रवीना टंडन से शबाना आज़मी तक... इन एक्ट्रेस ने हर भूमिका को फिल्मी पर्दे पर किया जीवंत

तू चीज बड़ी है मस्त मस्त मोहरा फ़िल्म में ये गाना रवीना टंडन के ऊपर फिल्माया गया। फ़िल्म में रवीना का किरदार और गाने के बोल दोनों उस दौर की अभिनेत्रियों की कहानी बयां करते हैं। 26 अक्टूबर जन्म लेने वाली रवीना ने इसका दमन किया था।

By Rajat SinghEdited By: Publish:Mon, 26 Oct 2020 05:18 PM (IST) Updated:Mon, 26 Oct 2020 07:50 PM (IST)
रवीना टंडन से शबाना आज़मी तक... इन एक्ट्रेस ने हर भूमिका को फिल्मी पर्दे पर किया जीवंत
Photo Credit - Raveena/Shabana Instagram Account Photo

नई दिल्ली,जेएनएन। 'तू चीज बड़ी है मस्त मस्त...' मोहरा फ़िल्म में यह गाना रवीना टंडन के ऊपर फिल्माया गया था। फ़िल्म में रवीना का किरदार और गाने के बोल दोनों उस दौर में अभिनेत्रियों की कहानी बयां करते हैं। 26 अक्टूबर यानी आज ही के दिन जन्म लेने वाली एक्ट्रेस रवीना उन एक्ट्रेसेज़ में शामिल हैं, जिन्होंने इस परम्परा का 'दमन' किया था। उन्होंने बताया कि अभिनेत्रियां सिर्फ पड़ों के पीछे खड़े रहने के लिए, सुंदर दिखने के लिए और गानों पर डांस करने के लिए नहीं होतीं। वे फ़िल्मी पर्दे पर अदाकारी भी सकती हैं, जिसके लिए सिनेमा जाना जाता है। उनके पास अगर ग्लैमर है, तो वे आर्ट का प्रदर्शन भी कर सकती हैं। रवीना ने अपनी फ़िल्म करियर में इस बात को साबित किया है।

‘दमन’ के लिए नेशनल अवॉर्ड

रवीना का बॉलीवुड करियर पत्थर के फूल ( 1991) के साथ शुरू हुआ। इसके बाद उन्होंने बॉलीवुड की भाषा में खालिस मसाला फ़िल्मों का रास्ता अख्तियार कर लिया। इस सफ़र में मोहरा, दिलवाले, लाडला, जिद्दी और खिलाड़ियों के खिलाड़ी जैसी कॉमर्शियल फ़िल्में आईं। लेकिन साल 2000 के आस-पास रवीना ने इसे बदला। उन्होंने रुख़ किया, अभिनय के अलग दौर की ओर। साल 1999 में आई फ़िल्म ‘शूल’ में वह एक पुलिस वाले की पत्नी के किरदार में दिखीं। फिल्म में उनका छोटा, लेकिन बहुत पॉवरफुल एक्ट देखने को मिला। इसके बाद बुलंदी और अक्स जैसी फ़िल्मों में भी वह जबरदस्त अदाकारी दिखाती नज़र आईं। साल 2001 में आई फ़िल्म ‘दमन’ में उन्होंने अपने किरदार कल्पना से सबका दिल जीत लिया। इसके उन्हें बेस्ट एक्ट्रेस का नेशनल फ़िल्म अवॉर्ड भी मिला।

वैसे रवीना ही ऐसी एक एक्ट्रेस नहीं हैं, जिन्हें पर्दे पर ग्लैमर का तड़का लगाने के साथ इंटेंस किरदार निभाया हो। इसके अलावा, बॉलीवुड में कई ऐसी अभिनेत्रियां रही हैं, जिन्होंने जितनी कामयाबी के साथ अपना ग्लैमर बिखेरा, उतनी ही शिद्दत से अपनी अपनी अदाकारी से सिनेमा को कला के रूप में सार्थक बनाया। आइए जानते हैं...

