आलिया भट्ट के 'कन्यादान' विज्ञापन पर भड़कीं कंगना रनोट, कहा- बंद करो हिंदू विरोधी एजेंडा!
Kanyadaan Bridal AD Controversy शादी के लिबास बनाने वाली कम्पनी के एक विज्ञापन का सोशल मीडिया में ख़ूब विरोध किया गया। इस विज्ञापन में आलिया भट्ट के ज़रिए कन्यादान की परम्परा पर प्रहार करते हुए कन्यामान को अपनाने की वकालत की गयी थी।
नई दिल्ली, जेएनएन। शादी के लिए लिबास बनाने वाली एक कम्पनी के टीवी कमर्शियल को लेकर आलिया भट्ट पिछले दिनों काफ़ी चर्चा में रहीं। इस विज्ञापन में दुल्हन के परिधान में सजी आलिया कन्यादान की परम्परा को जारी रखने के बजाए कन्यामान का कॉन्सेप्ट देते हुए नज़र आती हैं। इस कमर्शियल के बाहर आने के बाद सोशल मीडिया में इसको लेकर खूब चर्चा हुई।
कुछ लोगों ने इसे हिंदी परम्पराओं पर प्रहार बताया तो कुछ ने इसके पीछे विचार की तारीफ़ की। अब कंगना ने आलिया के इस विज्ञापन को लेकर अपनी राय रखी है। कंगना ने कहा ब्रैंड की क्लास लगाते हुए लिखा कि चीज़ों को बेचने के लिए धर्म, अल्पसंख्यक और बहुसंख्यकों की राजनीति नहीं करनी चाहिए।
कंगना ने इसको लेकर एक लम्बी पोस्ट लिखी, जिसमें कहा गया- हम टीवी पर अक्सर देखते हैं कि जब सीमा पर कोई शहीद हो जाता है तो उसके पिता गरजते हुए कहते हैं कि कोई बात नहीं। मेरा एक बेटा और है। मैं धरती मां के लिए उसे भी दान करूंगा। कन्यादान हो या पुत्रदान, समाज त्याग की प्रवृत्ति की इस संकल्पना को जिस तरह देखता है, उससे उसके केंद्र में मान्यताओं का पता चलता है।
जब वो दान के विचार को निम्नस्तरीय सोच रखना शुरू कर दें तो समझ जाइए कि राम राज्य की पुनर्स्थापना का समय आ गया है। एक राजा, जो सब कुछ त्यागकर तपस्वी का जीवन जीने लगा था। हिंदू और उनके रीति-रिवाज़ों का मज़ाक उड़ाना बंद कीजिए। धरती और महिला, दोनों को शास्त्रों में मां कहा गया है। उन्हें उपजाऊ मानकर उनकी पूजा की जाती है। उन्हें बेशकीमती और अस्तित्व का केंद्र मानने में कोई बुराई नहीं है। (शक्ति)
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इस नोट के साथ कैप्शन में कंगना ने लिखा- सभी ब्रैंड्स से विनम्र प्रार्थना है, मजहब, अल्पसंख्यक, बहुसंख्यक राजनीति का इस्तेमाल चीज़ें बेचने के लिए मत कीजिए। भोले-भाले ग्राहकों को इन बांटने वाले विचारों और विज्ञापनों से भ्रमित मत कीजिए। कंगना ने अपनी पोस्ट में आलिया भट्ट और ब्रैंड को भी टैग किया है।
कंगना ने इसके बाद एक और पोस्ट लिखी, जो पहली पोस्ट के मुकाबले तीखी है। इसमें उन्होंने हिंदू धर्म को लेकर कहा- जब जींस और विरासत की बात आती है तो हिंदूइज़्म बहुत संवेदनशील और वैज्ञानिक है। शादी के बाद औरत अपना गोत्र और वंश छोड़ देती है और एक नये वंश और जींस पूल में दाखिल होती है। इसके लिए उसे अपने पिता और पूर्वजों से अनुमति लेनी होती है, जिनका रक्त उसकी शिराओं में बहता है।
पिता इसके बाद उसे सबकी ओर से गोत्र के बंधन से मुक्त कर देता है, लेकिन जागे हुए मंदबुद्धि इस जटिल विज्ञान को नहीं समझेंगे। बेहतर है, ऐसे विज्ञापनों पर बैन लगा दिया जाए और उनका मुंह बंद करवा दिया जाए। अगली स्लाइड में कंगना ने लिखा कि दान करना बुरी बात नहीं है। आपके ज़हन में गंदगी है। धन की बात कई संदर्भों में की जाती है। मसलन, मैंने राम रतन धन पायो या पुत्रधन या सौंदर्य और रूप का धनी होना। कन्याधन या पराया धन का मतलब यह नहीं होता कि आप अपनी बेटी बेच रहे हो। इस हिंदू विरोधी एजेंडा को बंद करो।