मिल्खा सिंह ने अपनी बायोपिक के लिए मांगा था सिर्फ एक रुपया, कभी पूरी नहीं हो पाई उनकी ये आखिरी इच्छा

Milkha Singh Biopic Bhaag Milkha Bhaag फिल्म निर्माता राकेश ओम प्रकाश मेहरा ने मिल्खा सिंह के जीवन पर फिल्म ‘भाग मिल्खा भाग’ बनाने का फैसला लिया। फिल्म को लेकर जब वो इन फ्लाइंग सिख से मिले तो धावक ने राकेश ओम प्रकाश मेहरा के सामने आजीब सी शर्त रखी।

By Ruchi VajpayeeEdited By: Publish:Sat, 19 Jun 2021 06:27 AM (IST) Updated:Sat, 19 Jun 2021 06:27 AM (IST)
मिल्खा सिंह ने अपनी बायोपिक के लिए मांगा था सिर्फ एक रुपया, कभी पूरी नहीं हो पाई उनकी ये आखिरी इच्छा
Image Source: Milkha Singh Social Media Account

नई दिल्ली, जेएनएन।  भारत के महान धावक मिल्खा सिंह का कोरोना के चलते निधन हो गया, वो 91 साल के थे। परिवार ने मीडिया को बतया कि पद्मश्री मिल्खा सिंह ने रात 11:30 पर आखिरी सांस ली। इससे पहले उनकी पत्नी और भारतीय वॉलीबॉल टीम की पूर्व कप्तान निर्मल कौर ने भी कोरोना संक्रमण के कारण दम तोड़ दिया था।फ्लाइंग सिख के नाम से मशहूर मिल्खा सिंह के बायोपिक पर भाग मिल्खा भाग फिल्म भी बन चुकी है। 2013 में रिलीज हुई इस फिल्म में पर्दे उन्हें फरहान अख्तर ने जिया।

मिल्खा सिंह ने फिल्ममेकर के सामने रखी अजीब सी शर्त 

दरअसल, मिल्खा सिंह की बेटी सोनिया सांवलका ने अपने पिता के जीवन पर 'रेस ऑफ माई लाइफ' नाम से किताब लिखी, जो साल 2013 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब के प्रकाशित होने के बाद फिल्म निर्माता राकेश ओम प्रकाश मेहरा ने मिल्खा सिंह के जीवन पर फिल्म ‘भाग मिल्खा भाग’ बनाने का फैसला लिया। फिल्म को लेकर जब वो इन फ्लाइंग सिख से मिले तो धावक ने राकेश ओम प्रकाश मेहरा के सामने आजीब सी शर्त रखी।

बायोपिक के लिए मांगे एक रुपए

जहां बायोपिक पर फिल्म बनाने की अनुमती देने के लिए सिलेब्स करोड़ो में फीस मांगते हैं, वहीं मिल्खा सिंह ने फिल्ममेकर से सिर्फ एक रुपये का नोट मांगा। इस एक रुपये की खास बात यह थी कि एक रुपये का यह नोट साल 1958 का था, जब मिल्खा ने राष्ट्रमंडल खेलों में पहली बार स्वतंत्र भारत के लिए स्वर्ण पदक जीता था। एक रुपये का यह नोट पाकर मिल्खा भावुक हो गए थे। यह नोट उनके लिए किसी बेशकिमती यादगार की तरह था।

मिल्खा सिंह की आखिरी इच्छा नहीं हो सकी पूरी

फिल्म के प्रमोशन के दैरान मिल्खा सिंह ने बताया कि वो फरहार अख्तर फिल्म में निभाए गए रोल से काफी खुश हैं। एक्टर ने फिल्म में उन जैसा दिखने के लिए काफी मेहनत की है। हालांकि मिल्खा सिंह जबतक जीए उनके दिल में एक ही टीस रही। उनका एक अधूरा ख्वाब जीते जी पूरा ना हो सका। मिल्खा ने कहा था उनके जीवन की सिर्फ एक इच्छा अधूरी रह गई। उन्होंनेबताया कि रोम ओलंपिक में जो स्वर्ण पदक मेरे हाथ से फिसल गया था, दुनिया छोड़ने से पहले उसे अपने देश में देखना चाहता हूं। यही मेरी आखिरी इच्छा है।

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