काम न रहने की इनसिक्योरिटी कभी नहीं रही, मुझे भी हर किसी की तरह एक हिट की जरूरत है : शाद अली

साथिया बंटी और बबली ओके जानू और सूरमा जैसी फिल्मों का निर्देशन कर चुके शाद अली ने साल 2018 में रिलीज हुई फिल्म सूरमा के तीन साल बाद वेब सीरीज कॉल माय एजेंट बॉलीवुड का निर्देशन किया है।

By Anand KashyapEdited By: Publish:Wed, 27 Oct 2021 09:20 AM (IST) Updated:Wed, 27 Oct 2021 09:20 AM (IST)
काम न रहने की इनसिक्योरिटी कभी नहीं रही, मुझे भी हर किसी की तरह एक हिट की जरूरत है : शाद अली
बॉलीवुड फिल्म निर्देशक शाद अली, Image Source: mid day

मुंबई। फिल्म इंडस्ट्री में अक्सर दिखते रहना या सुर्खियों में रहना जरूरी होता है। कुछ लोगों में न दिखने की इनसिक्योरिटी होती है, तो कुछ अपना वक्त लेकर काम करना पसंद करते हैं। साथिया, बंटी और बबली, ओके जानू और सूरमा जैसी फिल्मों का निर्देशन कर चुके शाद अली ने साल 2018 में रिलीज हुई फिल्म सूरमा के तीन साल बाद वेब सीरीज कॉल माय एजेंट बॉलीवुड का निर्देशन किया।

इससे पहले भी वह अपनी फिल्मों के निर्देशन के बीच लंबा अंतराल लेते आए हैं। दैनिक जागरण से बातचीत में वह कहते हैं कि बिल्कुल गैप नहीं लेना चाहिए। मैंने गैप लेकर बहुत बड़ी गलती की है। मेरी कोशिश यही होगी कि दो फिल्मों के बीच में अब उतना अंतर न हो। कुछ खोने या भूल जाने वाली इनसिक्योरिटी मुझे नहीं रही हैं। बहुत सारी कहानियां हैं जो मैं कहना चाह रहा हूं, इसलिए अब मैं जल्दी-जल्दी काम करना चाह रहा हूं।

शाद अली आगे कहते हैं कि काम न रहने की इनसिक्योरिटी कभी नहीं रही है। मुझे भी हर किसी की तरह एक हिट की जरुरत है। हर किसी को हिट फिल्म चाहिए। कहानी बाहर आना जरूरी है, लेकिन उन कहानियों को देखना ज्यादा जरूरी है। इंडस्ट्री में इतने सालों की सीख को लेकर शाद कहते हैं कि इंडस्ट्री आपको एक बहुत बड़ी जो बात सिखाती है, वह है कि आप किसी भी वर्ग, संस्कृति, धर्म से हो फिल्म सेट या स्टूडियो के अंदर जाते ही सब एक लेवल पर आ जाते हैं।

साथ खाना खाते हैं, कोई भेदभाव स्टूडियो के अंदर नहीं होता है। वही चीज कहीं न कहीं पर्दे पर भी आ जाती है। फिल्मों में भेदभाव नहीं नजर आता है, जब तक की वह फिल्म उस विषय पर न हो। हरिवंश राय बच्चन साहब की एक लाइन है कि तीन घंटे में इंसान को इंसाफ मिल जाता है। फिल्में हर किसी को बांधकर रखती हैं। इससे खूबसूरत चीज नहीं है। एक साथ रहने में मजा आता है। हम निजी जिंदगी में भी फिर यही बातें सीख जाते हैं। भेदभाव नहीं करते हैं। 

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