Laxmmi Bomb: 'लक्ष्मी बॉम्ब' में अक्षय कुमार के साड़ी पहनने का एक्सपीरियंस कैसा रहा? निर्माता तूषार कुमार ने किया खुलासा

Laxmmi Bomb नवंबर को रिलीज हो रही इस फिल्म से जुडे़ अनुभव फिल्म की डिजिटल रिलीज व अन्य मुद्दों पर तुषार ने बातचीत के प्रियंका सिंह से बात की है। आइए जानते हैं उन्होंने क्या कहा है ...

By Rajat SinghEdited By: Publish:Mon, 26 Oct 2020 11:21 AM (IST) Updated:Mon, 26 Oct 2020 11:21 AM (IST)
Laxmmi Bomb: 'लक्ष्मी बॉम्ब' में अक्षय कुमार के साड़ी पहनने का  एक्सपीरियंस  कैसा रहा? निर्माता तूषार कुमार ने किया खुलासा
अक्षय कुमार ( फोटो इंस्टाग्राम से ली गई है। )

नई दिल्ली, जेएनएन। बतौर निर्माता तुषार कपूर दीवाली के मौके पर डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर अपनी पहली फिल्म ‘लक्ष्मी बॉम्ब’ लेकर आ रहे हैं। 9 नवंबर को रिलीज हो रही इस फिल्म से जुडे़ अनुभव, फिल्म की डिजिटल रिलीज व अन्य मुद्दों पर तुषार ने बातचीत के प्रियंका सिंह से बात की है। आइए जानते हैं उन्होंने क्या कहा है...

बतौर निर्माता फिल्म की रिलीज को लेकर कैसा महसूस कर रहे हैं?

फीलिंग तो वैसी ही हैं जो बतौर अभिनेता होती थी। इस फिल्म का जो नतीजा होगा, वह उतना ही मायने रखेगा, जितना अगर किसी फिल्म में अभिनय कर रहा होता। हां, बतौर निर्माता मेरी पहली फिल्म है तो लगाव ज्यादा है।

पहली फिल्म को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लाने का मलाल है?

जब हमने इसे डिजिटल पर लाने का निर्णय लिया था, तब सिनेमाघर खुलने को लेकर संशय था। इस निर्णय से दुविधा थी, लेकिन मलाल नहीं था। फिल्म की बेहतरी के लिए निर्णय लिया गया। फिल्म अच्छी हो तो सिनेमाघर हों या ओटीटी, हर प्लेटफॉर्म पर चल सकती है।

इसकी ओरिजनल फिल्म 'मुनी 2-कंचना' हिंदी में डब करके टीवी पर कई बार प्रसारित हो चुकी है। इसे हिंदी में बनाने में रिस्क नहीं लगा?

ओरिजनल फिल्म देखने के बाद ही लगा कि अगर इसे हिंदी में ही बनाया जाए तो यह धमाल कर सकती है। छह साल पहले ही मैंने निर्णय ले लिया था कि इसी फिल्म से मैं अपनी शुरुआत करूंगा। राइट्स लेने में थोड़ा वक्त लगा। यह फिल्म सैटेलाइट पर सफल रही है, इसलिए मैं इसे सकारात्मक तरीके से लेता हूं। 'कंचना' की वजह से 'लक्ष्मी बॉम्ब' का प्रमोशन अपने आप हो गया है। वैसे भी फिल्ममेकिंग के वक्त सौ प्रतिशत आत्मविश्वास के साथ काम करना जरूरी होता है।

अक्षय कुमार को फिल्म से जोड़ना कितना आसान या मुश्किल था?

अक्षय यह फिल्म पहले देख चुके थे और खुद इसमें काम करना चाहते थे। जब हम उनके पास गए, तो उन्होंने बस यही कहा कि स्क्रिप्ट लिखना शुरू कर दो। किरदार को लेकर उनके मन में कोई संकोच नहीं था। जब मैंने अक्षय को सेट पर पहली बार साड़ी में देखा, तब वह बहुत सहज लगे। कलाकार का अपना एक आत्मविश्वास होता है कि मैं यह किरदार निभा लूंगा। वह बात अक्षय के अंदर है।

राघव लॉरेंस ने 'मुनी 2-कंचना' का भी निर्देशन किया था। इस फिल्म के लिए आपने किसी और निर्देशक के बारे में नहीं सोचा?

फिल्म का जो स्टाइल और पागलपन है, वह ओरिजनल फिल्म का निर्देशक ही दोबारा ला सकता था इसलिए किसी और के बारे में सोचने का तो सवाल ही नहीं था।

फिलहाल निर्माण पर पूरा ध्यान होगा या अभिनय भी साथ-साथ करना चाहेंगे?

'लक्ष्मी बॉम्ब' के निर्माण के दौरान ही मैं अपनी एक फिल्म की शूटिंग भी कर रहा था, जिसका टाइटल अभी तय नहीं है। दोनों जगह पर टाइम मैनेज किया और आगे भी यह जारी रहेगा।

आप कॉमर्शियल फिल्मों का हिस्सा ज्यादा रहे हैं। ऐसे में आने वाली फिल्म भी क्या उसी जोन में होगी?

वह थ्रिलर फिल्म है। मैं उसका निर्माण करने के साथ ही उसमें अभिनय भी कर रहा हूं। पहली बार थ्रिलर जोन में कदम रखा है। जल्द ही इसकी घोषणा होगी।

बतौर निर्माता आगे कैसी फिल्में बनाना चाहेंगे?

मैं एक वक्त पर एक या दो फिल्मों से ज्यादा नहीं बना पाऊंगा। काम बहुत ज्यादा होता है। मैं हर चीज में इनवॉल्व रहना पसंद करता हूं। मेरी फिल्में वास्तविकता और मनोरंजन के बीच होंगी। फिल्म चाहे जैसी हो, वह दर्शकों के दिल को छूनी चाहिए।

इस बार कुछ मुद्दों पर फिल्म इंडस्ट्री एक हुई है। इस पर आपको क्या कहना है?

इंडस्ट्री पहले भी कई बार एक साथ आई है। थोड़ा वक्त लगता है, लेकिन साथ आकर स्टैंड तो लिया ही है। कई बार इंडस्ट्री इंतजार करती है कि चीजें सुलझ जाएं। जब ऐसा नहीं होता तो इंडस्ट्री एकजुट होती है, हां साथ आने के रास्ते और तरीके अलग हो सकते हैं।

जब इंडस्ट्री को सॉफ्ट टारगेट मानकर नकारात्मक बातें कहीं जाती हैं, तब बुरा लगता है?

बिल्कुल बुरा लगता है। हालांकि हमने इस बुरे वक्त में उन बातों पर ध्यान न देकर सिनेमाघर कैसे खुल सकते हैं? कैसे फिल्मों को ओटीटी प्लेटफॉर्म पर लेकर जा सकते हैं? जैसी तमाम बातों पर ध्यान दिया। जहां तक सॉफ्ट टारगेट बनने की बात है, तो कभी दिन अच्छे होते हैं, तो कभी बुरे! 

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