Box Office: दूसरे दिन 'पीहू' से इतना पीछे रह गयी सनी देओल की 'मोहल्ला अस्सी'
ओपनिंग वीकेंड में पीहू एक करोड़ की रकम आसानी से पार कर लेगी। पीहू की ख़ासियत यह है कि इस थ्रिलर फ़िल्म की नायिका दो साल की बच्ची है।
मुंबई। इस शुक्रवार बॉक्स ऑफ़िस पर दो ऐसी फ़िल्में आयीं, जो कहानी, कलाकार और ट्रीटमेंट के नज़रिए से एक-दूसरे बिल्कुल अलग हैं, मगर एक डोर इन्हें आपस में जोड़ती है। दोनों ही फ़िल्में सिनेमा में प्रयोगधर्मिता को बढ़ावा देती हैं। ये फ़िल्में हैं मोहल्ला अस्सी और पीहू। वैसे तो बॉक्स ऑफ़िस पर दोनों ही फ़िल्मों की रफ़्तार धीमी है, मगर आंकड़ों की तुलना करें तो पीहू ने दो दिनों में बेहतर प्रदर्शन किया है।
पहले बात करते हैं सनी देओल अभिनीत मोहल्ला अस्सी की, जिसे चाणक्य धारावाहिक बनाने वाले डॉ. चंद्रप्रकाश द्विवेदी ने डायरेक्ट किया है। वाराणसी को उसके सबसे विचारोत्तेजक रूप में दिखाती मोहल्ला अस्सी एक राजनीतिक व्यंग्य है, जो साहित्कार काशीनाथ सिंह के काशी का अस्सी नाम से आये उपन्यास पर आधारित है। तमाम सामाजिक, सेंसर और क़ानूनी बाधाओं को पार करते हुए फ़िल्म अंतत: रिलीज़ हुई और पहले दिन शुक्रवार को लगभग 25 लाख का कलेक्शन किया, जबकि दूसरे दिन शनिवार को भी फ़िल्म ने तक़रीबन इतने ही बटोरे और ट्रेड जानकार मानते हैं कि मोहल्ला अस्सी ने दो दिनों में लगभग 50 लाख जुटा लिये हैं। इस बिज़नेस के मद्देनज़र ओपनिंग वीकेंड में एक करोड़ की रकम जुटाना भी फ़िल्म के लिए संभव नहीं हो पाएगा।
मोहल्ला अस्सी सनी देओल के करियर की भी सबसे प्रयोगधर्मी फ़िल्म है। अर्जुन पंडित और घातक जैसी फ़िल्मों से सनी का बनारस से पहले भी नाता रहा है, मगर ऐसा धर्मानंद पांडेय जैसा रिश्ता पहली बार निभा रहे हैं। फ़िल्म में साक्षी तंवर सनी की पत्नी की भूमिका में हैं, जबकि मुकेश तिवारी और रवि किशन ने कुछ ज़रूरी किरदार निभाये हैं।
वहीं, दूसरी ओर पत्रकार से फ़िल्मकार बने विनोद कापड़ी निर्देशित पीहू अपेक्षाकृत अधिक दर्शकों को खींच रही है। फ़िल्म ने जहां लगभग 45 लाख की ओपनिंग ली थी, वहीं दूसरे दिन क़रीब 50 लाख का कारोबार किया है। दो दिनों में पीहू 95 लाख बटोर चुकी है। ओपनिंग वीकेंड में पीहू एक करोड़ की रकम आसानी से पार कर लेगी। पीहू की ख़ासियत यह है कि होम अलोन थीम पर बनी इस थ्रिलर फ़िल्म की नायिका 2 साल की बच्ची पीहू है। यह किरदार मायरा विश्वकर्मा ने निभाया है और लगभग डेढ़ घंटे की फ़िल्म में वही एक किरदार है। यानि पूरी फ़िल्म मायरा के कंधों पर ही टिकी है।