कोरोना महामारी के बीच सोनू सूद ने ली सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग, बताया क्यों है ज़रूरी
Sonu Sood Self Defence कोरोना काल और लॉकडाउन में मदद करने वाले मसीहा के रूप में पहचाने गए सोनू सूद। मुश्किलों से जूझने और हिम्मत न हारने के इस जज्बे में वो आत्मरक्षा की आदत को बेहद अहम मानते हैं।
आरती तिवारी, जेएनएन। कोरोना काल और लॉकडाउन में मदद करने वाले मसीहा के रूप में पहचाने गए सोनू सूद। मुश्किलों से जूझने और हिम्मत न हारने के इस जज्बे में वो आत्मरक्षा की आदत को बेहद अहम मानते हैं। बीते दिनों वे सेल्फ डिफेंस तकनीक के पांच प्रकारों के रूप में बच्चों के लिए यही सबक लेकर आए। उनसे बातचीत के अंश...
बीते दिनों आप एक सेल्फ डिफेंस कैंपेन से जुड़े थे, उसके बारे में बताएं?
यह हमने ब्रिटानिया के साथ मिलकर बच्चों को जापान, भारत, ब्राजील, इजराइल सहित पांच देशों की फाइटिंग तकनीक सिखाने के लिए ऑनलाइन कैंप किया था। इसमें जूडो, क्रव मगा से लेकर कलारिपयट्टू जैसी तकनीकों को पांच अलग-अलग हिस्सों में सिखाया गया। खास बात यह है कि इन्हें हमने सरल तरीके से सिखाने की कोशिश की। हमारी सोच थी कि कुछ ऐसा करें जिसे न सिर्फ माता-पिता अपने बच्चों के लिए उचित पाएं बल्कि बच्चों को भी सेल्फ डिफेंस की इन आसान तकनीकों को सीखने में रुचि रहे। जब आप सेल्फ डिफेंस में सक्षम होते हैं तो खुद ब खुद दूसरों की मदद के लिए आगे बढ़ जाते हैं। मुझे लगा कि अगर हम आने वाली जेनरेशन को, बढ़ते बच्चों को दूसरों की मदद करने का नोबल सबक देते हैं तो वे परिवार और देश की रक्षा करने का कांफीडेंस हासिल कर पाएंगे।
आपके लिए सेल्फ डिफेंस क्या है?
मेरे लिए सेल्फ डिफेंस अंदरूनी ताकत है। वह ताकत जो आपको कांफिडेंस देती है कि आप जिंदगी का सामना कैसे कर सकते हैं। यह आपको न सिर्फ शारीरिक तौर पर मजबूत बनाती है बल्कि एकाग्रता और फोकस का लेवल भी बढ़ाती है। मेरे ख्याल से हर विद्यार्थी को सेल्फ डिफेंस सीखना चाहिए ताकि उसके अंदर एकाग्रता और फोकस की क्षमता बढ़े।
सामाजिक मदद करने के बीच इस कैंपेन से जुड़ने के लिए कैसे वक्त निकाला?
इस कैंपेन से जुड़ने का एक कारण यह भी था कि इसकी टैगलाइन ‘क्रंच खाओ पंच दिखाओ’ कहीं न कहीं मेरी लाइफ में भी है। पंच का अर्थ यहां शाब्दिक नहीं है बल्कि जिंदगी में मुश्किलों से लड़ने के लिए मानसिक मजबूती से है। मैंने हमेशा एकाग्रता और दृढ़निश्चय को साथ रखकर मुश्किलों को दूर किया है। मैं लगभग हर दिन ऐसी स्थिति का सामना करता हूं जहां मुझे तकलीफों को पंच दिखाकर उनसे जीतने का मौका मिलता है। मेरे डेली रूटीन से इतर यह कैंपेन मेरे लिए थेरेपी की तरह था।
आपके दोनों बेटों को सेल्फ डिफेंस सीखना पसंद है? आप उनको अपनी कौन सी आदतें देना चाहते हैं?
बेशक उनको सेल्फ डिफेंस का बेहद शौक है। बतौर पिता मैं उनको यही आदतें देना चाहता हूं कि वे अपने इस कौशल को दूसरों की मदद करने में इस्तेमाल करें। साथ ही इसे सीखने में जो मेहनत लगी और जो अनुशासन के सबक मिले, उन्हें कभी न भूलें और न उतनी मेहनत करना छोड़ें।
भलाई करने के साथ आने वाली तकलीफों से निपटने में खुद को मजबूत रखने का क्या तरीका अपनाते हैं?
मुझे लगता है कि जब आप भलाई करने जाते हैं तो तमाम तकलीफें सामने आती ही हैं। यह बेहद जरूरी है कि तब आप मानसिक तौर पर बहुत मजबूत रहें और आगे बढ़ते चले जाएं। मेरे ख्याल से सेल्फ डिफेंस तकनीक आपको वही मानसिक मजबूती देती है।
आगामी प्रोजेक्ट के बारे में बताएं?
जल्द ही ‘पृथ्वीराज चौहान’ के अलावा मेरी दो फिल्में साउथ सिनेमा की और हिंदी की भी कुछ फिल्में शुरू होने वाली हैं। कुछ प्रोजेक्ट अभी पाइपलाइन में हैं।