स्वर कोकिला लात मंगेशकर के जन्मदिन पर उदित नरायाण ने बताया, काम से पहले मां और लताजी को करता हूं याद

उदित नारायण ने स्वर कोकिला लता मंगेशकर के साथ दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे और दिल तो पागल है समेत कई फिल्मों में गाने गाए हैं। स्मृतियां साझा करते हुए उदित कहते हैं ‘यह मेरा सौभाग्य है कि लताजी मुझे अपने छोटे भाई की तरह समझती हैं।

By Priti KushwahaEdited By: Publish:Tue, 28 Sep 2021 03:54 PM (IST) Updated:Tue, 28 Sep 2021 03:54 PM (IST)
स्वर कोकिला लात मंगेशकर के जन्मदिन पर उदित नरायाण ने बताया, काम से पहले मां और लताजी को करता हूं याद
Photo Credit : Lata Mangeshkar Photo From midday

मुंबई। स्वर कोकिला लता मंगेशकर 28 सितंबर को 92 वर्ष की हो गईं। इस मौके पर इंडस्ट्री के दिग्गजों ने उनके साथ काम के अनुभवों को साझा किया है। लताजी अपने आप में गायकी का एक स्कूल हैं, जिनसे सब कुछ न कुछ सीख सकते हैं।

लताजी संग काम का सपना लेकर आया था

कुछ गानों का अपना सफर होता है। कई बार फिल्मों के बंद हो जाने या न बन पाने की वजह से उन फिल्मों के लिए बने गाने यूं ही रखे रह जाते हैं। ऐसा ही एक गाना रहा है लता मंगेशकर का गाया हुआ ‘ठीक नहीं लगता...’। विशाल भारद्वाज इस गाने को 26 साल बाद नए अंदाज में लेकर आए हैं। इस गाने को गुलजार ने लिखा है। गाने को सोमवार को वर्चुअली लांच किया गया, जिसमें विशाल और गुलजार मौजूद रहे। विशाल कहते हैं कि लता जी

के साथ काम करने का सपना लेकर ही मैं मुंबई आया था। जब माचिस फिल्म का गाना उनके साथ बना रहा था, तो मैं थोड़ा घबराया हुआ था। उन्होंने मुझे बुलाया माइक आफ करके कहा कि यह मत सोचिए कि मैं लता मंगेशकर हूं। एक नए गायक की तरह मेरे साथ बर्ताव करिए।’ गुलजार कहते हैं, ‘मैंने पंचम दा (राहुल देव बर्मन) को एक गाना सुनाया था कि आपकी बदमाशियों के यह नए अंदाज हैं...। पंचम दा ने कहा कि दीदी को यह शब्द पसंद नहीं आएगा। मैंने कहा कि मैं विकल्प तैयार रखूंगा, लेकिन एक बार सुनाइए तो सही उनको। जब लता जी ने गाना सुना, तो वह खुश हुईं। उन्होंने कहा कि काफी वक्त के बाद यह अनोखा और नया लμज मुझे गाने के लिए

शब्दों को एक्सप्रेस करना लता दीदी ने सिखाया

भारत रत्न और स्वर कोकिला लता मंगेशकर के साथ जिसने भी काम किया है, उसने उनसे बहुत कुछ सीखा है। संगीतकार जतिन-ललित की जोड़ी ने लता मंगेशकर से दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे, जब प्यार किसी से होता है, कभी खुशी कभी गम जैसी कई फिल्मों में बेहतरीन गाने गवाए हैं। दैनिक जागरण से बातचीत में ललित पंडित कहते हैं, ‘मेरे पिताजी लता दीदी के भाई हृदयनाथ जी को गाना सिखाते थे। जब संगीतकार बना तो उनके करियर के आखिरी बीस सालों में सबसे ज्यादा गाने जतिन और मैंने ही उनसे गवाए हैं। मुझे याद है कि दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे का पहला गाना मेरे ख्वाबों में जो आए... रिकार्ड हो रहा था। गाने में एक लाइन है आके मुझे छेड़ जाए...। मैंने दो-तीन बार गाना गाते हुए रोका, तो उन्होंने मुझे स्टूडियो के अंदर बुलाया। उन्होंने मुझे बताया कि गाने की लाइन है मेरे ख्वाबों में जो आए, आके मुझे छेड़ जाए...। इसमें अगर मैं थोड़ा एक्सप्रेशन वाली लाइन देकर गाऊंगी, तो हीरोइन को भी उस पर एक्सप्रेशन देने का मौका मिलेगा। मुझे तब एहसास हुआ कि मैं कितना गलत था। उन्होंने कहा कि एक बार जैसा तुम बोलते हो, वैसा गाती हूं, एक बार अपने तरीके से गाती हूं। दोनों ही तरीके गाने में रखे गए हैं। उस गाने के बाद से मैं हमेशा शब्दों को ध्यान से पढ़ता हूं। उन्हेंं रिकॉर्डिंग में बहुत

