लॉकडाउन के सन्नाटे को दिखाएगी भरतबाला की यह शॉर्ट फ़िल्म, व्हाट्स एप के ज़रिए किया निर्देशन

Short Film on Lockdown भरतबाला ने 14 राज्यों के गांवों और शहरों के सन्नाटे को कैप्चर किया है। भरतबाला मुख्य रूप से नेशनल एंथम के वीडियो बनाने के लिए जाने जाते हैं।

By Manoj VashisthEdited By: Publish:Fri, 05 Jun 2020 07:45 PM (IST) Updated:Fri, 05 Jun 2020 07:45 PM (IST)
लॉकडाउन के सन्नाटे को दिखाएगी भरतबाला की यह शॉर्ट फ़िल्म, व्हाट्स एप के ज़रिए किया निर्देशन
लॉकडाउन के सन्नाटे को दिखाएगी भरतबाला की यह शॉर्ट फ़िल्म, व्हाट्स एप के ज़रिए किया निर्देशन

नई दिल्ली, जेएनएन। कोरोना वायरस के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 मार्च को देशभर में पहले लॉकडाउन का एलान किया था। लॉकडाउन ने देशवासियों की ज़िंदगी बड़े पैमाने पर प्रभावित की। लॉकडाउन के प्रभावों को संजोकर रखने के लिए फ़िल्ममेकर भरतबाला ने एक शॉर्ट फ़िल्म का निर्माण किया है। इस फ़िल्म की ख़ासियत यह है कि यह शॉर्ट फ़िल्म उस ख़ामोशी और खालीपन को दिखाएगी, जो लॉकडाउन के दौरान पूरे देश में पसरा रहा। 

उठेंगे हम शीर्षक से बनी 10 मिनट की शॉर्ट फ़िल्म 6 जून को रिलीज़ की जा रही है। इस फ़िल्म में भरतबाला ने 14 राज्यों के गांवों और शहरों के सन्नाटे को कैप्चर किया है। एक बातचीत में भरतबाला ने बताया कि जब 24 मार्च को लॉकडाउन का एलान किया गया तो ज़हन में ख्याल आया कि इस दौरान पूरे भारत को कवर करना चाहिए। खालीपन को दिखाना चाहिए। एक ही जगह जहां लाखों लोग जमा होते थे। वहां पूरी ख़ामोशी छा गयी। इसको याद रखना होगा। भरतबाला ने बताया कि एक साथ 15 टीम इस पर काम रही थीं। 

भरतबाला मुख्य रूप से नेशनल एंथम के वीडियो बनाने के लिए जाने जाते हैं। तीन साल पहले उन्होंने मिशन वर्चुअल भारत के तहत पूरे देश पर 10 -10 मिनट की 1000 शॉर्ट फ़िल्में बनाने का अभियान शुरू किया था। उठेंगे हम को भरतबाला ने अपने इसी अभियान में शामिल कर लिया है।

इस दौरान अलग-अलग राज्यों में टीमों को भेजने के लिए अनुमति ली गयीं। भरतबाला बताते हैं कि उत्तर प्रदेश पहला राज्य था, जिसने अनुमति दी। एक ही दिन में कई लोकेशंस पर शूटिंग की जा रही थी। मैं व्हाट्स एप के ज़रिए शॉट मॉनिटर करता था। यह कहना दुखद है, मगर 130 करोड़ भारतीयों की ख़ामोशी कैप्चर करना अलग अनुभव था। हमें इसे याद रखना होगा।

भरतबाला ने कहा कि आने वाले समय में फ़िल्ममेकिंग के लिए कुछ नया नॉर्मल बन जाएगा। हालांकि बड़े पर्दे को विस्थापित करना आसान नहीं होगा। 

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