अमरीश पुरी के पोते ने सुनाई अपनी स्ट्रगल स्टोरी, ‘मैंने इतने ऑडिशन दिए हैं जितने किसी इनसाइडर-आउडसाइडर ने नहीं दिए होंगे’
फिल्म इंडस्ट्री में नेपोटिज़्म का मुद्दा कई सालों से चलता चला आ रहा है। हालांकि सुशांत के निधन के बाद से इस मुद्दे पर पिछले एक साल में पहले के मुकाबले ज्यादा चर्चा हुई है। इस चर्चा के दौरान तमाम स्टार्स नपोटिज़्म को लेकर अपनी बात रख चुके हैं।
नई दिल्ली, जेएनएन। फिल्म इंडस्ट्री में नेपोटिज़्म के मुद्दे पर बहस कई सालों से चलती चली आ रही है। हालांकि सुशांत सिंह राजपूत के निधन के बाद से इस मुद्दे पर पिछले एक साल में पहले के मुकाबले ज्यादा चर्चा हुई है। इस चर्चा के दौरान तमाम स्टार्स नपोटिज़्म को लेकर अपनी बात रख चुके हैं। अब इस बारे में अमरीश पुरी के पोते वर्धन पुरी ने बात की है। वर्धन पुरी के मम्मी-पापा इस इंडस्ट्री से ताल्लुक़ नहीं रखते हैं, लेकिन उनके दादा अमरीश पुरी भारतीय सिनेमा के लेजेंड अभिनेता थे। वर्धन ने साल 2019 में ही ‘ये साली आशिकी’ से डेब्यू किया है। यही वो साल है जब सुशांत के चले जाने के बाद नेपोटिज़्म की डिबेट ज़ोरों पर थी। लेकिन क्या अमरीश पुरी का पोता होना उनके लिए मददगार साबित हुआ या नहीं इस बारे में ख़ुद एक्टर ने बताया है।
स्पॉब्वॉय से बातचीत में वर्धन ने कहा, ‘अमरीश पुरी के पोते होने के नाते मुझे जिंदगी, सिनेमा, एक्टिंग और थिएटर के बारे में बहुत कुछ सीखने को मिला। ये लिए प्रिवलेज था’। एक्टर ने आगे बताया कि उन्हें आजतक किसी ने नेपो किड नहीं कहा। वर्धन ने कहा ‘किसी ने मुझे आज तक नेपो किड कहकर नहीं बुलाया। जब मेरे दाद गुजऱे उस वक्त मैं काफी यंग था और थिएटर करता था। उन्होंने मेरे लिए कभी कोई कॉल नहीं किया, कभी मुझे कास्ट करने के लिए किसी से बात नहीं की, न किसी के ऑफिस गए। बल्कि वो अगर आज ज़िंदा होते तो भी मेरे लिए ये सब नहीं करते। क्योंकि दाद हमेशा इस बात में यकीन रखते थे कि अगर आप किसी चीज़ को पाने की चाहते रखेत हैं तो अपने दम पर पाएं, अपनी मेहनत से बनें। क्योंकि अगर वो चीज़ आपको प्लेट में परोसी हुई मिल रही है तो आप केवल एक ही फिल्म में सर्वाइव कर पाओगे। उसके बाद आप नीचे गिरते जाओगे क्योंकि आप ख़ुद को संभालने के लिए मज़बूत नहीं होगे। आपके पैर तभी मजबूत होंगे जब आप उस ऊंचाई तक पहुंचने के लिए ख़ुद मेहनत करोगे’।
अपनी करियर के बारे में बात करते वर्धन कहते हैं, ‘मुझे लगता है मैं शख्स हूं जिसने इतने ऑडिशन दिए हैं इतने स्क्रीन टेस्ट दिए जितने किसी ने नहीं दिए होगे। चाहें वो इनसाइडर हो या आउटासाइडर। मैंने कई बार इंटरव्यू किया जिसके बाद मुझे असिस्टेंट डायरेक्टर की जॉब मिली उसके बाद मैं असिस्टेंट राइटर बना। मैंने कई सालों तक थिएटर किया। अगर मुझ फिल्म में चांस मिल तो सिर्फ अपनी मेहनत के बल पर, न की इसलिए की मैं अमरीश पुर का पोता हूं’।