Delhi Air Pollution: दिल्ली में आज घुट रहा है दम, लेकिन सिनेमा पहले ही कर चुका है आगाह
Delhi Air Pollution दिल्ली में बगड़ती हवा के बीच कुछ ऐसी फ़िल्में हैं जो इन विषयों पर बात करती है। सिनेमा में जल और कड़वी हवा जैसी मानवीय पहलू पर बेस्ड फ़िल्में बनी है
नई दिल्ली, जेएनएन। Air Pollution: देश की राजधानी दिल्ली पर इस वक्त 'इस शहर को हुआ क्या है, कहीं राख है, कहीं धुआं-धुआं' वाली लाइन बिलकुल फिट बैठ रही है। दिल्ली में स्मॉग की वजह से लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। एयर क्वालिटी के मामले में दिल्ली फिलहाल दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर है। दिल्ली ही नहीं, बल्कि पूरा देश किसी ना किसी प्रदूषण से परेशान है। आज जब इसकी चर्चा हो रही है, तब फ़िल्मों को भी याद करना बनता है। सिनेमा हमेशा ऐसे मुद्दों को अपने परिवेश में जगह देता रहा है। हम इस खब़र में ऐसी ही फ़िल्मों के बारे में बता रहें हैं, जो इन मुद्दों को उठाती रही है।
1. कार्बन- साल 2017 में जैकी भगनानी ने वायु प्रदूषण को लेकर एक साइंस फिक्शन शॉर्ट फ़िल्म बनाई। कार्बन नाम की इस फ़िल्म में नवाजुद्दीन सिद्दीकी भी अहम भूमिका में थे। इस फ्यूचरिस्टिक फ़िल्म का प्लॉट साल 2067 में सेट किया गया था, जिस समय पूरी दुनिया कार्बन गैस से भर चुकी है। गैस सिलेंडर की सहायता से लोगों को ऑक्सीजन की सप्लाई की जा रही है। फ़िल्म को काफी तारीफ भी मिली थी।
2. भोपाल एक्सप्रेस- साल 1999 में भोपाल गैस त्रासदी के ऊपर एक फ़िल्म बनी। भोपाल एक्सप्रेस नाम की इस फ़िल्म में गैस त्रासदी के बाद की परिस्थितियों को दिखाया गया है। साल 1984 में यूनियन कार्बाइड कंपनी से जानलेवा गैस मिथाइल आइसोसाइनेट लीक होने की वजह से हुई इस त्रासदी में एक ही रात में हजारों लोगों की जानें चली गई थी। इसके बाद भोपाल की हवा बिलकुल ही खराब हो गई। इस फ़िल्म में के के मेनन, नसीरुद्दीन शाह और विजय राज़ जैसे अदाकारों ने शानदार काम किया है।
(Photo Credit- Twitter)
3.चर्नोबेल- साल 2019 में एचबीओ पर एक टीवी सीरीज़ आई। इस सीरीज़ ने खूब सुर्खियां बटोरी। रूस के शहर चर्नोबेल में हुए परमाणु रिएक्टर त्रासदी पर आधारित इस सीरीज़ को खूब सराहा गया। इस सीरीज़ ने दुनिया भर में कई अवॉर्ड्स जीते। बता दें कि साल 1986 में रूस के शहर चर्नोबेल में परमाणु रिएक्ट में विस्फोट हो गया था। इसके बाद वायु में फैले जहर से काफी लोगों की मौत हुई थी।
4.कैन डोट्स : एन अननेचुरल स्टोरी- विदेशी सिनेमा शुरू से इन मामलों को लेकर काफी आगे था। साल 1988 में फ़िल्म का निर्माण किया गया। ऑस्ट्रेलिया में सुगर पेस्ट को कंट्रोल करने के लिए मेंढक लाए गए। इन्होंने पूरे ऑस्ट्रेलिया में ताबाही मचा दी। लोगों का जीना दूभर हो गया। इसे बॉफ्टा ने बेस्ट शॉर्ट फ़िल्म का अवॉर्ड दिया।
5.बिफोर द फ्लड- लियोनार्डो डी कैपरियो वैसे भी अपने पर्यावरण प्रेम के लिए जाने जाते हैं। साल 2016 में वह एक डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म लेकर आए। इसमें लियोनार्डो ने प्रदूषण को लेकर वैज्ञानिकों, पर्यावरणविद और एक्टविस्ट से बात की। इससे ब्रिटिश फ़िल्म अवॉर्ड से नवाजा गया है।
इन फ़िल्मों के अलावा प्रदूषण और पर्यावरण को लेकर सिनेमा हमेशा से सक्रिय रहा है। हॉलीवुड में जहां कई शानदार साइंस फिक्शन फ़िल्में बनीं तो हिंदी सिनेमा में जल और कड़वी हवा जैसी मानवीय पहलू पर बेस्ड फ़िल्में बनी हैं।