सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर स्वरा भास्कर के खिलाफ FIR दर्ज, धार्मिक भावनाएं भड़काने का लगा आरोप
FIR registered against Swara Bhaskarस्वरा भास्कर पर धार्मिक भड़ाने के आरोप में पुलिस ने FIR दर्ज कर ली है। स्वारा पर आरोप है कि उन्होंने अपने ट्विटर एकाउंट पर एक ऐसा पोस्ट कर दिया है जो बाद में फेक निकला।
नई दिल्ली, जेएनएन। बॉलीवुड एक्ट्रेस स्वरा भास्कर पर धार्मिक भड़ाने के आरोप में पुलिस ने FIR दर्ज कर ली है। स्वारा पर आरोप है कि उन्होंने अपने ट्विटर एकाउंट पर एक ऐसा पोस्ट कर दिया है, जो बाद में फेक निकला। इस पोस्ट के स्वारा पर कार्रवाई की मांग उठने लगी। शिकायत में कहा गया है कि सोशल मीडिया हैंडल पर स्वरा के लाखों फॉलोअर्स हैं ऐसे में सेलेब्स को जिम्मेदार होना चाहिए। पर स्वरा ने अपने ट्विटर हैंडल के जरिए 'नागरिकों के बीच नफरत फैलाने' का काम किया है।
इस ट्वीट पर हुई कार्रवाई
दरअसल, स्वरा भास्कर ने एक वीडियो ट्विटर पर शेयर किया था, जिसमें कहा जा रहा था कि एक बुजुर्ग को वंदे मातरम बोलने के लिए मजबूर किया जा रहा है। इसी वजह से लोगों ने उसकी दाढ़ी काट दी और पिटाई की। इस वीडियो में धर्म विशेष नारे लगवाने की भी बात कही गई। वहीं, बाद में ये बातें झूठी निकलीं और मीडिया रिपोर्ट्स में सामने आया कि ताबीज को लेकर विवाद हुआ था और बुजुर्ग के साथ मार-पीट करने वाले लोग भी एक ही समुदाय के थे। इसके बाद स्वरा भास्कर सोशल मीडिया पर बुरी तरह ट्रोल हो गईं।
Dear RW scum.. do read this! #Ghaziabad
Family says Ghaziabad lynching victim’s family trade is carpentry; doesn’t know anything about ‘taaveez’ making.. Brother of co-accused arrested Muslim man also challenges police version.
Investigate these claims! https://t.co/XWhqwKv6OH" rel="nofollow
— Swara Bhasker (@ReallySwara) June 16, 2021
स्वरा बोलीं- मैं शर्मसार हूं
इसके बाद भी स्वरा नहीं रुकीं और उन्होंने एक और ट्वीट करते हुए लिखा- 'आर डब्ल्यू और संघी लगातार मेरी टाइमलाइन पर उल्टी कर रहे हैं। क्योंकि गाजियाबाद पुलिस ने 3 एक ही समुदाय के लोगों के नाम लिया है। मुख्य आरोपी परवेश गुज्जर है। जो शख्स कैमरा में नजर आ रहा है, वह बूढ़े शख्स पर जोर डाल रहा है। मेरे भगवान ने ये बहुत गलत रचना की है। मैं शर्मसार हूं और आपको भी होना चाहिए'।
इन धाराओं में दर्ज हुई शिकायत
शिकायत के अनुसार, उपयोगकर्ताओं ने कहा, 'जानबूझकर झूठी जानकारी साझा की और इस तरह आईपीसी की धारा 153, 153ए, 295ए, 505, 120बी और 34 के तहत अपराध किया है।' रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि "उपलब्ध स्पष्ट जानकारी के बावजूद, उपरोक्त उपयोगकर्ताओं ने इस घटना का इस्तेमाल सांप्रदायिकता और धर्मों के बीच नफरत फैलाने के लिए किया।'