Boycott Thappad ट्रेंड पर आया तापसी पन्नू का धाकड़ जवाब, बोलीं- ट्रेंड के लिए बस एक दो हज़ार ट्वीट्स चाहिए!
Boycott Thappad तापसी पन्नू ने ख़ुद भी सीएए के ख़िलाफ़ मुंबई में हुए शांतिपूर्ण प्रोटेस्ट में हिस्सा लिया था। तभी से बॉयकॉट के लिए अभियान चलाया जा रहा है।
नई दिल्ली, जेएनएन। तापसी पन्नू की फ़िल्म 'थप्पड़' बड़े पर्दे पर रिलीज हो चुकी है। इस फिल्म ने रिलीज से पहले ही काफी सुर्खियां बटोरी हैं। जहां फिल्म की कहानी को लेकर सोशल मीडिया पर पॉजिटिव रिस्पॉन्स मिल रहे हैं, वहीं कुछ लोग इस फिल्म का विरोध भी करते नजर आए।
फ़िल्म के निर्देशक अनुभव सिन्हा नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध में होने की वजह से कुछ लोग इसके बहिष्कार की बातें कर रहे हैं। इसको लेकर सोशल मीडिया में हैशटैग भी चलाये गये, जिनमें थप्पड़ का बॉयकॉट करने की बातें कही गयीं।
फिल्म रिलीज होने के बाद तापसी पन्नू ने ई टाइम्स से बातचीत में फिल्म के विरोध को लेकर अपनी राय रखी। तापनी ने कहा- ''मुझे लगता है कि एक्टर्स की व्यक्तिगत राय का असर उनके प्रोफेशन पर नहीं दिखना चाहिए और काफ़ी हद तक ऐसा होता भी नहीं है।''
तापसी ने आगे कहा कि किसी भी हैशटैग को ट्रेंड करने के लिए 1000-2000 ट्वीट्स की ज़रूरत होती है, लेकिन क्या इससे वाकई किसी फिल्म पर फर्क पड़ता है? मुझे तो नहीं लगता। मेरे सोशल और पॉलिटिकल विचार कई लोगों से अलग हो सकते हैं। लेकिन इसका ये मतलब बिल्कुल नहीं होता कि लोग मेरी फिल्में नहीं देखेंगे।
तापसी ने साफ़ कहा कि कोई भी एक्टर फिल्म से बड़ा नहीं होता। एक फिल्म में सैकड़ों लोग काम करते हैं। किसी एक एक्टर की सामाजिक और राजनीतिक विचारधारा के हिसाब से तय करना कि फिल्म देखनी है या नहीं देखनी है, मूर्खतापूर्ण है।
बताते चलें कि तापसी पन्नू ने ख़ुद भी सीएए के ख़िलाफ़ मुंबई में हुए शांतिपूर्ण प्रोटेस्ट में हिस्सा लिया था। इस दौरान उन्होंने कहा था कि उन्हें सीएए के बारे में कुछ भी नहीं पता और ना ही उन्होंने इसके बारे में पढ़ा है। लेकिन जेएनयू के छात्रों के साथ हुई मारपीट का वीडियो उन्होंने देखा, जिसे देखकर उन्हें काफी बुरा लगा। इसलिए वे इस प्रोटेस्ट में शामिल हुई थीं। प्रोटेस्ट में शामिल होने के बाद से ही तापसी की फिल्म 'थप्पड़' का विरोध शुरू कर दिया गया था।
बताते चलें, इससे पहले दीपिका पादुकोण की जेएनयू विज़िट की वजह से कुछ लोगों ने छपाक के बहिष्कार का सोशल मीडिया कैंपेन चलाया था, मगर छपाक के कलेक्शंस पर इसका असर नहीं दिखा था। ट्रेड के हिसाब से फ़िल्म मुनाफ़ा कमाने में सफल रही थी।