लोग नहीं चाहिए होते।

 

काम से पहले मां और लताजी को याद करता हूं

उदित नारायण ने स्वर कोकिला लता मंगेशकर के साथ दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे और दिल तो पागल है समेत कई फिल्मों में गाने गाए हैं। स्मृतियां साझा करते हुए उदित कहते हैं, ‘यह मेरा सौभाग्य है कि लताजी मुझे अपने छोटे भाई की तरह समझती हैं। मुझे नहीं लगता कि हमारी पीढ़ी में मुझसे ज्यादा किसी गायक को उनके साथ काम करने का मौका मिला होगा। यह मेरे लिए जिंदगी के सबसे बड़े अवार्ड की तरह है। मुझे उनके साथ गाने का पहला मौका पंचम दा ने फिल्म बड़े दिलवाला के लिए दिया था। मैंने डर, दुश्मन और दिल तो पागल है समेत कई सुपरहिट फिल्मों में उनके साथ गाना गाया। जब मैंने फिल्म वीर जारा का गाना जानम देख लो मिट गई दूरियां... गाया तो उन्होंने फोन पर मुझसे कहा कि मैं आपसे मिलने आपके घर आ रही हूं। एक बार तो मुझे लगा कोई मुझसे मजाक कर रहा है, लेकिन जब कुछ देर बाद वह मेरे घर पर पहुंची तो यकीन हुआ। वह चार-पांच घंटे तक मेरे घर रहीं। मैं जब भी उनके एलएम स्टूडियो में रिकॉर्डिंग करने जाता हूं, तो वह मुझसे फोन करके बात करती हैं। मैंने भगवान को तो नहीं देखा है, लेकिन अगर वास्तव में गायकी का कोई भगवान होगा तो वह लताजी जैसा ही होगा। मैं आज भी कोई भी बड़ा काम करने से पहले अपनी मां और लताजी को याद करता हूं।

चलते कार्यक्रम में मुझे स्टेज पर बुला लिया था

भजन सम्राट के नाम से प्रख्यात गायक अनूप जलोटा स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर के संपर्क में बीते करीब 40 वर्षों से हैं। अनूप ने न सिर्फ कई फिल्मों और कार्यक्रमों में उनके साथ गाया है, बल्कि व्यक्तिगत तौर पर भी उनके लता जी के साथ काफी अच्छे संबंध हैं। अनूप बताते हैं, ‘उनसे मेरी पहली मुलाकात उनके घर पर ही हुई थी। वहां पर कई लोग संगीत पर चर्चा करने के लिए इकट्ठा हुए थे। उस दौरान मैंने उन्हें अपना गाना भी सुनाया था। उसके बाद से हम कई गानों की रिकार्डिंग और कार्यक्रमों में मिले। मुझे याद है कि करीब 30-35 साल पहले लंदन में उनका कोई कार्यक्रम चल रहा था। वहां मैं भी बतौर दर्शक पहुंचा था। तभी अचानक मुझे उनका संदेश मिला कि आप मंच पर आइए और मेरे साथ गाइए। फिर मैंने मंच पर उनके साथ एक भजन गाया। मैं और वो दोनों बहुत आध्यात्मिक हैं। उनके घर में एक बहुत ही खूबसूरत मंदिर है। इसके साथ ही हम दोनों स्वामी विवेकानंद के विचारों को बहुत ज्यादा मानते हैं। मिलने पर हम इस पर भी काफी बातें करते हैं। मैंने उनके साथ एक दूजे के लिए और प्रोफेसर की पड़ोसन फिल्मों में गाना गाया है। उनके व्यक्तित्व की सबसे बड़ी खासियत यह है कि वह हमेशा सच बोलती हैं। उन्होंने मेहदी हसन से लिए कहा था कि उनके गले में ईश्वर का वास है। किसी दूसरे

कलाकार के लिए ऐसे शब्द लता जी ही कह सकती हैं। मैं उनके साथ नियमित तौर पर संपर्क में रहता हूं।’

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