एक्टर से प्रोड्यूसर बने कुणाल कपूर, बड़े पर्दे पर दिखाएंगे भारत के विंटर ओलंपियन शिव केशवन की कहानी

साथ ही उन्होंने अपनी पहली फिल्म की कहानी का भी चयन कर लिया है। कुणाल प्रोडक्शन की दुनिया में भारतीय विंटर ओलंपियन शिव केशवन की बायोपिक के साथ उतरने जा रहे हैं। जिसे लेकर अभिनेता से प्रोड्यूसर बने कुणाल खुद भी बेहद एक्साइटेड हैं।

By Pratiksha RanawatEdited By: Publish:Mon, 02 Aug 2021 07:31 PM (IST) Updated:Mon, 02 Aug 2021 07:31 PM (IST)
एक्टर से प्रोड्यूसर बने कुणाल कपूर, बड़े पर्दे पर दिखाएंगे भारत के विंटर ओलंपियन शिव केशवन की कहानी
कुणाल कपूर की तस्वीर, फोटो साभार: Instagram

 नई दिल्ली, जेएनएन। रंग दे बसंती, आजा नच ले, लागा चुनरी में दाग फेम अभिनेता कुणाल कपूर अब एक्टिंग की दुनिया छोड़ प्रोडक्शन में हाथ आजमाने की तैयारी कर रहे हैं। कुणाल ने अपने प्रोडक्शन हाउस को लॉन्च करने की तैयारियां भी पूरी कर ली हैं। साथ ही उन्होंने अपनी पहली फिल्म की कहानी का भी चयन कर लिया है। कुणाल प्रोडक्शन की दुनिया में भारतीय विंटर ओलंपियन शिव केशवन की बायोपिक के साथ उतरने जा रहे हैं। जिसे लेकर अभिनेता से प्रोड्यूसर बने कुणाल खुद भी बेहद एक्साइटेड हैं।

कुणाल कपूर अपने नव- निर्मित प्रोडक्शन हाउस के तले छह बार विंटर ओलंपियन और विंटर ओलंपिक गेम्स में भाग लेने वाले पहले भारतीय की कहानी दिखाने जा रहे हैं। 'इंडियाज फास्टेस्ट मैन ऑन आइस' के नाम से पहचाने जाने वाले शिव केशवन की कहानी जल्द ही दर्शकों को पर्दे पर देखने को मिलेगी। अपने प्रोडक्शन की पारी की शुरुआत करने के बारे में बात करते हुए कुणाल ने बताया, 'मैं जब असिस्टेंट डायरेक्टर था तभी से कहानियां लिख रहा हूं। अब मैं उन कहानियों को ना केवल एक अभिनेता के रूप में बल्कि एक निर्माता और निर्देशक के रूप में भी जूवंत करना चाहता हूं।'

आगे कुणाल कहते हैं, 'एक एक्टर के रूप में आपको किन कहानियों को दर्शाना है ये आप नहीं डिसाइड कर सकते। आपके सामने जो पेश किया जा रहा है आपको उसी में से चुनाव करना होगा क्योंकि आप किसी और की नजर से देखे जा रहे हैं। लेकिन एक निर्माता के रूप में आप अपनी नजर और अपने नजरिये से दुनिया को देखते हैं और उसे जीवंत भी कर सकते हैं।'

कुणाल ने इस कहानी का चुनाव क्यों किया इस बारे में बताते हुए अभिनेता कहते हैं, 'वह एक अद्भुत एथलीट हैं। शिव केशवन की बायोपिक पर काम करने की वजह केवल ये नहीं थी कि उन्होंने छह बार ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया है। बल्कि यह भारत की भावना और उन अविश्वसनीय चीजों के बारे में भी एक कहानी थी जिन्हें हम सीमित संसाधनों के साथ हासिल करने में कामयाब होते हैं। यह लचीलेपन और कम चुने जाने वाले सफर की कहानी है, साथ ही साथ यह हमारी संस्कृति और विविधता को भी दिखाती है।'

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