 

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स्मिता पाटिल

स्मिता पाटिल उन अभिनेत्रियों में काफी आगे खड़ी हैं, जिन्होंने आर्ट और कॉमर्शियल दोनों जगहों में फेम हासिल किया। स्मिता ने उस दौर में श्याम बेनेगल, गोविंद निहलानी और मृणाल सेन जैसे जबरदस्त निर्देशकों के साथ काम किया। वह एक टीवी न्यूज़ रीडर और फोटोग्राफर थीं, जब उन्हें श्याम बेनगल ने खोज़ा। उन्हें भूमिका जैसी हिंदी फ़िल्म के लिए नेशनल अवॉर्ड दिया गया। लेकिन एक ऐसा भी दौर आया, जब वह अमिताभ बच्चन के साथ नमक हलाल जैसी कॉमर्शियल फ़िल्मों में बारिश के गानों पर थिरकती दिखीं। इसमें शक्ति का भी नाम आप शामिल कर सकते हैं।

शबाना आज़मी

शबाना आज़मी ने एक लंबा समय दिया आर्ट फ़िल्मों को। ख़ास बात है कि वह अपनी आर्ट फ़िल्मों के लिए ही जानी जाती रही हैं। साहित्यिक परिवार से आने वाली शबाना ने करियर की शुरुआत अंकुर जैसी आर्ट फ़िल्म से ही की। ख़ास बात यह है, इसके साथ श्याम बेनगल ने भी बतौर निर्देशक करियर की शुरुआत की थी। शबाना ने इसके बाद निशांत, सत्यजीत रे के साथ शतरंज के खिलाड़ी और मृणाल सेन के साथ खानदान जैसी खालिस आर्ट फ़िल्में कीं। शबाना ने कॉमर्शियल फ़िल्मों में खुद को बख़ूबी साबित किया। उन्होंने मनमोहन देसाई के साथ अमर अकबर एंथनी और प्रकाश मेहरा के साथ ज्वालामुखी जैसी फ़िल्में कीं।

करिश्मा कपूर

करिश्मा कपूर को अक्सर उनकी और गोविंदा के साथ कॉमर्शियल फ़िल्मों के लिए याद किया जाता है। प्रेम कैदी के साथ करियर शुरू करने वाली करिश्मा ने जिगर, अनाड़ी, राजा बाबू, राजा हिंदुस्तानी और अंदाज़ अपना-अपना जैसी जबरदस्त हिट कॉमर्शियल फ़िल्में कीं। लेकिन जब वह अपने करियर की ऊंचाइयों पर थीं, तब उन्होंने खालिद मोहम्मद की फिज़ा और श्याम बेनगल की जुबैदा जैसी फ़िल्मों के ज़रिए अभिनय की एक अलग साइड पेश की। दोनों ही फिल्मों में उनका एक्टिंग को काफी सराहा गया।

तापसी पन्नू

शुरू से लेकर आज तक कई अभिनेत्रियां इसे साबित करती आई हैं। अब जब माहौल काफी बदल गया है, तब भी एक्ट्रेसेज़ ने ग्लैमर और संजीदा सिनेमा का तालमेल बनाकर रखा है। तापसी पन्नू इसका सबसे बेहतरीन उदाहरण हैं। तापसी ने अपने करियर की शुरुआत साउथ कॉमिर्शियल फ़िल्म के साथ की। हिंदी में भी उन्होंने शुरुआत चश्मे बद्दूर जैसी रीमेक फ़िल्म के साथ की। इसके बाद जुड़वा जैसी कॉमर्शियल फ़िल्में भी आईं। लेकिन उन्होंने पिंक और अनुभव सिन्हा की फ़िल्म थप्पड़ से साबित किया कि अभिनेत्रियां सिर्फ प्रॉप नहीं होती हैं।

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