Interview: एक्टिंग में कुछ भी प्रत्याशित नहीं होता, यही सबसे मजेदार बात- मानव कौल
अभिनेता मानव कौल की इस साल नेल पॉलिश मैडम चीफ मिनिस्टर साइना और अजीब दास्तान्स जैसी चार बड़ी वेब फिल्म रिलीज हो चुकी हैं। साथ ही उनके कुछ बड़े प्रोजेक्ट अभी आना बाकी हैं। जिनके बारें बात करते हुए उन्होंने कहा मैं अपने पिछले प्रोजेक्ट को भूल जाता हूं।
दीपेश पांडेय, मुंबई। साल 2021 की शुरुआत में मानव कौल की वेब फिल्म 'नेल पॉलिश' रिलीज हुई। उसके बाद 'मैडम चीफ मिनिस्ट', 'साइना' और 'अजीब दास्तान्स' सहित उनकी चार फिल्में रिलीज हो चुकी हैं। वहीं, इस साल उनके कुछ बड़े प्रोजेक्ट और आने हैं।
नेटफ्लिक्स पर उपलब्ध एंथोलॉजी फिल्म 'अजीब दास्तान्स' की चार शॉर्ट फिल्मों में एक 'अनकही' में मानव मूक-बधिर पेंटर कबीर के किरदार में नजर आए हैं। अपना काम करके भूल जाता हूं मौजूदा परिस्थिति और करियर के इस दौर को लेकर मानव कहते हैं, 'बतौर कलाकार मेरे लिए अच्छा है कि एक के बाद एक लगातार प्रोजेक्ट्स आ रहे हैं। ये थोड़ा और अच्छा होता अगर माहौल सामान्य होता और लोग सिनेमाघरों में जाकर हमारी फिल्मों का आनंद लेते। हालांकि, सिनेमाघरों में रिलीज हुई फिल्में डिजिटल प्लेटफॉर्म पर भी उपलब्ध हैं। मुझे खुशी है कि इस साल अब तक मेरे चार प्रोजेक्ट रिलीज हो चुके हैं।
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'कलाकार का काम लोगों के सामने आने के बाद ही पूरा होता है। काम करने के बाद मैं भूल जाता हूं कि पिछले काम में क्या हुआ था। लिहाजा नए काम का उत्साह भी एकदम नया रहता है। मुझे अच्छा लगता है कि अब मेरी मेहनत लोगों के सामने आ रही है।'
किरदार की लंबाई महत्वपूर्ण नहीं इस शॉर्ट फिल्म में अपने किरदार के लिए मानव ने करीब दो महीने का वक्त साइन लैंग्वेज (इशारों में बातचीत) सीखने में दिया। किसी प्रोजेक्ट को इतना वक्त देने पर वह कहते हैं, 'कलाकार को किसी प्रोजेक्ट को तीन-चार महीने देने में कोई दिक्कत नहीं होती। रही बात प्रोजेक्ट या किरदार की लंबाई की तो वह मेरे लिए कोई मायने नहीं रखती है। जब आपको निर्देशक और सह कलाकार पर यकीन होता है तो प्रोजेक्ट की लंबाई कितनी भी हो, आप आगे बढ़ जाते हैं। किसी भी किरदार को अच्छी तरह से निभाने का श्रेय कलाकार के साथ उसकी टीम को जाता है।'
चयन का अधिकार है सभी को अक्सर कहा जाता है कि महिलाएं शादी और बच्चे पैदा होने के बाद अपनी व्यक्तिगत खुशी और जीवन पर कम ध्यान देने लगती हैं। इस पर मानव कहते हैं, 'समाज में महिलाओं को लेकर हम अक्सर एकतरफा सोचने लगते हैं। आज के दौर की महिलाएं अपने अधिकारों को लेकर जागरुक हैं। किसको कैसी जिंदगी जीनी है, ये हर शख्स की अपनी व्यक्तिगत पसंद होती है। पुरुष हो या महिला सभी के पास अपने लिए सही जीवनसाथी और सही रास्ता चुनने का अधिकार है। इसमें कुछ गलत या सही नहीं होता है।'
अभिनेता मानव के मुताबिक तैयारी करने का कोई फार्मूला नहीं है, कलाकार को हर दिन सेट पर एक नए सिरे से शुरुआत करनी पड़ती है। किरदारों की तैयारी को लेकर वह कहते हैं, 'किरदार को समझने और उसकी तैयारी का तरीका किरदार के स्वभाव के अलावा अलग-अलग निर्देशकों के साथ भी बदलता रहता है। आमतौर पर स्क्रिप्ट में ही सब कुछ होता है।
स्क्रिप्ट को बार-बार पढ़ने पर कहीं न कहीं हमें वह चीज मिल जाती है, जो हमारे अपने व्यक्तित्व से मेल खाती है। कलाकार को हर किरदार के लिए रोज एक नए सिरे से शुरुआत करनी पड़ती है और फिर धीरे-धीरे आगे बढ़ते हैं। यह नया सिरा साइन लैंग्वेज, डांस या कोई भाषा कुछ भी हो सकती है। अभिनय के मामले में कुछ भी प्रत्याशित नहीं होता है और यही इसकी सबसे मजेदार बात होती है।'