मेहनतकश बुनकरों की ज़िंदगी को लेकर वरुण धवन के दिल में ये है दर्द
ये फिल्म, देश के बुनकरों और शिल्पकारों को स्वावलंबी बनाने और उनके उत्थान की बात करती है।
रूपेशकुमार गुप्ता, मुंबई। फिल्म अभिनेता वरुण धवन ने मुंबई में फिल्म सुई धागा मेड इन इंडिया के प्रचार के दौरान बुनकरों और शिल्पकारों को मिलने वाले कम मेहनताने को लेकर अफ़सोस ज़ाहिर करते हुए कहा कि इस बात से उन्हें बड़ा दुःख होता है।
इस मौके पर पत्रकारों से हुई बातचीत के दौरान वरुण धवन ने कहा कि देश में स्वालंबन से काम कर रहे बुनकरों और शिल्पकारों को उनका मेहनताना नहीं मिलता जो कि गलत बात है। वरुण धवन ने आगे यह भी कहा कि हमारे देश के बुनकर और शिल्पकारों की प्रतिभा यह भारत की विरासत है जिसे बनाए रखना हमारा उत्तरदायित्व है। उन्होंने फिल्म सुई धागा मेड इन इंडिया के मार्फत डब्लू डब्लू डब्लू डॉट सुविधागा डॉट को डॉट इन नामक एक वेबसाइट बनाई है जो बुनकरों और शिल्पकारों के बनाए हुए कपड़े को बिना किसी मध्यस्थ के सीधे खरीदार तक पहुंचाने का काम करेगी।
वरुण और अनुष्का ने बुधवार को इस वेबसाईट को लॉन्च किया। वरुण ने बताया कि इस वेबसाईट के जरिये बुनकरों और शिल्पकारों को उनके काम का अधिक दाम मिलेगा। वही लोगों को चीजें पहले की अपेक्षा सस्ते दामों पर उपलब्ध होंगी। सुई धागा मेड इन इंडिया में वरुण धवन के अलावा अनुष्का शर्मा की भी अहम भूमिका है। ये फिल्म, देश के बुनकरों और शिल्पकारों को स्वावलंबी बनाने और उनके उत्थान की बात करती है। शरत कटारिया के निर्देशन में बनी फिल्म सुई धागा इसी महीने रिलीज़ हो रही है।
पिछले दिनों अनुष्का ने बातचीत में कहा था कि उन्होंने पहले इस फिल्म को ना कह दिया था, क्योंकि उन्हें लगता था कि वह इस किरदार में फिट नहीं बैठेंगी। अनुष्का ने बताया कि उन्हें लगा था कि वो मनीष शर्मा और निर्देशक शरद कटारिया के इस किरदार के साथ न्याय नहीं कर पाएंगी लेकिन अनुष्का को शरद और मनीष शर्मा ने मनाया और अब मुझे इस बात की ख़ुशी है कि मैं इस फिल्म का हिस्सा बन पाई हूं। अनुष्का ने कहा कि यह फिल्म उद्यमिता को बढ़ावा देने की कोशिश कर रही है।
सुई-धागा में वरुण धवन और अनुष्का शर्मा पति-पत्नी के किरदार में हैं। फिल्म की कहानी ममता (अनुष्का शर्मा) और मौजी (वरुण धवन) की है। मौजी छोटी नौकरी करता है और कई बार अपने मालिक से अपमानित होता है। वहीं, ममता हाउसवाइफ है। ममता पति के अपमान से काफी परेशान हो जाती है और उसे नौकरी छोड़कर खुद का काम करने की राय देती है। मौजी नौकरी छोड़ देता है और सिलाई का बिजनेस शुरू करता है जिसमें ममता भी उसकी मदद करती है। धीरे-धीरे यह बिजनेस बढ़ता है और सफल होने लगता है। कहानी एक एेसे व्यक्ति की है जो बेरोजगार होने के बाद खुदका व्यापार शुरू करता है। मतलब बेरोजगार से खुदके रोजगार की कहानी को इस फिल्म के माध्यम से दर्शाया जाएगा।
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