'जानवर' में अक्षय कुमार से पहले इन दो स्टार्स को कास्ट करने जा रहे थे सुनील दर्शन, फिर ऐसे हुई खिलाड़ी कुमार की एंट्री
अक्षय कुमार से बातचीत में पता चला कि वह कनाडा की नागरिकता लेकर वहीं रहने की योजना भी बना रहे थे। अजय बहुत ही सरल स्वभाव के अभिनेता हैं जब मैंने उन्हें फिल्म में अक्षय को कास्ट करने वाली बात बताई तो वह बुरा नहीं मानें।
नई दिल्ली, जेएनएन। साल 1999 में रिलीज हुई फिल्म जानवर से लगातार फ्लॉप हो रहे अक्षय कुमार के फिल्मी करियर को संजीवनी मिली थी। इस एक्शन ड्रामा फिल्म के बनने की पीछे की पूरी कहानी बता रहे हैं फिल्म के निर्माता और निर्देशक सुनील दर्शन:
मैंने अपने करियर के शुरुआती दस वर्षों में सनी देओल के साथ 'इंतकाम', 'लुटेरे' और अजय तीन फिल्में बनाई। उन्हीं को ध्यान में रखते हुए मैंने साल 1997 में इंदौर में फिल्म 'जानवर' की कहानी लिखी। साल 1998 में मैंने सनी को यह कहानी सुनाई। बाद में सनी के साथ वित्तीय मामलों में कुछ अनबन होने के कारण मैंने किसी दूसरे एक्टर के साथ फिल्म बनाने का निर्णय लिया। फिर मेरी मुलाकात अजय देवगन से हुई, कहानी सुनने के बाद वह इस फिल्म को करने के लिए राजी हो गए थे। वह शनिवार का दिन था, हमने सोमवार को मिलकर बाकी की कागजी कार्रवाई पूरी करने का फैसला किया। इसी बीच रविवार को मुझे अक्षय कुमार का फोन आया, उन्होंने मुझसे मिलने की इच्छा जताई। उनसे मिलने से पहले मैंने उनके बारे में काफी सोच-विचार किया, क्योंकि इससे पहले उनकी करीबन एक दर्जन फिल्में फ्लॉप हो चुकी थी। अक्षय से मिलकर मुझे यकीन हो गया था की फिल्म चले या न चले, लेकिन यह अभिनेता अपनी क्षमता का शत-प्रतिशत इस फिल्म को देगा।
उस वक्त अक्षय कुमार से बातचीत में पता चला कि वह कनाडा की नागरिकता लेकर वहीं रहने की योजना भी बना रहे थे। अजय बहुत ही सरल स्वभाव के अभिनेता हैं, जब मैंने उन्हें फिल्म में अक्षय को कास्ट करने वाली बात बताई तो वह बुरा नहीं मानें। अक्षय की लगातार फ्लॉप हो रही फिल्मों के बीच मैंने फिल्म में स्टार वैल्यू जोड़ने के लिए उस वक्त इंडस्ट्री की टॉप हीरोइनों में से एक करिश्मा कपूर को कास्ट करने का फैसला किया।
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इससे पहले उनकी 'राजा हिंदुस्तानी' और 'दिल तो पागल है' जैसी कई फिल्में सुपरहिट हो चुकी थी। मेरे कहने पर उन्होंने इस फिल्म में सपना का किरदार निभाना स्वीकार किया। ममता ओबेरॉय के किरदार के लिए हमने काजोल को फाइनल किया था, लेकिन उसी वक्त उनकी और अजय की शादी की योजनाएं तय हो गई। काजोल की मम्मी ने मुझे इस बारे में बताकर उनके फिल्म में काम करने की असमर्थता जताई। उसके बाद उनकी जगह फिल्म में शिल्पा शेट्टी को कास्ट किया।
उस दौर में एक ग्लैमरस हीरोइन की पहचान रखने वाली शिल्पा को एक सादगी पूर्ण महिला के किरदार में स्वीकृति दिला पाना एक चुनौतीपूर्ण काम था। मैंने कहीं पर ग्रीक अमेरिकी संगीतकार यानी की तस्वीरें देखी थी, उन्हीं से प्रेरित होकर मैंने अक्षय के किरदार 'बाबू लोहार' का लुक डिजाइन किया था। 'मौसम की तरह...', 'तुझे ना देखूं तो...', 'मेरा यार दिलदार...' समेत फिल्म के सारे गाने सुपरहिट हुए। लुटेरे और अजय के बाद आनंद-मिलिंद के साथ यह मेरी तीसरी और आखिरी फिल्म थी। इस फिल्म का संगीत सुपरहिट होने का श्रेय आनंद-मिलिंद के साथ-साथ गीतकार समीर को भी जाता है।