Exclusive: खुद को क्यों मानते हैं साधारण इंसान, जन्मदिन पर महेश भट्ट से खास बातचीत पढ़िए
महेश भट्ट 20 सितंबर को 70 साल के हो गए। आलिया और पूजा दोनों बेटियों ने उन्हें बधाई दी और इस बात का भी खुलासा किया कि वे अब निर्देशन करेंगे।
मुंबई। मैं 70 साल का हो गया हूं। लगता है कि नई शुरुआत है। सेकंड बिगनिंग है। हम जन्म लेते हैं, आंखें होती है जिससे दुनिया को देखते हैं। मगर बहुत कम लोगों के जीवन के सफर में उनकी दिल की आंखें भी होती हैं, आत्मा की आंखें होती हैं। इतने लंबे सफर के बाद यह अहसास हुआ है। जिंदगी को और दुनिया को दोबारा देखा है। नई सुबह, अचानक कुछ नयापन सा अहसास हो रहा है। उर्जा इससे ही आती है और बदलते नजरिए से आती है। यह कहना है खुद महेश भट्ट का जिन्होंने 20 सितंबर को अपना 70वां जन्मदिन मनाया। जागरण डॉट कॉम के एंटरटेनमेंट एडिटर पराग छापेकर से एक्सक्लूसिव बातचीत में महेश भट्ट ने अपने अभी तक के सफर को लेकर कई राज खोले। पढ़िए खास बातचीत -
सवाल - आपको सोच उम्र के साथ जवान होती गई है, आपको क्या लगता है?
जवाब - मैंने ग्रेटनेस को सिर पर पत्थर की तरह इस्तेमाल नहीं किया। बहुत कुछ हासिल करने के बाद भी यह गहरा अहसास था कि हमारा अस्तित्व हमें ध्यान रहे। मैंने अपनी कामयाबी को सिर पर नहीं बिठाया। हां यह जरूर है जिस काम के लिए नकिले थे, हासिल किया और इस दिशा में अच्छा किया। लेकिन बार-बार खुदको रिकंस्ट्रक्ट करके तराशने की कोशिश की। इसलिए जब 50 साल का हो गया था तब ही डायरेक्शन छोड़ दिया था। फिल्म के लिए अजय देवगन को तो नेशनल अवॉर्ड मिला था। मेरे अंदर जो प्यास या तड़प थी उस वक्त मर गई थी। अब मैं वो करूंगा जो अच्छा लगता।
सवाल - आश्चर्य होता है कि फिल्म बनाने की प्यास खत्म हो चुकी है जो पहले बहुत थी, क्यों?
जवाब - समय के साथ आपके अंदर बहुत कुछ ढल जाता है। और फिर उसका नाटक करने में मेरा विश्वास नहीं है कि मैं कहता रहूं कि हां अब भी मुझमें डायरेक्शन या फिल्ममेकिंग की प्यास है। लोग कहते हैं कि तूने बड़ी हिम्मत की है। तुमने डायरेक्शन को उस समय त्याग दिया जब फिल्म को अवॉर्ड मिला और आगे बहुत कुछ किया जा सकता था। तो मेरा यही विचार है कि नाटक मैं नहीं करना चाहता। हां यह जरूर है कि, 20 सालों में जो हुआ, नए लोग, नए डायरेक्टर, नए एक्टर्स, नए राइटर्स उनको देखा और समझा। क्योंकि अगर अपना काम करता रहता तो अपने ही काम से नजरें नहीं हटती और इन सभी लोगों को नहीं समझ पाता। मेरी कितनी भी कमाल की जिंदगी हो लेकिन वो छोटी सी ही है। जब मैंने डायरेक्शन छोड़ा तो सोशल स्पेस और कई चीजों से जुड़ा।
सवाल - महेश भट्ट कौन है?
जवाब - महेश भट्ट गिरता पड़ता साधारण सा इंसान है। सब हासिल करने के बाद महसूस किया कि बहुत जानता हूं। लेकिन मुझे जितना अज्ञानी होने का अहसास तड़पाता है वो शायद ही कोई अहसास होगा। रह रह कर याद आती है कि समझा तो है नहीं कुछ। हम लोगों की समस्या यह है कि हम सुनते नहीं हैं। पॉवर आपको बहरा कर देता है। सिर्फ बोलते रहते हैं। यह गलत है। एक और आदत होती है कि सिर्फ एक ही गाना गाते रहते हैं। सांप भी अपनी चमड़ी को छोड़कर आगे बड़ जाता है। तो हमें भी नई सोच के साथ आगे बढ़ना होगा। हमारे पास जे कृष्णमूर्ती जैसे लोगों केे उदाहरण है जो वक्त की रेत पर अपने पैरों के निशान नहीं होने का अहसास करवाते थे। मुझे जिंदा इसी सोच ने रखा है और मुझे अपने कुछ नहीं होने का बोझ है।