया?

जवाब: टकराव इतना बड़ा भी नहीं है, लेकिन है तो जरूर। अब ढेर सारी चिड़ियों की प्रजाति नहीं दिखती हैं। इसी तरह कई अन्य चीजों पर भी इसका असर दिख रहा है। अगर दुनिया को आगे बढ़ना है तो तकनीक की जरूरत तो पड़ेगी ही, लेकिन दोनों के बीच संतुलन बनाना बहुत जरूरी है। सिर्फ तकनीक या सिर्फ जंगल और पेड़-पौधों का विकास हो तो सही नहीं है। दोनों के एक साथ मिलकर विकास करने में ही मानव सभ्यता की भलाई है।

सवाल: तकनीक और प्रकृति के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए क्या चीजें जरूरी समझते हैं?

जवाब: व्यक्तिगत तौर पर तो मैं किसी चीज के खिलाफ नहीं हूं। आज के दौर में तकनीक के बगैर जीना मुश्किल है। दांत निकलवाने से लेकर बड़ी-बड़ी सर्जरी कराने में तकनीक की अहम भूमिका है। आज अगर हम एक दूसरे से बात कर रहे हैं, यह भी तकनीक के बिना नहीं हो पाता, लेकिन मैं यह भी चाहता हूं कि तकनीक और प्रकृति के बीच संतुलन बना रहे। दिन भर मोबाइल में देखने की बजाय कुछ पल अपने माता-पिता की आंखों में भी देख लो। अगर आप सोते वक्त सिर के पास मोबाइल रखते हैं तो, वहीं पास में एक छोटा सा तुलसी का पौधा भी रख दें। इससे आपके सर की के आस-पास की ऊर्जा का संतुलन बना रहेगा।

 

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सवाल: ट्रेलर में आपका किरदार बिना कपड़ों के दिखाई देता है?

जवाब: वह सोचता है कि कपड़े वगैरह सब तकनीक से बनाई हुई चीजें हैं। इंसान जब इस दुनिया में आया था तो कपड़े वगैरह थे ही नहीं, इसलिए उसने प्रकृति की बीच में ही पत्ते बांधकर रहना सही समझा। इस तरह से उसने कपड़े, चमड़े के जूते समेत तकनीक से जुड़ी कई चीजों का त्याग कर दिया है। सवाल: आप तकनीक को लेकर कितना अपडेट रहते हैं?

जवाब: साल 1993 में जब मेरा बेटा तीन साल का था तो मैं दूर रहकर भी बातें करते हुए उसे देख सकता था। मैं तब से कंप्यूटर और तकनीक से जुड़ा हूं। उन दिनों कंप्यूटर के ऊपर कैमरा लगा होता था और इंटरनेट डायल-अप चलता था। ऑपरेटर एक पासवर्ड देते थे, जिसे डालने के बाद ही इंटरनेट से कनेक्ट कर सकते थे। तकनीक और मेरा संबंध बहुत पुराना है। मैंने हमेशा ही अपने जीवन में तकनीक को प्राथमिकता दी है। इसके साथ मेरे लिए पेड़-पौधे भी जरूरी है। माता-पिता को अपने बच्चों को पेड़-पौधे उगाना सिखाना चाहिए और उनके जन्मदिन पर कम से कम एक पेड़ तो लगाना ही चाहिए।

 

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सवाल: आप जानवरों के सहायतार्थ भी काम करते हैं?

जवाब: मेरे हिसाब से रोड पर घूमने वाले जानवरों के लिए खाने और पानी का एक कोना बनाना चाहिए। हर गली-मुहल्ले में कुत्ते, बिल्लियां समेत कई जानवर होते हैं। हमें अपने घर के बचे हुए खाने को फेंकने के बजाए जानवरों के खाने के लिए सुनिश्चित किए गए स्थान पर रख देना चाहिए। गर्मियों के दिनों में जानवरों के खाने और पानी दोनों चीजों के लिए बहुत मारा-मारी रहती है।

सवाल: जैकी दादा नाम से आपको सबसे पहले किसने बुलाया था?

जवाब: स्कूल के दिनों में मेरी मां प्यार से मुझे जग्गू बुलाती थी। तो मेरे आस-पास रहने वाले लोग मुझे जग्गू दादा बुलाने लगे। इस तरह मेरी मां मुझे जग्गू बेटा तथा दोस्त जग्गू दादा बुलाते थे। दोस्तों का दिया नाम आज भी चल रहा है।

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