Vidhu Vinod Chopra की जब लालकृष्ण आडवाणी ने इस तरह से की थी आर्थिक मदद, फिल्मकार ने शेयर किया ये दिलचस्प किस्सा

बॉलीवुड के मशहूर निर्माात-निर्देशक और पटकथा लेखक विधु विनोद चोपड़ा की गिनती बॉलीवुड के शानदार फिल्मकार के तौर पर होती है। उन्होंने बॉलीवुड को एक से बढ़कर एक फिल्में दी हैं। अब इन दिनों विधु विनोद चोपड़ा अपनी किताब को लेकर काफी सुर्खियों में हैं।

By Anand KashyapEdited By: Publish:Tue, 26 Jan 2021 01:23 PM (IST) Updated:Tue, 26 Jan 2021 02:14 PM (IST)
Vidhu Vinod Chopra की जब लालकृष्ण आडवाणी ने इस तरह से की थी आर्थिक मदद, फिल्मकार ने शेयर किया ये दिलचस्प किस्सा
निर्माात-निर्देशक विधु विनोद चोपड़ा,राजनेता लालकृष्ण आडवाणी, Instagram : vidhuvinodchoprafilms/ bharatgupta2294

नई दिल्ली, जेएनएन। बॉलीवुड के मशहूर निर्माात-निर्देशक और पटकथा लेखक विधु विनोद चोपड़ा की गिनती बॉलीवुड के शानदार फिल्मकार के तौर पर होती है। उन्होंने बॉलीवुड को एक से बढ़कर एक फिल्में दी हैं। अब इन दिनों विधु विनोद चोपड़ा अपनी किताब को लेकर काफी सुर्खियों में हैं। यह किताब उनकी आत्मकथा है, जिसका नाम 'अनस्क्रिप्टेड - कन्वर्सेशन ऑन लाइफ एंड सिनेमा'।

इस किताब को खुद विधु विनोद चोपड़ा और अभिजीत जोशी ने लिखा है। इस किताब में विधु विनोद चोपड़ा ने अपनी जिंदगी के कई मजेदार किस्से भी साझा किए हैं। विधु विनोद चोपड़ा ने किताब में भारतीय राजनीति के दिग्गज और मशहूर राजनेता लालकृष्ण आडवाणी से जुड़ा अपना एक दिलचस्प किस्सा भी साझा किया है। जब राष्ट्रीय पुरस्कार लेने के बाद विधु विनोद चोपड़ा लालकृष्ण आडवाणी के गुस्से का शिकार हो गए थे।

साल 1976 में विधु विनोद चोपड़ा को अपनी शॉर्ट फिल्म मर्डर एट मंकी हिल के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था। इस पुरस्कार को लेने के बाद वह लालकृष्ण आडवाणी के गु्स्से का शिकार हो गए थे। विधु विनोद चोपड़ा ने किताब में बताया है कि जब उन्हें पुरस्कार और पुरस्कार की राशि देने के लिए मंच पर बुलाया गया था, तो उस समय नीलम संजीव रेड्डी भारत के राष्ट्रपति थे और लालकृष्ण आडवाणी सूचना और प्रसारण मंत्री थे। इन दोनों ने स्टेज पर विधु विनोद चोपड़ा का स्वागत किया।

राष्ट्रपति ने उन्हें एक भूरे रंग के लिफाफे के साथ एक गोल्ड मेडल दिया। विधु विनोद चोपड़ा को उम्मीद थी कि इस लिफाफे में 4000 रुपये की नकद राशि होगी, लेकिन जब उन्हें पता चला कि लिफाफे में एक डाक बांड था जिसे सात वर्षों में एन्कोड किया जा सकता है तो वह निराश हो गए। उसी समय विधु विनोद चोपड़ा ने लालकृष्ण आडवाणी से सीधे नकदी को लेकर पूछ लिया था। इसके बाद लालकृष्ण आडवाणी उन्हें यह समझाने की कोशिश की कि इस डाक बांड से बाद में पैसा मिलेगा, लेकिन विधु विनोद चोपड़ा तुरंत पैसे चाहते थे। जिसके बाद लालकृष्ण आडवाणी उन्हें कल मिलने के लिए कहते हैं।

विधु विनोद चोपड़ा अगले दिन लालकृष्ण आडवाणी से शास्त्री भवन में मिलते हैं। जहां वह चोपड़ा को बीते दिन की बात के लिए जमकर डांटा लगाते हैं। इसके बाद चोपड़ा लालकृष्ण आडवाणी को समझाते हैं कि उन्होंने अपने दोस्तों से 1200 रुपये उधार लिए थे और सोचा था कि पुरस्कार की राशि से वह पैसे वापस कर देंगे। यह बात सुनकर आडवाणी का दिल पिघल गया। जिसके बाद न केवल पुरस्कार राशि दी बल्कि फिल्म निर्माता के लिए नाश्ते के रूप में अंडे और पराठे का भी ऑर्डर दिया। विधु विनोद चोपड़ा ने किताब में बताया है कि यह उनकी जिंदगी का काफी दिलचस्प किस्सा था।

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