Ranveer Shorey को है डर... कहीं लोग डिजिटल प्लेटफॉर्म पर भी फॉर्मूला आधारित चीजें न बनाने लगे
Ranveer Shorey Web Series डिजिटल प्लेटफॉर्म को लेकर रणवीर शौरी का कहना है कि फिल्ममेकर से लेकर कलाकारों तक सभी को अलग-अलग कहानियां दिखाने का मौका मिल रहा है। इससे सिनेमा में बड़ा सुधार होने की संभावना है।
दीपेश पांडेय, नई दिल्ली। हाल ही में रिलीज वेब सीरीज ‘परिवार: प्यार के आगे वॉर’ में रणवीर शौरी पैतृक जमीन के लिए परिवार में नोकझोंक करने वाले किरदार में हैं। एक्टर ने अपनी आखिरी फिल्मों और वेबसीरीज में अलग-अलग तरह के किरदार निभाए हैं। अपने अलग अलग किरदारों को लेकर रणवीर शौरी का कहना है कि पिछले साल जो भी काम किया था, इत्तेफाक से सारे काम लॉकडाउन के दौरान ही सामने आ रहे हैं। अगर लॉकडाउन नहीं होता तो इतने काम डेढ़ दो साल के अंतराल में आते हैं। उन्होंने जागरण के साथ इंटरव्यू में अपने करियर से जुड़े सवालों के जवाब दिए...
'परिवार' से आपका कैसे जुड़ना हुआ?
- यह शो छोटे शहर के मध्यमवर्गीय परिवार और उनके नैतिक मूल्यों के टकराव की कहानी है। इसके निर्देशक सागर बल्लारी के साथ ‘भेजा फ्राई’ में काम कर चुका हूं। इसकी स्क्रिप्ट भी पसंद आई।
लगातार कॉमेडी प्रोजेक्ट्स से जुड़ना इत्तेफाक है या किसी योजना का हिस्सा? कॉमेडी कलाकार के तौर पर सीमित रह जाने का डर नहीं लगता?
- 'सोनचिरैया' के बाद निर्णय लिया था कि कॉमेडी प्रोजेक्ट्स पर ज्यादा ध्यान दूंगा, क्योंकि लोग खुद को कॉमेडी से जल्दी जोड़ पाते हैं। भले ही पिछले कुछ प्रोजेक्ट कॉमेडी रहे हों, लेकिन उन सभी में मेरे किरदारों में विविधता है। ‘परिवार’ में मेरा किरदार ‘अंग्रेजी मीडियम’, ‘हंसमुख’ और ‘लूटकेस’ से अलग है।
निर्देशक के साथ असहमति होने की दशा में क्या करते हैं?
- मैं ऐसे निर्देशक के साथ काम करना पसंद करता हूं जिसके ऊपर विश्वास कर सकूं। कलाकार और निर्देशक के बीच भरोसे और प्यार से ही अच्छा काम निकाला जा सकता है। निर्देशक के साथ असहमति की स्थिति में भी उसके अनुसार ही काम करता हूं।
डिजिटल प्लेटफॉर्म पर कहानी और किरदारों में हो रहे प्रयोगों का सिनेमा पर क्या प्रभाव पड़ सकता है?
- फिल्ममेकर से लेकर कलाकारों तक सभी को अलग-अलग कहानियां दिखाने का मौका मिल रहा है। इससे सिनेमा में बड़ा सुधार होने की संभावना है। डिजिटल पर कहानियों में हो रहे प्रयोग से सिनेमा के विकास में काफी मदद मिल सकती है। हालांकि मुझे डर है कि कहीं लोग इस पर भी फॉर्मूला आधारित चीजें न बनाने लगें।
हाल ही में ट्विटर पर अनुराग कश्यप के साथ नोकझोंक हुई थी। उस बारे में क्या कहेंगे?
- भले ही हमारे बीच थोड़े वैचारिक मतभेद हों, लेकिन वह मेरे दोस्त हैं। कभी-कभी गलतफहमी की वजह से नोकझोंक हो जाती है।
समसामयिक मुद्दों पर लोगों में कलाकारों के मत को लेकर उत्सुकता होती है, ऐसे में उनकी क्या जिम्मेदारी बनती है?
- समाज पर प्रभाव डालने वाली बातों पर सेलेब्रिटी को आगे आकर बोलना चाहिए। सामाजिक मुद्दों पर चुप्पी साधे रखना स्वार्थपरायणता होती है।