Interview: हर इंसान में बसा है डर -राम गोपाल वर्मा, निर्देशक से हॉरर फिल्मों को लेकर खास बातचीत

हॉरर फिल्मों को नया आयाम देने वाले राम गोपाल वर्मा साल की शुरुआत में लेकर आए फिल्म ‘12 ओ’ क्लॉक’। ‘सरकार-3’ के बाद लंबे वक्त से दर्शकों से दूर राम गोपाल वर्मा ने कोरोना काल में कुछ फिल्में आरजीवी वल्र्ड थियेटर में भी रिलीज की थीं।

By Anand KashyapEdited By: Publish:Sun, 17 Jan 2021 02:06 PM (IST) Updated:Sun, 17 Jan 2021 05:01 PM (IST)
Interview: हर इंसान में बसा है डर -राम गोपाल वर्मा, निर्देशक से हॉरर फिल्मों को लेकर खास बातचीत
फिल्म निर्देशक राम गोपाल वर्मा, तस्वीर: इंस्टाग्राम

मुंबई, प्रियंका सिंह । हॉरर फिल्मों को नया आयाम देने वाले राम गोपाल वर्मा साल की शुरुआत में लेकर आए फिल्म ‘12 ओ’ क्लॉक’। ‘सरकार-3’ के बाद लंबे वक्त से दर्शकों से दूर राम गोपाल वर्मा ने कोरोना काल में कुछ फिल्में आरजीवी वल्र्ड थियेटर में भी रिलीज की थीं। उनसे प्रियंका सिंह की बातचीत के खास अंश...

कोरोना काल में भी फिल्में बनाते रहने के लिए कौन सी बातें प्रेरित करती रहीं?

मैं पेशे से फिल्ममेकर हूं। मेरा जॉब है फिल्में बनाना। हम ऐसी परिस्थिति में थे, जिसके बारे में किसी ने कभी सोचा नहीं था। इन परिस्थितियों में हम क्या कर सकते हैं, उस पर मैंने विषय चुने, जिसे सीमित लोकेशन, क्रू और सुरक्षा निर्देशों के बीच बनाया।

हिंदी दर्शकों से आप काफी समय से दूर रहे, इसका क्या कारण है?

मैं हैदराबाद से हूं। तेलुगु फिल्में ज्यादा बनाता आया हूं। सब कहानी पर निर्भर करता है। ‘12 ओ’ क्लॉक’की कहानी मुंबई में सेट थी, इसलिए मैंने यहीं के एक्टर के साथ इसे हिंदी में बनाया।

हॉरर जॉनर में नयापन लाने के लिए किन बातों को ध्यान में रखते हैं?

मैंने हर फिल्म के साथ उन नई तकनीकों को इस्तेमाल किया जो कैमरा, साउंड, पोस्ट प्रोडक्शन में कुछ नया कर सकती हैं। इन नई तकनीकों को अपनाकर खुद को अपडेट करने की कोशिश करता हूं। विषय में अगर नयापन होता है, तो उससे नई स्टाइल बनती है। उस स्टाइल को पर्दे पर पहुंचाने के लिए सोचना पड़ता है कि किस तकनीक का इस्तेमाल करें। हर फिल्म की सोच और समझ अलग होती है। सुपरनैचुरल चीजें दुनिया में है या नहीं, वह किसी को पता नहीं। अगर हैं, तो उस वक्त आप क्या करेंगे, मेरी फिल्में अक्सर उसके इर्द-गिर्द होती हैं, इसलिए उस दौर के मुताबिक नयापन आ जाता है।

भारतीय हॉरर फिल्मों को अंतरराष्ट्रीय फिल्मों के मुकाबले आप कहां देखते हैं?

मेरा मानना है कि डर वैश्विक भावना है। यह हर इंसान के अंदर है। यह जॉनर किसी देश में नहीं बंधा है। हॉरर फिल्में भावनाओं पर बनती हैं। अगर आप बंद दरवाजे के अंदर अकेले हैं, तो दुनिया के किसी भी कोने में डर लग सकता है। यही इमोशन हर देश की फिल्मों में होता है।

हॉरर में कई दूसरे जॉनर जैसे कॉमेडी, थ्रिलर आदि को शामिल किया जा रहा है। इसे कितना सकारात्मक मानते हैं?

हमें इसे अलग करके नहीं देखना चाहिए। हर फिल्म की अपनी जरूरत होती है। उसके मुताबिक जॉनर बदल जाता है।

अब फिल्म में महिलाओं को सिर्फ सुंदर ही नहीं सशक्त भी दिखाया जा रहा है, उस पर आपकी क्या राय है?

मेरी आगामी फिल्म ‘लड़की’ में इन दोनों का मिश्रण दिखेगा। यह फिल्म मार्शल आर्ट पर बनी है। इसमें मेरा उद्देश्य महिला की शक्ति और खूबसूरती दोनों को दिखाने का है। मैंने जिस अभिनेत्री को फिल्म में लिया है, वह खुद मार्शल आर्ट में माहिर है। मेरी फिल्मों में वैसे भी महिलाओं के अलग-अलग रूपों को दिखाया जाता रहा है।

‘आरजीवी मिसिंग’ में आपने अभिनय भी किया है। अभिनय का शौक कब जगा? क्या अपनी बायोपिक में भी अभिनय करेंगे?

‘आरजीवी मिसिंग’ में मेरा बहुत ही छोटा रोल है। जहां तक बात बायोपिक की तो उसमें मैं एक्टिंग नहीं करने वाला। वह सिर्फ मेरे कॉलेज के वक्त की कहानी होगी।

कई बार अपनी फिल्मों को लेकर आपको आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा है। उनको कैसे लेते हैं?

मैंने वक्त के मुताबिक फिल्में बनाई हैं। जिस वक्त जो कहानियां प्रासंगिक लगती हैं, उन्हें बनाता हूं। मुझे आलोचनाओं से फर्क नहीं पड़ता। एक फिल्म खत्म करने के बाद उससे निकलकर दूसरी फिल्म में रम जाता हूं।

क्या ‘रंगीला’ को आज के दौर में बनाना चाहेंगे?

अभी जो फिल्में बना रहा हूं, उसमें रोमांटिक-कॉमेडी फिल्म शामिल नहीं है। मुझे नहीं लगता है कि इस दौर में ‘रंगीला’ बना पाऊंगा। वह फिल्म कई फैक्टर्स के साथ मिलाकर बन पाई थी।

‘कंपनी’ फिल्म में आप डी कंपनी की कुछ और जानकारियां शामिल करना चाहते थे। क्या

आपकी आगामी वेब सीरीज उन कमियों को पूरा करेगी?

बिल्कुल, डिजिटल की वजह से यहां मुझे दाऊद और छोटा राजन के बीच का जो तनाव था, उसे विकसित तौर पर दिखाने का मौका मिलेगा। निर्देशक होने के नाते यहां मैं आजाद महसूस कर रहा हूं। 

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